Atiq Ahmed: माफिया को उम्रकैद की सजा सुनाने वाले जज की सुरक्षा बढ़ी
Atiq Ahmed: अब वाई श्रेणी की सुरक्षा दी गई है चर्चिच उमेश पाल अपहरण केस में फैसला सुनाने वाले एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट प्रयागराज के जज को।
Atiq Ahmed: माफिया डान अतीक अहमद को सजा सुनाने वाले जज की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। चर्चित उमेश पाल अपहरण मामले में माफिया अतीक अहमद को सश्रम उम्रकैद की सजा सुनाने वाले एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट प्रयागराज के जज डॉक्टर दिनेश चंद्र शुक्ल की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। अब उनकी सुरक्षा वाई श्रेणी की कर दी गई है। अतीक अहमद के खिलाफ फैसला देने के बाद उनकी सुरक्षा बढ़ाई गई है। मंगलवार को भी जब स्पेशल जज अपना फैसला सुनाने के लिए कोर्ट आ रहे थे तब भी पुलिस की सुरक्षा में ही वो कोर्ट पहुंचे थे, उनकी गाड़ी को पुलिस की गाड़ियां एस्कॉर्ट कर रही थीं।
28 मार्च को 17 साल पुराने उमेश पाल अपहरण मामले में एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट के जज डॉक्टर दिनेश चंद्र शुक्ल ने माफिया अतीक अहमद, दिनेश पासी और खान सौलत हनीफ को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। उमेश पाल अपहरण केस में कोर्ट ने तीनों को दोषी करार देते हुए उन पर पांच-पांच हजार का जुर्माना भी लगाया था। साथ ही कोर्ट ने एक-एक लाख क्षतिपूर्ति के रूप में उमेश पाल के परिवार को देने का भी आदेश दिया था। एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट के जज ने अतीक अहमद
के भाई पूर्व विधायक खालिद अजीम उर्फ अशरफ समेत सात आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी भी कर दिया था।
कोर्ट के आदेश के बाद खान सौलत हनीफ और दिनेश पासी जहां जेल भेजे गए हैं, वहीं अतीक अहमद को कोर्ट ने अहमदाबाद की साबरमती जेल भेज दिया जबकि अशरफ को कोर्ट के आदेश पर दोबारा बरेली जेल भेजा गया है।
पहला मौका है जब किसी कोर्ट ने सजा सुनाई-
माफिया अतीक अहमद के 43 वर्षों के अपराधिक इतिहास में यह पहला मौका है जब किसी कोर्ट ने माफिया अतीक अहमद को सजा सुनाई है। अतीक को सजा सुनाने के बाद एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट के जज की सुरक्षा बढ़ाई गई है।
2009 बैच के न्यायिक अधिकारी हैं-
जज डॉक्टर दिनेश चंद्र शुक्ल 2009 बैच के न्यायिक अधिकारी हैं और रायबरेली जिले के मूल निवासी हैं। डॉक्टर दिनेश चंद्र शुक्ल को 22 नवंबर 2021 को एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट प्रयागराज के पीठासीन अधिकारी के रूप में तैनाती मिली थी। इसके पहले प्रयागराज जिला कोर्ट में ही एडीशनल डिस्ट्रिक एंड सेशन जज के पद पर 22 सितंबर 2020 से कार्यरत थे। एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट के जज बनने के बाद उन्होंने कई अहम फैसले सुनाए हैं। 28 मार्च को उन्होंने चर्चित उमेश पाल अपहरण केस पर अपना फैसला सुनाया है।
क्या होती है वाई श्रेणी की सुरक्षा-
कम खतरे वाले लोगों को यह सुरक्षा दी जाती है। इसमें वाई प्लस सुरक्षा में 11 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं, जिसमें दो कमांडो तैनात होते हैं शेष पुलिसकर्मी। जबकि वाई सुरक्षा कैटेगरी में 04-08 से सुरक्षाकर्मी 01-02 कमांडो के साथ मिलते हैं।