‘न्यूज़ट्रैक.कॉम’ की खबर का बड़ा असर, पुलिस द्वारा महिलाओं को पीटने के मामले में महिला आयोग ने लिया संज्ञान

Update: 2018-09-23 05:20 GMT

शाहजहांपुर: यूपी के शाहजहांपुर में शराब खिलाफ छापेमारी के दौरान ग्रामिणों और महिलाओं से मारपीट करना और घरों में तोड़फोड़ करने के मामले मे अब महिला आयोग ने संज्ञान लिया है। newstrack.com पर खबर चलने के बाद महिला आयोग ने पुलिस की कार्यशैली पर कड़ी नाराजगी जताई है।

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महिला आयोग की सदस्य ने हमारी खबर देखकर newstrack.com से फोन पर बात करके घटना की पूरी जानकारी कर पुलिस के अधिकारियों से महिलाओं से मारपीट और घरो मे तोड़फोड़ करने के मामले पर कङी फटकार लगाते हुए दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्यवाही की बात की है।

महिला आयोग का कहना है कि महिलाओं पर अत्याचार किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जिस तरह से पुलिस काम कर रही है इससे प्रदेश सरकार की छवी खराब हो रही हे। फिलहाल महिला आयोग के संज्ञान लेने के बाद पुलिस महकमे मे हड़कंप मचा हुआ है।

महिला आयोग की सदस्य सुनीता बंसल ने newstrack.com पर पुलिस द्वारा गांव किए गए तांडव वाली खबर का संज्ञान लेते हुए newstrack.com से फोन पर बात करते हुए हुए पुलिस की कार्यशैली पर कङी नाराजगी जताई है। उन्होंने गांव मे पुलिस द्वारा महिलाओं से मारपीट घरो मे घुसकर तोड़फोड़ करना और गाङियों मे तोङफोङ की घटना को बर्बरता बताया है।

उन्होंने कहा कि अगर पुलिस पुलिस के पास शराब होने की सूचना थी और पुलिस ने दबिश दी थी। तो पुलिस उन लोगो को पकड़ जेल भेज देती। लेकिन पुलिस को किसने हक दिया कि वह गांव मे इस तरह से तांडव मचाए जिससे लोग दहशत मे आ जाए। पुलिस की ऐसी कार्यवाही से प्रदेश सरकार की छवी खराब हो रही है। महिला आयोग की सदस्य सुनीता बंसल का कहना है कि जिस दिन पुलिसकर्मियों ने महिलाओं को पीटा महिलाओं के चोट भी आई।

मगर पुलिस ने उन महिलाओं की तरफ से क्यों नहीं एफआईआर दर्ज महिलाओं का मेडिकल क्यों नहीं कराया। ये पुलिस पर बङा सवाल है। इतनी जल्दबाजी मे पुलिस ने 6 लोगो को पकड़कर जेल भेज दिया और चार दिन बीत जाने के बाद भी घायल महिलाओं का मेडिकल नहीं कराया। जबकि महिलाओं ने थाने के सामने जमाकर लगाकर मेडिकल करानपु की मांग की थी।

पुलिस के आलाधिकारी गांव मे तोङफोङ करने वाले पुलिसकर्मियों को बचाने मे जुटे है। लेकिन महिला आयोग महिलाओं पर अत्याचार बिल्कुल बर्दाश्त करेगा। सुनीता बंसल का कहना है कि मामला बेहद गंभीर है हम उस गांव मे जाकर महिलाओं पर हुए अत्याचार के बारे मे जानकारी लेकर उनको न्याय दिलाएंगे।

हमारी खबर का संज्ञान लेने के बाद महिला आयोग की सदस्य ने देर न करते हुए कुछ ही मिनट मे सीओ से लेकर एसपी ओर एडीजी तक से फोन पर घटना के बारे मे बातकर नाराजगी जताई। हालांकि फोन पर सीओ सिटी सुमित शुक्ला ने महिला आयोग की सदस्य को बताया कि महिलाओं का मेडिकल कराया गया है।

मगर पुलिस महिला आयोग की सदस्य को पुलिस की बात पर बिल्कुल भरोसा नहीं है क्योंकि कुछ मिनट पहले ही newstrack.com ने सीओ सिटी सुमित शुक्ला से फोन पर बात की थी। हमे सीओ सिटी ने बताया था कि पुलिस ने महिलाओं का मेडिकल नहीं कराया है। अब हम कौन सी बात को सच माने वो जो सीओ ने सुनीता बंसल को बताया या फिर वो जो सीओ ने newstrack.com को जानकारी दी।

सीओ द्वारा जानकारी से महिला आयोग की सदस्य सहमत नहीं थी। यही वजह थी कि उन्होंने फौरन एडीजी बरेली से बात करके घटना के बारे मे बात की ओर पुलिस की लापरवाही और महिलाओं का मेडिकल न कराने पर कङी नाराजगी जताई। हालांकि एडीजी ने महिला आयोग की सदस्य सुनीता बंसल को कार्यवाही का आश्वासन दिया है। साथ ही निष्पक्ष जांच कराने की भी बात की।

आपको बता दें कि चार दिन पहले थाना आरसी मिशन क्षेत्र चक परमाली गांव मे शराब के खिलाफ छापेमारी करने आबकारी और पुलिस की टीम गई थी। पुलिस का आरोप था कि छापेमारी करने के दौरान पुलिस पर ग्रामिणों ने हमला कर दिया था। जिसके बाद पुलिस की टीम अपनी जान बचाकर गांव से भागे थे।

उसके बाद भारी पुलिस बल गांव गया था हमला करने वाले 40 नामजद और 50 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर 6 लोगो कोने गिरफ्तार कर लिया था। लेकिन पुलिस ने गांव मे पहुचकर ऐसा तांडव मचाया था जिसे देखकर हर किसी रोंगटे खड़े कर देते।

पुलिस ने घरो मे घुसकर तोड़फोड़ की महिलाओं को जमकर पीटा ग्रामिणों के साथ मारपीट की थी। गाङियों मे तोङफोङ की थी। इसी बात से नाराज होकर बीजेपी विधायक रोशनलाल वर्मा भी गांव पहुचे थे और पुलिस का तांडव देखकर अपनी पार्टी के खिलाफ ही धरने पर बैठने की धमकी दे डाली थी।

बीजेपी विधायक ने भी मांग की थी कि महिधाओ की तरफ से दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उनका मेडिकल कराया जाए। विधायक महिलाओं को लेकर थाने पहुंचे और चार घंटे तक पुलिस से नोकझोंक करते रहे। लेकिन पुलिस ने उनकी एक न सुनी।

इससे एक बात तो साफ हो गई कि सत्ता पक्ष का विधायक जब पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्यवाही की बात कर रहा है और महिला आयोग भी पुलिसकर्मियों को दोषी मानकर उनके खिलाफ कार्यवाही की बात करा रहा है। तो कहीं न कहीं पुलिस ने बड़ी लापरवाही की है।

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