Happy Birthday CM Yogi: महंत से मुख्यमंत्री, जाने योगी आदित्यनाथ की यात्रा

Happy Birthday CM Yogi: देश में फायर ब्रांड नेता और हिंदुत्व का बड़ा चेहरा माने जाने वाले योगी आदित्यनाथ ने सामान्य परिवार में जन्म लेने के बाद देश की सियासत में बड़ा मुकाम हासिल करने में कामयाबी हासिल की है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2022-06-05 07:58 IST

योगी आदित्यनाथ (फोटो- कॉंसेप्ट)

Happy Birthday CM Yogi: योगी आदित्यनाथ ने गत 25 मार्च को दूसरी बार मुख्यमंत्री के रूप में उत्तर प्रदेश की कमान संभाली। लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की कमान संभालकर योगी आदित्यनाथ ने 37 साल बाद इतिहास रचा है। देश में फायर ब्रांड नेता और हिंदुत्व का बड़ा चेहरा माने जाने वाले योगी आदित्यनाथ ने सामान्य परिवार में जन्म लेने के बाद देश की सियासत में बड़ा मुकाम हासिल करने में कामयाबी हासिल की है। 1972 में आज ही के दिन पैदा होने वाले योगी की गिनती आज भाजपा के कद्दावर नेताओं में की जाती है।

दूसरी पारी के लिए बड़ा जन समर्थन हासिल करके योगी ने यह साबित कर दिया है कि उत्तर प्रदेश की जनता ने उनकी पहली पारी के कड़े फैसलों को कितना पसंद किया है। अपनी दूसरी पारी की शुरुआत के बाद योगी ने एक बार फिर लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरने का वादा किया है। उन्होंने जनता से किए गए वादों को पूरा करने की शुरुआत भी कर दी है।

योगी न केवल जनप्रिय फैसले ले रहे हैं बल्कि विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष की बखिया उधेड़ने में कोई कसर भी बाकी नहीं छोड़ रहे हैं। इसका सबूत उन्होंने हाल में हुए विधानसभा सत्र में भी दिया था। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि योगी आदित्यनाथ ने सामान्य परिवार से उठकर सियासी मैदान में इतनी बड़ी कामयाबी कैसे हासिल की।

उत्तराखंड के सामान्य परिवार में हुआ था जन्म 
CM Yogi Adityanath Birth

योगी आदित्यनाथ का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के पंचूर गांव में हुआ था। 5 जून 1972 को जन्मे योगी आदित्यनाथ का पूर्व का नाम अजय सिंह बिष्ट था। उनका जन्म उत्तराखंड के बहुत ही सामान्य राजपूत परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम आनंद सिंह बिष्ट जबकि मां का नाम सावित्री देवी है।

अपनी मां के साथ योगी आदित्यनाथ।

शुरुआती पढ़ाई के बाद योगी ने ऋषिकेश के भरत मंदिर इंटर कॉलेज से 12वीं की परीक्षा पास की। इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और वहां से बीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण की। ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान ही वे एबीवीपी से जुड़ गए थे। 

अजय सिंह बिष्ट से ऐसे बने योगी आदित्यनाथ 

देश की सियासत में उस समय राम मंदिर आंदोलन की जबर्दस्त गूंज थी और योगी भी इस आंदोलन से जुड़ गए थे। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के एक कार्यक्रम के दौरान अजय सिंह बिष्ट की मुलाकात गोरखनाथ मंदिर के महंत अवैद्यनाथ से हुई। महंत अवैद्यनाथ से इस मुलाकात ने अजय सिंह बिष्ट के दिलो दिमाग पर गहरा असर डाला और उन्होंने महंत अवैद्यनाथ से गुरु दीक्षा लेने का फैसला कर लिया।

महंत अवैद्यनाथ भी उत्तराखंड के ही रहने वाले थे और उनसे गुरु दीक्षा लेने के बाद अजय सिंह बिष्ट को योगी आदित्यनाथ का नया नाम मिल गया। इसके बाद योगी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते रहे।

महंत अवैद्यनाथ की विरासत संभाली 

गोरखनाथ मंदिर के महंत की गद्दी का उत्तराधिकारी बनने के बाद योगी आदित्यनाथ के लिए महंत अवैद्यनाथ की राजनीतिक विरासत संभालने का रास्ता भी खुल गया। महंत अवैद्यनाथ राम मंदिर आंदोलन के सबसे सम्मानित नेताओं में एक थे और गोरखपुर संसदीय सीट पर उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती थी। यही कारण था कि वे इस संसदीय सीट से चार बार लोकसभा का चुनाव जीतने में कामयाब रहे। बाद में योगी आदित्यनाथ ने भी अपने गुरु की तरह ही सियासी मैदान में बड़ी कामयाबी हासिल की।

