कैसे बचेंगे भ्रष्ट नौकरशाह: अब हो जाएं सावधान, सख्त हो गयी योगी सरकार
योगी सरकार के करीब तीन साल के कार्यकाल में अब आईएएस, पीसीएस, आईपीएस और पीपीएस मिला कर लगभग 45 आला अधिकारियों तथा करीब एक हजार अधिकारियों व कर्मचारियों पर कार्रवाई की जा चुकी हैं।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में भले ही यह कहा जा रहा हो कि सरकार पर नौकरशाही हावी है लेकिन हकीकत यह है कि योगी सरकार ने सरकारी कामों में अड़ंगा लगाने, लटकाने वाले, लापरवाह और भ्रष्ट नौकरशाहों पर नकेल कस दी है। योगी सरकार के करीब तीन साल के कार्यकाल में अब आईएएस, पीसीएस, आईपीएस और पीपीएस मिला कर लगभग 45 आला अधिकारियों तथा करीब एक हजार अधिकारियों व कर्मचारियों पर कार्रवाई की जा चुकी हैं।
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नौकरशाही को अपनी जीरो टालरेन्स की नीति की चेतावनी
ताजा मामलें में योगी सरकार ने गौतमबुद्ध नगर के एसएसपी वैभव कृष्ण पर निलंबन और इसी प्रकरण में पांच अन्य आईपीएस अफसरों के खिलाफ जांच की कार्रवाई करके योगी सरकार ने एक बार फिर नौकरशाही को अपनी जीरो टालरेन्स की नीति की चेतावनी दे दी हैं। कई चेतावनियों के बावजूद सरकार के संदेश को गंभीरता से नहीं लेने के आदी हो चुके तमाम अफसरों पर अब सरकार तेजी से कार्रवाई शुरू कर चुकी है।
जहां कई अफसरों की पुरानी फाइलों के पन्ने पलटे जा रहे है तो वहीं कई को जबरन सेवानिवृत्त किया जा रहा है। इसी तरह कई अफसरों के खिलाफ निलंबित, प्रतीक्षारत और पदावनत तक किए जाने की कार्रवाई भी की गई है। बताया जा रहा है कि जांच में विभिन्न विभागों में करीब 500 से अधिक अधिकारी निशाने पर है।
एडीजी जसवीर सिंह व एसपी अतुल शर्मा पर भी निलंबन की कार्रवाई हो चुकी है
गौरतलब है कि योगी सरकार पूर्व में भी अधिकारियों पर कार्रवाई कर चुकी है। भ्रष्टाचार के आरोप में ही तत्कालीन एसपी बाराबंकी डा.सतीश कुमार व तत्कालीन एसएसपी बुलंदशहर एन.कोलांची को निलंबित किया गया था। एडीजी जसवीर सिंह व एसपी अतुल शर्मा पर भी निलंबन की कार्रवाई हो चुकी है।
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इसी तरह प्रतीक्षा सूची में डाले गए आइएएस अफसरों में अभय, विवेक, देवीशरण उपाध्याय, पवन कुमार, अजय कुमार सिंह, प्रशांत शर्मा शामिल हैं। जिन पीसीएस अफसरों को निलंबित किया गया है उनमे घनश्याम सिंह, राजकुमार द्विवेदी, छोटेलाल मिश्रा, अंजू कटियार, विजय प्रकाश तिवारी, शैलेंद्र कुमार, राजकुमार, सत्यम मिश्रा, देवेंद्र कुमार और सौजन्य कुमार विश्वास और बर्खास्त किए गये पीसीएस अफसरों में अशोक कुमार शुक्ला, अशोक कुमार लाल, रणधीर सिंह दुहन है। इसके अलावा जिन पीसीएस अफसरों को पदावनत किया गया उनमे प्रभु दयाल को एसडीएम से तहसीलदार, गिरीश चंद्र श्रीवास्तव को डिप्टी कलेक्टर से तहसीलदार बना दिया गया और दस पीपीएस अफसरों को जबरन सेवानिवृत्त कर दिया गया।
केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय द्वारा जबरन सेवानिवृत्त किए गए
हालांकि योगी सरकार के पहले केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय द्वारा जबरन सेवानिवृत्त किए गए यूपी कैडर के आइएएस अफसरों की बात करे तो 1980 बैच के शिशिर प्रियदर्शी, 1983 बैच के अतुल बगाई, 1985 बैच के अरुण आर्या, 1990 बैच के संजय भाटिया तथा 1997 बैच की रीता सिंह शामिल हैं।
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भ्रष्टाचार के खिलाफ योगी सरकार के ऐक्शन का आलम यह है कि विभिन्न विभागों में एक हजार से भी ज्यादा अफसरों एवं कर्मचारियों को जबरन रिटायर किया गया है। इसी क्रम में परिवहन विभाग के 37 और राजस्व विभाग के 36 अधिकारियों को हटाया गया। साथ ही बेसिक शिक्षा विभाग के 26 अधिकारियों पर भी कार्रवाई हुई। पंचायती राज विभाग के 25 अधिकारियों पर भी कार्रवाई हुई है। पीडब्ल्यूडी के 18, लेबर डिपार्टमेंट के 16, संस्थागत वित्त विभाग के 16, कमर्शियल टैक्स के 16 अधिकारियों को नोटिस दिए गए और फिर कार्रवाई हुई।