Zila Panchayat Election UP 2021: सपा ने भाजपा को दिया वाक ओवर, जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर फिर खिला कमल
जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर लगातार दूसरी बार कमल का कब्जा बरकरार रहा।
Zila Panchayat Election UP 2021: जिले में समाजवादी पार्टी द्वारा भाजपा को वाक ओवर दिए जाने के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर लगातार दूसरी बार कमल का कब्जा बरकरार रहा। सपा द्वारा पार्टी समर्थित प्रत्याशी का नामांकन न करा पाने पर सोशल मीडिया पर हो रही फजीहत के बाद जिलाध्यक्ष को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी।
जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए भारतीय जनता पार्टी से घनश्याम मिश्र ने अपना नामांकन दाखिल किया था। सिर्फ एक ही नामांकन होने के कारण भाजपा उम्मीदवार के निर्विरोध निर्वाचित होने से पार्टी के बड़े नेता से लेकर कार्यकर्ता तक काफी गदगद रहे।
जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर आसीन होने के बाद घनश्याम मिश्र ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए बताया कि पार्टी ने एक बहुत छोटे कार्यकर्ता को बड़े चुनाव के लिए मैदान में उतारा था। इसके लिए मैं आभारी हूं। भाजपा में आने के सवाल पर उन्होंने कहा कि करीब 15 सालों से पार्टी का एक छोटा कार्यकर्ता हूं। उन्होंने पार्टी व संगठन के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि पार्टी ने उन्हें अवसर दिया है। और वह जनता से चुनकर आए। इसलिए उनके विकास के लिए हमेशा तत्पर रहेंगे।
नामांकन के दिन तमाशबीन रहे सपाई
बीते शनिवार को जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए हुए नामांकन के दिन प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी में नामांकन को लेकर कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखी। सिर्फ कोरम पूरा करने के लिए पूर्व विधायक बैजनाथ दुबे के घर पर पूरे दिन समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं का जमावड़ा लगा रहा। नामांकन के समय सीमा समाप्त होने के बाद पता चला कि पार्टी के प्रति निष्ठावान प्रस्तावक व समर्थक ही नहीं आए। यह हाल तब है जब जिले में एक मंत्री समेत करीब आधे दर्जन सपा के पूर्व विधायक ब्लाक प्रमुख एमएलसी मौजूद हैं।
सोशल मीडिया पर फिर से छा गए दिवंगत पूर्व मंत्री पंडित सिंह
जिले में जिनके नाम से समाजवादी पार्टी जानी जाती थी। वह अब हमारे बीच में भले नहीं है। लेकिन उनकी यह खासियत थी कि सत्ता में न रहने के बाद भी वह जिले में पार्टी के वर्चस्व को कायम रखते थे। जिस दिन समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष समेत तमाम तथाकथित सपाई, भाजपा पर जबरन नामांकन को लेकर रोके जाने का आरोप लगा रहे थे। वहीं दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर पंडित सिंह कुछ ही क्षणों में छा गए। लोग यह कहते नजर आए कि यदि पंडित सिंह होते तो नामांकन स्थल तक पहुंच कर अपने प्रत्याशी का नामांकन जरूर कराते। भले ही सत्ता की हनक के आगे उनकी आवाज दब जाती। लेकिन उनके न रहने के बाद सपा इतनी कमजोर पड़ गई कि उनके प्रत्याशी नामांकन स्थल तक ही नहीं पहुंच पाए।