26 साल की उम्र में बन गए सांसद

महंत अवैद्यनाथ का राजनीतिक उत्तराधिकारी बनने के बाद योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के चुनावी अखाड़े में पहली बार 1998 में उतरे और पहला चुनाव जीतकर 26 साल की उम्र में सबसे युवा सांसद बन गए। इसके बाद उन्होंने 2017 तक लगातार पांच बार लोकसभा में गोरखपुर संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व किया। 


अपने गुरु महंत अवैद्यनाथ की तरह ही योगी आदित्यनाथ की भी गोरखपुर सीट पर मजबूत पकड़ बन गई जिसे उन्होंने लगातार पांच चुनाव जीतकर साबित भी किया। 1998 में 12वीं लोकसभा का सबसे कम उम्र में सांसद बनने के बाद योगी ने 1999, 2004, 2009 और 2014 का लोकसभा चुनाव जीतकर अपनी ताकत दिखाई।

2017 में ऐसे बने उत्तर प्रदेश के सीएम 

उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को प्रचंड बहुमत हासिल हुआ। भाजपा की ओर से किसी भी नेता को सीएम का चेहरा नहीं घोषित किया गया था और पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा ने इतनी बड़ी जीत हासिल की थी। भाजपा की इस जीत के बाद मुख्यमंत्री के दावेदार के तौर पर कई नाम उभरे मगर आखिरकार शीर्ष नेतृत्व ने योगी आदित्यनाथ के नाम पर ही मुहर लगा दी।

हालांकि शीर्ष नेतृत्व के इस फैसले ने भाजपा के कई नेताओं को भी चौंका दिया था। 26 साल की कम उम्र में सांसद बनने वाले योगी आदित्यनाथ महज 45 साल की उम्र में ही देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए। 

योगी आदित्यनाथ की पहचान शुरुआत से ही फायर ब्रांड नेता और हिंदुत्व के बड़े चेहरे के रूप में होती रही है। सांसद के बाद उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने पर योगी को अपनी प्रशासकीय क्षमता दिखानी थी और इस मोर्चे पर योगी पूरी तरह खरे उतरे। उत्तर प्रदेश की कमान संभालते ही योगी ने कड़े फैसले लेने शुरू कर दिए और इसी का नतीजा था कि उनके कार्यकाल के दौरान उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पूरी तरह दुरुस्त रही। 


कानून का राज स्थापित करने पर जोर 

मुख्यमंत्री के रूप में अपनी पारी की शुरुआत के बाद योगी आदित्यनाथ ने भयमुक्त समाज की अवधारणा पर सबसे ज्यादा जोर दिया और प्रदेश के लोगों को माफियाराज और गुंडाराज से मुक्ति दिलाने की मुहिम छेड़ दी। योगी आदित्यनाथ के सामने सबसे बड़ी चुनौती भी कानून का राज स्थापित करने की थी।

वे इस बात से अच्छी तरह वाकिफ थे कि प्रदेश के माहौल को सुधारे बिना इसे विकास के रास्ते पर नहीं ले जाया जा सकता। यही कारण था कि अपराधियों, माफियाओं और असामाजिक तत्वों को का भय समाप्त करने और कानून का राज स्थापित करने के लिए योगी ने कई कड़े फैसले लिए। 


अपराधियों पर कसा शिकंजा

योगी सरकार की ओर से भू माफियाओं और बड़े अपराधियों के खिलाफ गैंगेस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की गई और अपराधों के जरिए कमाई गई बड़ी-बड़ी संपत्तियों को जब्त कर लिया गया। यही कारण था कि बड़ी संख्या में अपराधियों ने या तो सरेंडर कर दिया या पूरी तरह निष्क्रिय होकर दुबक गए जिससे भयमुक्त समाज के सपने को साकार करने में काफी हद तक कामयाबी मिली।

प्रदेश के हर जिले में एंटी रोमियो स्क्वायड का गठन किए जाने से मनचलों पर नकेल कसने में भी सफलता मिली। योगी सरकार के इस कदम को महिलाओं की ओर से अच्छा खासा समर्थन मिला।

