बिजली पर योगी के मंत्रियों के बीच खिंच गईं तलवारें, MLA ने दी आग को हवा

Update:2017-07-25 02:03 IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनावों में बिजली बहुत बड़ा मुद्दा थी, बिजली जैसी बुनियादी ज़रुरत को भी ईद और दीपावली के नाम पर धर्म आधारित बना दिया गया था। अब योगी आदित्यनाथ के राज में बिजली एक बार फिर मुद्दा बन चुकी है। सरकार में वज़ीर जय प्रताप सिंह की ऊर्जा मंत्री को लिखी चिठ्ठी पर 440 वोल्ट का करन्ट दौड़ ही रहा था, कि इलाहाबाद से भाजपा विधायक नीलम करवरिया ने बिजली को लेकर जो बयान दिया है उससे खुद ही सरकार कटघरे में खड़ी हो गई है।

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यूपी में बिजली को लेकर बखेड़ा खड़ा हो गया है। योगी आदित्यनाथ सरकार में आबकारी और मद्यनिषेध मंत्री जय प्रताप सिंह की ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को लिखी चिठ्ठी ने सरकार को 440 वोल्ट का झटका दिया है। चिठ्ठी से ऐसा हंगामा खड़ा हुआ है कि सरकार में शार्ट सर्किट की नौबत आ गई है।

यानि सरकार के दो पावरफुल मंत्री पावर के लिए भिड़े नज़र आ रहे हैं। ऐसा नहीं है कि बिजली का करेंट सिर्फ एक मंत्री ने ही दिया हो। मंत्री के बाद इलाहाबाद से भाजपा विधायक नीलम करवरिया के बयान ने सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। एक तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिला मुख्यालय पर 24 घंटा बिजली देने का वादा कर रहे है, तो दूसरी तरफ बिजली व्यवस्था बेहतर बता रहे हैं।

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लेकिन विपक्ष के नेताओं को छोड़िये अब सत्ताधारी दल के नेताओं ने ही सरकार को कटघरे में खड़ा करना शुरू कर दिया है। मंत्री जय प्रताप सिंह के बाद विधायक नीलम करवरिया ने कहा है, कि वो दिन भर बिजली की आने वाली शिकायतों से परेशान हो चुकी हैं। योगी सरकार को सत्ता में आये अभी महज़ चार माह का ही वक़्त बीता है।

लेकिन नीलम करवरिया को लगता है कि दिन भर में 200 फोन काल सिर्फ बिजली की समस्या को लेकर आती हैं। अफसर इस पर ध्यान ही नहीं देते। नीलम कहती हैं वो बिजली विभाग के अफसरों को फोन करके थक जाती हैं। लेकिन अफसरों का फोन उठता ही नहीं है। जिस की वजह से लोगों में गुस्सा बढ़ रहा है। कुछ इसी तरह के शब्दों का प्रयोग करते हुवे मंत्री जय प्रताप सिंह ने भी लिखी थी।

कितनी है खपत कितनी हो रही है सप्लाई

दरअसल यूपी में अप्रैल से जून के बीच यानि गर्मी के मौसम में 31942 मेगावाट की बिजली की ज़रुरत थी, लेकिन सप्लाई 31575 मेगा वाट ही की जा। इस हिसाब से 24 घण्टे में 367 मेगावाट की कमी रही है। जिस की वजह से बिजली को लेकर हालात खराब हुए हैं।

इस मौसम के दौरान पीक समय यानि सूरज ढलने के बाद 18827 मेगावाट की ज़रुरत के मुक़ाबले सिर्फ 18061 मेगावाट बिजली की सप्लाई हो सकी। यानि मांग के मुक़ाबले 766 मेगावाट की कमी रही है।

अब बिजली की मांग के मुक़ाबले सप्लाई की कमी की वजह से विधायक से लेकर मंत्री तक को जनता के रोष का सामना करना पड रहा है। बड़े शहरों से लेकर ज़िलों तक में बिजली की कमी सरकार को ज़ोर का झटका दे रही है।

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