Yoga Day 2021: अमेरिका ने संजो रखीं हैं परमहंस योगानंद की यादें, गोरखपुर से है कनेक्शन, अब सीएम योगी ने ली सुधि

Yoga Day 2021: योग के प्रणेता परमहंस योगानंद की जन्मस्थली को योगी सरकार स्मारक के रूप में विकसित करेगी। जिस मकान में योगानंद जन्में थे, उसके मालिकाना हक को लेकर विवाद कोर्ट में लंबित है।

Published By :  Shivani
Update: 2021-06-21 03:45 GMT

Yoga Day 2021: गोरखपुर के कोतवाली रोड स्थित मकान में जन्में क्रिया योग के प्रणेता परमहंस योगानंद की जन्मस्थली को योगी सरकार स्मारक के रूप में विकसित करेगी। जिस मकान में योगानंद जन्में थे, उसके मालिकाना हक को लेकर विवाद कोर्ट में लंबित है। सीएम योगी ने प्रशासनिक अधिकारियों से लंबित मामले में पैरवी तेज करने को कहा है। जिससे मकान मालिक को मुआवजा देकर जन्मस्थली को स्मारक के रूप में विकसित किया जा सके।

पश्चिमी देशों को योग के वैज्ञानिक स्वरूप का साक्षात्कार कराने और क्रिया योग जैसा उपहार देने वाले विश्वविख्यात परमहंस योगानंद जी ने गोरखपुर के जिस मकान में जन्म लिया था। सरकार की योजना मकान के मालिक को उचित मुआवजा देकर क्रिया योग के प्रणेता के जन्मस्थली को विकसित करने की है।

गोरखपुर में योगानंद जी ने गुजारे थे 12 साल

योगानंद जी कोतवाली रोड के जिस मकान में जन्मे थे, जहां उन्होंने बचपन के 12 साल गुजारे, उस मकान का मामला पिछले डेढ़ दशक से सिविल कोर्ट में लंबित है। जन्मस्थली को लेकर लगातार पैरवी करने वाले अच्छन बाबू इसे विकसित करने की मांग लंबे समय से कर रहे हैं। प्रकरण बतौर सांसद योगी आदित्यनाथ के सामने आ चुका था। योगी ने इसे लेकर अधिकारियों को पैरवी तेज करने का निर्देश दिया है। परमहंस योगानंद का जन्म 5 जनवरी 1893 को गोरखपुर शहर के मोहल्ला मुफ्तीपुर थाना कोतवाली के पश्चिम स्थित शेख मोहम्मद अब्दुल हाजी के मकान में हुआ था। योगानन्द जी के पिता भगवती चरण घोष बंगाल-नागपुर रेलवे के कर्मचारी थे। वर्ष 1893 से 1905 तक का समय योगानंद जी ने कोतवाली थाना क्षेत्र के ईद-गिर्द ही गुजारा था।



अमेरिका ने संजो रखीं हैं यादें, भूल गए अपने

परमहंस योगानंद जी अपने गुरु के आदेश पर योग का प्रचार करने के लिए वर्ष 1920 में अमेरिका चले गए थे। उसी साल वहां उन्होंने सेल्फ रियलाजेशन फैलोशिप (एसआरएफ) की स्थापना की। लॉस एंजिल्स में एसआरएफ का मुख्यालय है। संस्था समूचे विश्व में भगवान के प्रत्यक्ष निजी अनुभव को प्राप्त करने के लिए निश्चित वैज्ञानिक उपायों का प्रचार-प्रसार कर रही है। मनुष्य की सीमित चेतना को भगवान की चेतना से योग क्रिया से कैसे मिलाया जा सकता है, इसे दुनिया को योगानंद जी ने ही बताया। लेकिन विडंबना ही है कि उनके जन्मस्थली पर यादों को लेकर कुछ नहीं है। अच्छन बाबू योगानंद जी की जयंती मनाते हैं। वह जन्मभूमि को वैश्विक पहचान मिले इसके लिए वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र भी लिख चुके हैं।

सर्वाधिक बिकने वाली आत्मकथा है 'योगी कथामृत'

परमहंस योगानंद जी द्वारा लिखी गई आत्मकथा 'योगी कथामृत' दुनिया में सर्वाधिक बिकने वाली किताबों में शुमार है। इसके अलावा उन्होंने 'द साइंस आफ रिलीजन', 'साइंटिफिक हीलिंग', 'अफरमेशंस कास्मिक चाट्स ए मेटाफिजिकल मेडिटेशंस' सहित कई ग्रंथ लिखे। योगी कथामृत तीन दर्जन से अधिक भाषाओं में मौजूद है।
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