सत्यमित्रानंद की भूसमाधि में आज शामिल होंगे योगी
देश के बड़े संतों में शुमार भारत माता मंदिर के संस्थापक और भानुपुरा पीठ के निवर्तमान शंकराचार्य स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि नहीं रहे। मंगलवार की सुबह उनका देहावसान हो गया। वह 87 वर्ष के थे और लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे।
नई दिल्ली: देश के बड़े संतों में शुमार भारत माता मंदिर के संस्थापक और भानुपुरा पीठ के निवर्तमान शंकराचार्य स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि नहीं रहे। मंगलवार की सुबह उनका देहावसान हो गया। वह 87 वर्ष के थे और लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे। आध्यात्म के क्षेत्र में उपलब्धियों के लिए केंद्र सरकार ने वर्ष 2015 में उन्हें पद्मभूषण से भी नवाजा था।
स्वामी सत्यामित्रानंद के न रहने की खबर से देश विदेश में फैले उनके अनुयायियों में शोक छा गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके देहावसान पर शोक जताया है।
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जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज, भारत साधु समाज के उपाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी, स्वामी हरिचेतनानंद, स्वामी देवानंद, स्वामी गोविंदानंद, स्वामी ललितानंद, स्वामी ऋषिश्वरानंद, ओमप्रकाश जमदग्नि समेत बड़ी संख्या में संतों, राजनीतिक कार्यकर्ताओं और आम लोगों ने आश्रम में पहुंचकर दिवंगत संत को श्रद्धासुमन अर्पित किए। आज भू समाधि के दौरान यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई अन्य विशिष्ट अतिथियों के शामिल होने की संभावना है।
निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि के स्वास्थ्य की गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्हें पहले नोएडा स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां स्वास्थ्य में सुधार नहीं होने पर उन्हें देहरादून के मैक्स अस्पताल लाया गया था। स्थिति स्थिर बने रहने पर इसी 20 जून को उन्हें हरिपुर कलां स्थित भारत माता जनहित ट्रस्ट आश्रम में ले जाया गया था। यहां मंगलवार सुबह आठ बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। स्वामी सत्यमित्रानंद के निधन के बाद भारत माता मंदिर समेत उनके सभी आश्रमों के पट बंद कर दिए गए।
स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि के शिष्य और श्री दशनाम पंचायती अखाड़ा जूना के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने बताया कि स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि को उनके निवास स्थान राघव कुटीर में बुधवार को भू समाधि दी जाएगी। उनके देहावसान का समाचार मिलते ही संतों का उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करने राघवकुटीर पहुंचना शुरू हो गया।
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उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने भी स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी के देहावसान पर शोक जताया है। उधर, योग गुरु स्वामी रामदेव और पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण समेत बड़ी संख्या में संतों ने निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर के निधन पर दुख जताया।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने कहा कि वह संत समाज का गौरव थे। निरंजनी अखाड़े के स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी के ब्रह्मलीन होने से अखाड़े व संत समाज को अपूरणीय क्षति हुई है। रामजन्म भूमि आंदोलन के दौरान स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी महाराज की देश के संत समाज को एकजुट करने में बड़ी भूमिका रही थी।
देश ही नहीं विदेशों में भी भारतीय संस्कृति और सनातन परंपराओं की पताका फहराने में उनका विशेष योगदान रहा। भारत माता मंदिर से कई सेवा के प्रकल्प चलाए जा रहे हैं। देश के शीर्ष राजनेता रहे इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी समेत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनके व्यक्तित्व से प्रभावित थे।