सांस्कृतिक उत्थान और पर्यटन विकास 

प्रदेश की कमान संभालने के बाद योगी आदित्यनाथ ने सांस्कृतिक उत्थान और पर्यटन के विकास पर भी काफी जोर दिया। योगी की अगुवाई में प्रयागराज में कुंभ का सफल आयोजन किया गया जिसमें करीब 25 करोड़ से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया। इतनी भारी संख्या में लोगों के आने के बावजूद कहीं भी कोई अव्यवस्था नहीं दिखी।

योगीराज में काशी, मथुरा और अयोध्या के विकास के लिए अनेक महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर तेजी से अमल हुआ।


धार्मिक नजरिए से पूरी दुनिया में विख्यात इन तीनों स्थलों के विकास के लिए योगी ने प्रदेश सरकार का खजाना खोल दिया और इसका नतीजा भी सबके सामने दिखने लगा है। योगी आदित्यनाथ अयोध्या, मथुरा और काशी को विश्व पटल पर लाने में कामयाब रहे हैं। इन तीनों शहरों में आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या में जबर्दस्त इजाफा हुआ है और माना जा रहा है कि योगी की दूसरी पारी के दौरान इन तीनों स्थलों की चमक-दमक और बढ़ जाएगी।

बुलडोजर बाबा की छवि

प्रदेश विधानसभा के हाल में हुए चुनाव के दौरान विपक्षियों की ओर से योगी को बुलडोजर बाबा का नया नाम दिया गया। दरअसल योगी ने मुख्यमंत्री के रूप में अपनी पहली पारी के दौरान अवैध निर्माणों, अतिक्रमण और अपराधियों की संपत्ति पर जमकर बुलडोजर चलवाए। मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद समेत कई बाहुबली भी योगी सरकार के निशाने पर रहे जिनकी संपत्ति रातों-रात बुलडोजर से ढहा दी गई। 

बाहुबलियों और अपराधियों की ओर से कब्जा की गई सरकारी जमीन को मुक्त कराने में भी योगी सरकार को बड़ी कामयाबी मिली। यही कारण था कि योगी सरकार की इस मुहिम को आम जनता के बीच खासा समर्थन मिला। विपक्षी दलों की ओर से चुनाव प्रचार के दौरान योगी को बुलडोजर बाबा कहकर जुमला कसने की कोशिश तो की गई मगर चुनाव में भाजपा को मिली भारी जीत से साफ हो गया कि योगी की इस मुहिम को जनता ने काफी पसंद किया।

लव जिहाद पर अपनाया सख्त रुख 

योगी सरकार ने लव जिहाद के खिलाफ कानून पर भी मुहर लगाई। इसके तहत धोखे से धर्म बदलवाने पर 10 साल तक की सजा होगी। इसके साथ ही धर्म परिवर्तन करने के लिए जिलाधिकारी को दो महीने पहले ही सूचना देनी होगी। योगी ने पहले ही छल, फरेब, दबाव या धमकी के जरिए शादी की घटनाओं को रोकने के लिए कड़ा कानून बनाने की बात कही थी।

 इस बाबत बनाए गए कानून में धर्म परिवर्तन में 15000 रुपए के जुर्माने के साथ 1-5 साल की जेल की सजा का प्रावधान किया गया है। एससी-एसटी वर्ग की महिलाओं या नाबालिगों के साथ ऐसी घटना होने पर 25000 रुपए के जुर्माने के साथ 3-10 साल की जेल की सजा होगी। लव जिहाद की घटनाओं पर योगी का शुरुआत से ही कड़ा रुख रहा है और इसीलिए उन्होंने ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़ा कानून भी बनाया है।

डबल इंजन की सरकार में तेज विकास 

योगी आदित्यनाथ ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान कई जनप्रिय फैसले लेकर खूब वाहवाही लूटी। यही कारण था कि 2022 के चुनावों में भाजपा पीएम मोदी की अगुवाई में योगी आदित्यनाथ के चेहरे को आगे करके चुनावी अखाड़े में कूदी। 2022 के चुनाव में एक बार फिर बहुमत हासिल करके योगी ने साबित कर दिया है कि सूबे की जनता ने उनकी नीतियों को कितना पसंद किया है।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हमेशा डबल इंजन की सरकार के जरिए यूपी के विकास पर जोर दिया है। 2017 से 2022 की अवधि के दौरान डबल इंजन की सरकार की वजह से यूपी का खूब विकास हुआ।

पिछले विधानसभा चुनाव में एक बार फिर प्रदेश के लोगों ने डबल इंजन की सरकार के लिए मतदान करके प्रदेश के तेज विकास की उम्मीदें पाल रखी हैं। माना जा रहा है कि योगी की दूसरी पारी के दौरान भी उत्तर प्रदेश विकास के नए प्रतिमान गढ़ेगा।

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