UP में बिल्डरों की खैर नहीं: अब खुद को नहीं दिखा पाएंगे दीवालिया, योगी सरकार ला रही नई पालिसी
Yogi Government Action On Builders: उत्तर प्रदेश में भी दिवालिया हो रहे बड़े बिल्डरों की लिस्ट लंबी होती जा रही है। अब योगी सरकार ने पहली बार इतना बडा कदम उठाया गया है...
Yogi Government Action On Builders: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अब इस बात का पता लगाएगी कि अचानक इतनी अधिक संख्या बिल्डर कैसे और क्यों दिवालिया रहे है। इसके लिए राज्य सरकार ने एक उच्चस्तरीय समिति का गठन करने जा रही है जो फ़्लैट की खरीदारो के हितों की रक्षा कर सके। दरअसल अक्सर बिल्डरों के दीवालिया होने से खरीदारों की जीवनभर की कमाई डूब जाती है। जिसे लेकर किसी सरकार की तरफ से पहली बार इतना बडा कदम उठाया गया है।
गौरतलब है कि देश में रियल एस्टेट सेक्टर के कई प्रमुख बिल्डर दिवालिया होने की कगार पर खड़े हुए हैं। उत्तर प्रदेश में भी दिवालिया हो रहे बड़े बिल्डरों की लिस्ट लंबी होती जा रही है। इसकी शुरुआत आम्रपाली समूह के दिवालिया होने से हुई थी। कुछ वर्षों के दौरान नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा के एक दर्जन से अधिक बड़े -छोटे बिल्डरों को दिवालिया घोषित करने का आदेश जारी किया है। यूनिटेक, सहारा, जेपी जैसे बड़े बिल्डर देखते ही देखते दिवालिया घोषित हो गए। इसी क्रम में बीते एक हफ्ते में एनसीएलटी ने सुपरटेक बिल्डर और लॉजिक्स सिटी डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ के खिलाफ आदेश जारी करते हुए दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है।
राज्य में एक के बाद एक इन बड़े बिल्डरों के दिवालिया होने फ़्लैट खरीददारों को फ़्लैट पाने का सपना तो अधर में लटका ही उनकी मेहनत से कमाई धनराशि भी फंस गई। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री ने फ़्लैट खरीददरों के हितों को ध्यान में रखते हुए अधिकारियों के साथ इस मसले पर चर्चा की। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री ने यह जानना चाहा कि जब घर खरीदने वालों के हितों को ध्यान के लिए रियल एस्टेट रेग्युलेशंस एक्ट (रेरा) जैसी व्यवस्था है तो फिर बड़े बिल्डर क्यों और कैसे दिवालिया हो रहे हैं। रेरा 1 मई 2017 से देशभर में लागू है। इस व्यवस्था के होते हुए भी बिल्डरों के दिवालिया होने को मुख्यमंत्री ने गंभीरता से लिया है। जिसके चलते उन्होंने इस मामले में अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह यह पता लगाएं कि बड़े बिल्डर क्यों दिवालिया हो रहे हैं? ताकि घर खरीदने वाले खरीदारों के हितों की रक्षा करते हुए रियल एस्टेट सेक्टर को मजबूत किया जा सके और बिल्डर्स की मनमानी पर लगाम भी लगाई जा सके।