आखिर क्यों योगी सरकार ने 7 पीपीएस अफसरों को किया बर्खास्त? यहां जानें

भ्रष्टाचार तथा कार्य में शिथिलता पर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार बेहद सख्त है। हर विभाग में सुस्त तथा भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मचारियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है।

Update: 2019-11-07 07:04 GMT

लखनऊ: भ्रष्टाचार तथा कार्य में शिथिलता पर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार बेहद सख्त है। हर विभाग में सुस्त तथा भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मचारियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है।

इसी कड़ी में सात पीपीएस अफसरों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है। इनको अनिवार्य सेवानिवृति प्रदान की गई है। शासन ने सात पुलिस उपाधीक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्त दी।

मिली जानकारी के मुताबिक, अभी और अधिकारियों पर गाज गिर सकती है। बताया जा रहा है कि 24 और अधिकारियों की फाइल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास पहुंच चुकी है। जल्द ही इन अधिकारियों को लेकर कोई फैसला लिया जाएगा।

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इन अफसरों पर हुई कार्रवाई

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ये है पूरा मामला

गौरतलब है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ 'जीरो टॉलरेंस' नीति का दावा करने वाली योगी सरकार ईपीएफ घोटाले को लेकर बुरी तरह से घिरी हुई है। इस घोटाले में तत्कालीन वित्त निदेशक सुधांशु द्विवेदी, महाप्रबंधक व सचिव ट्रस्ट प्रवीण कुमार गुप्ता और पूर्व एमडी एपी मिश्रा को गिरफ्तार किया जा चुका है।

राज्य सरकार ने इस मामले की पूरी जांच को सीबीआई के हवाले कर दिया है। बता दें कि बिजली विभाग में जिन अधिकारियों पर इंजीनियरों व कर्मचारियों के सामान्य व अंशदायी भविष्य निधि की रकम को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी थी।

नियमों का हुआ उल्लंघन

उन्होंने इस निधि के कई करोड़ रुपये को असुरक्षित निजी कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस कारपोरेशन लिमिटेड (डीएचएफसीएल) में नियमों का उल्लंघन करके लगा दिया।

मुंबई हाईकोर्ट द्वारा डीएचएफसीएल के भुगतान करने पर रोक लगाने के बाद बिजली कर्मियों के भविष्य निधि का कई करोड़ रुपये (मूलधन) फंस गया है।

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