मिले नवजात बच्चियों के शव: आखिर क्यों फेंकी जा रही हैं नाले में बेटियां

पिछले 7 माह में 9 नवजात बच्चियों के शव मिल चुके हैं। कुछ झाड़ियों में मिले तो कुछ नहर में। लेकिन सबसे ज्यादा शव मेडिकल कॉलेज के पास बने नाले में मिले है। बीते मंगलवार की सुबह में नवजात बच्ची का शव मेडिकल कॉलेज के बाहर नाले में मिला।

Update: 2020-02-19 14:11 GMT

आसिफ अली

शाहजहांपुर: वैसे तो आज हम सब 21वीं सदी में जी रहे हैं। लेकिन सोच अभी भी 20वीं सदी की ही है। यही कारण है कि आज भी मां बाप बेटे और बेटियों में इतना फर्क करते है। पिछले 7 माह में 9 नवजात बच्चियों के शव मिल चुके हैं। कुछ झाड़ियों में मिले तो कुछ नहर में। लेकिन सबसे ज्यादा शव मेडिकल कॉलेज के पास बने नाले में मिले है। बीते मंगलवार की सुबह में नवजात बच्ची का शव मेडिकल कॉलेज के बाहर नाले में मिला। शव की हालत देखकर लोगों का दिल दहल गया था। कलयुगी मां बाप ने बच्ची पैदा होते ही उसको नाले में फेंक दिया। हालांकि सवाल मेडिकल कॉलेज पर भी उठते हैं। क्योंकि जिला महिला अस्पताल भी मेडिकल कॉलेज के अंदर बना हुआ है। हालांकि मेडिकल कॉलेज की पीआरओ ने जांच की बात की है।

कपड़े में लपेटकर फेंका गया था नवजात बच्ची का शव

दरअसल मेडिकल कॉलेज के अंदर महिला अस्पताल भी बना हुआ है। कालेज के बाहर बड़ा नाला है। जिसमें आये दिन नवजात शिशुओं के शव मिलते रहे हैं। ताजा मामला मंगलवार की सुबह का है। नाले में कुत्ते आपस में लड़ रहे थे। तभी लोगों ने कुत्तों को भगाने की कोशिश की तो नाले में लोगों को एक कपड़ा पड़ा दिखाई दिया। जब लोगों ने कपड़ा हटाकर देखा तो उसमें नवजात बच्ची का शव था। शव हालत देखकर लोगों को गुस्से के साथ साथ बहुत दुःख भी हुआ। क्योंकि बच्ची के शरीर का रंग बदल चुका था। बच्ची का चेहरा नीला और शरीर सफेद हो चुका था। माना जा रहा है कि बच्ची का शव कई दिन पहले नाले में फेंका गया था। सूचना के बाद मौके पर पहुची पुलिस और स्थानीय लोगों की मदद से बच्ची के शव को नाले से बाहर निकाला गया। शव को पोस्टमार्टम के लिए मारचरी मे रखवा दिया गया है। वहीं सूचना मिलते ही मेडिकल कॉलेज की पीआरओ पूजा पांडेय ने जांच की बात की है।

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बच्चियों को नाले में फेंककर ले रहे हैं बच्चियों की जान

आपको बता दें कि पिछले सात माह में जनपद शाहजहांपुर में 9 नवजात बच्चियों के शव मिल चुके हैं। खास बात ये है कि सभी बेटियां थी। सबसे ज्यादा बच्चियों के शव मिलने का स्थान मेडिकल कॉलेज के बाहर बना नाला है। जिसमें बच्चियों को फेंककर मां बाप जान ले लेते है। सवाल मेडिकल कॉलेज पर भी उठता है कि जब से जिला अस्पताल को मेडिकल कालेज बनाया गया है। तब से सुरक्षा गार्ड की ड्यूटी मेडिकल कॉलेज के गेट पर लगाई जाती है। लेकिन ऐसे कलयुगी मां बाप को कोई भी नही पकड़ पाता है।

आपको बता दें कि इससे पहले कई बार नाले में बच्चियों के शव मिल चुके है। तब से स्थानीय लोगों को सरकारी महिला अस्पताल पर भी है। लोगों को शक है कि अस्पताल में डिलिवरी के बाद जब बच्चियां पैदा होती है। जिनको मां बाप पालना नही चाहते हैं। ऐसे में उनको मौका पाकर नाले में फेंक दिया जाता है।

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जान बचाने के लिए मेडिकल कॉलेज में एक पालना केंद्र खोला गया था

हालांकि जब इस तरह से बच्चियों के शव मिलने के सिलसिला शुरू हुआ था। तब शाहजहांपुर में डीएम अमृत त्रिपाठी थे। उन्होंने ऐसी बच्चियों की जान बचाने के लिए मेडिकल कॉलेज में एक पालना केंद्र खोला था। पालना केंद के नाम पर एक छोटा सा रूम बनाया गया है। जिसमे एक बड़ा सा झूला लगा है। ये उन मां बाप के लिए बनाया गया है। जो अपने बच्चों को मार देते है या फिर उनको नालों में फेंक देते है। इस रूम के बाहर एक स्वीच लगा है। कोई भी शख्स झूले में बच्चे को लिटाने के बाद उस स्वीच को दबाकर चला जाए। ताकि घंटी की आवाज स्टाफ को सुनाई दे और वह तत्काल उसकी की देखभाल शुरू कर दें। लेकिन इतना ज्यादा जागरूक करने के बाद भी मां बाप अपनी बच्चियों को मारना ज्यादा पसंद कर रहे हैं।

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