Lucknow University: लखनऊ विश्वविद्यालय में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार में बताया गया योग का महत्व

Lucknow University: पूर्व निदेशक योग पर पक्ष रखते हुए तथा उत्तर प्रदेश में डॉ अमरजीत यादव द्वारा योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा के उन्नत के संबंध में किये गए कार्यों एवं फैकल्टी के स्थापना आदि से संबंधित किये गए कार्यों के बारे में बताया.

Written By :  Anant kumar shukla
Update:2022-11-30 17:52 IST

Importance of Yoga told in International Seminar organized at Lucknow University

Lucknow University: लखनऊ विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ योग एंड अल्टरनेटिव मेडिसिन एवं इंडियन योग फेडरेशन तथा यूपी नेचुरोपैथी एंड योग टीचर्स एंड फिजिशियन एसोसिएशन के संयुक्त तत्वाधान में पाचन तंत्र में योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा का प्रभाव विषयक पर दो दिवसीय 18वां राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि पवन सिंह चौहान, सदस्य विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, के द्वारा किया गया उन्होंने बताया कि योग हमारे सम्पूर्ण शरीर के लिए उपयोगी है। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. पूनम टंडन (अधिष्ठाता, छात्र कल्याण, लखनऊ विश्वविद्यालय) ने छात्रों के लिए योग की उपयोगिता बताई।

कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत भाषण फैकल्टी के इंचार्ज प्रोफेसर नवीन खरे ने किया। कार्यक्रम के संचालक डॉ अमरजीत यादव (समन्वयक, योग एवं वैकल्पिक चिकित्सा संकाय) ने पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने के लिए योगासन- वज्रासन, पवनमुक्तासन, कोणासन, मार्जरीआसन, वक्रासन, विपरीतकरणी आसन, व अनुलोम विलोम, भ्रामरी प्राणायम एवं ध्यान के माध्यम से पेट सबन्धी समस्त रोगों के लिए फायदेमंद है।

पतंजलि यूनिवर्सिटी से आये अस्सिटेंट प्रोफ़ेसर निधीश यादव ने बताया कि योग में रिसर्च की आवश्यकता तथा योग के वैज्ञानिक महत्व पर अपने विचार प्रस्तुत किये। डॉ राजेन्द्र प्रसाद, पूर्व निदेशक योग पर पक्ष रखते हुए तथा उत्तर प्रदेश में डॉ अमरजीत यादव द्वारा योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा के उन्नत के संबंध में किये गए कार्यों एवं फैकल्टी के स्थापना आदि से संबंधित किये गए कार्यों के बारे में बताया, इसके पश्चात प्रोफेसर एचएच अवस्थी बीएचयू, वाराणसी ने योग के साईंटिफिक उपादानों पर विस्तृत चर्चा तथा योग के विकास के लिये एकेडेमिक रिसर्च करने पर विशेष बल दिया।

पेट की बिमारियों के लिए करें ये आसन

इसके बाद डॉ. विजय कुमार ओहरी ने विभिन्न भारतीय संस्कारों पर प्रकाश डालते हुए पेट संबंधी रोगों में योग की महत्ता पर बताया कि मानसिक एवं आध्यात्मिक विकास की नींव पेट के स्वस्थ होने से ही संभव है। सरल आसनों का अभ्यास करना चाहिए एवं प्राणायाम की महत्ता को बताते हुए इसके पश्चात प्रोफेसर एचएच अवस्थी पूर्व विभागध्यक्ष, रचना शारीर, बीएचयू ने बताया की पेट के से संबंधित बिमारी के साथ मानशिक, तनाव, अनिद्रा इत्यादि में योग की भूमिका तथा योगासन- सुप्तबन्धकोनासन, बन्धकोनासन, सेतुबंधासन, नाड़ी शोधन प्राणायाम के माध्यम से उदर विकारों को कैसे कम किया जाए, सिक्किम से आये अतिथियों के द्वारा पेट के रोगों के लिए योग के द्वारा शरीर मे कब्ज़, पाचन संबंधी योग से कितना रिलेक्स तथा पाचन को बेहतर बनाया जा सकता है उसके लिए वीरभद्रासन, वृक्षासन, वज्रासन, मत्स्य क्रीड़ासन, ताड़ासन, कटिचक्रासन, अर्ध एवं पूर्ण तितली आसान, भ्रामरी, अनुलोम विलोम प्राणायाम तथा अपान, ज्ञान, आकाश मुद्रा आदि उपयोगी है फ़ैकल्टी के प्रोफ़ेसर इंचार्ज प्रोफेसर नवीन खरे ने फैकल्टी के बारे में बताया की यह योग एवं वैकल्पिक चिकित्सा की देश की पहली विश्वविद्यालय है जो शिक्षा के साथ स्वास्थ्य जागरूकता का कार्य कर रही है।

इस सेमिनार के दौरान देश विदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के शिक्षक, प्रशिक्षक, तथा स्नातक- परास्नातक के समस्त छात्र/छात्राएं एवं देश के विभिन्न हिस्सों से विभिन्न प्लेटफार्मों के माध्यम से सैकड़ो लोगों ने प्रतिभाग किया।

Tags:    

Similar News