Video: क्यों चुनावी घोषणापत्र में मुफ्त चीजें बांटने पर होता है जोर, वीडियो में देखें खास रिपोर्ट

Election Trending Video: बीते दिनों पाँच राज्यों में चुनाव था, उनमें हर दल ने कहा कि जीत गये तो मुफ़्त सिलिंडर देंगे। मुफ़्त लैपटॉप देंगे। मुफ़्त बिजली देंगे। गोबर ख़रीदेंगे। वग़ैरह वग़ैरह। ऐसा क्यों हुआ?

Newstrack :  Network
Update:2024-02-23 17:40 IST

Election Trending Video: भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के लंबे चौड़े दावे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि जल्द ही भारतीय अर्थव्यवस्था ट्रिलियन डॉलर की हो जायेगी। लेकिन इसके बाद भी सरकार को सड़क पर पच्चीस रुपये किलो प्याज़ और सत्ताइस रुपये किलो आटा बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा है। हमारे नेताओं ने लोकतंत्र को लोभतंत्र में बदल दिया है। किसी भी राज्य में चुनाव होते हैं, तो वहाँ बड़े बड़े दावे किये जाते हैं। ये दावे हर पॉलिटिकल पार्टी, हर छोटा बड़ा नेता करता है। यूँ कह लें कि वहाँ रसगुल्लों की झड़ी

लगा दी जाती है। रेवड़ियाँ बाँटने की बात हम सिर्फ़ इसलिए नहीं कह रहे हैं क्योंकि आज के समय के हमारे तमाम नौजवान मतदाता , तमाम नौजवान लोग रेवड़ियों को शायद जानते ही न हों। इसलिए हम यहाँ रेवड़ियों की जगह रसगुल्ले बाँटने की बात करते हैं। मुफ़्त में रसगुल्लों की अहमियत भी आसानी से समझी और समझाई जा सकेगी।

बीते दिनों पाँच राज्यों में चुनाव था, उनमें हर दल ने कहा कि जीत गये तो मुफ़्त सिलिंडर देंगे। मुफ़्त लैपटॉप देंगे। मुफ़्त बिजली देंगे। गोबर ख़रीदेंगे। वग़ैरह वग़ैरह। ऐसा क्यों हुआ? क्योंकि जेबें कंगाल हैं। रसोइयाँ ठनठन गोपाल हैं। जब आटा-प्याज खरीदने की हैसियत न बची हो तो गोबर खरीदना। मोबाइल-लैपटॉप सरीखे मुफ्त रसगुल्ले दिखाना लाजिमी है। जनता पर राज करने को लालायित राजनीतिक पार्टियां बोरे भर-भर के चुनावी वादे करती हैं। लेकिन किसी ने यह वादा नहीं किया कि अगर उनकी सरकार आयेगी तो रसगुल्ले बाँटने का यह चलन ख़त्म कर देंगे। ऐसी स्थिति क्रियेट करेंगे कि आप को इन मुफ़्त रसगुल्लों की, मुफ़्त रेवड़ियों की ज़रूरत ही न पड़े।

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मध्य प्रदेश में सत्ता में लौटने को आतुर कांग्रेस ने कहा 100 यूनिट बिजली मुफ्त, 200 यूनिट हाफ, 500 रुपये में रसोई गैस, महिलाओं को 1,500 रुपये महीने, किसानों का कर्ज माफ, पुरानी पेंशन बहाल। ऐसे बहुत वायदे किये गये।

इनके अलावा बाद में वादों की लिस्ट में और भी चीजें जुड़ गयीं - सहकारी क्षेत्र के जरिए दूध खरीदी पर 5 रुपये प्रति लीटर बोनस, सहकारी संस्थाओं में 50 प्रतिशत महिलाओं को आरक्षण, मछुआरों व कृषकों को मछली का अधिकार, पशु चारे पर सब्सिडी, 2 हॉर्स पावर तक फ्री बिजली, 10 हॉर्स पावर तक 50 फीसदी की छूट, किसानों से दो रुपये किलो गोबर ख़रीदा जायेगा। , 1000 गौशालाएं शुरू करने का वादा भी किया गया। पर भारतीय जनता पार्टी भी इससे कहीं पीछे नहीं रही।

शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि लाडली बहना स्कीम में जो 1,500 रुपये दिये जा रहे हैं, वो 3,000 रुपये कर दिए जायेंगे। भारतीय जनता पार्टी ने 450 रुपये में सिलिंडर देने का वादा किया। छात्रों-युवाओं को भत्ते, मुफ्त लैपटॉप और स्कूटी भी देने का वायदा किया गया था।

राजस्थान में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार ने 500 रुपये में रसोई गैस सिलेंडर, 200 यूनिट फ्री बिजली, किसानों को 2,000 यूनिट की फ्री बिजली, महिलाओं को मुफ्त स्मार्ट फोन, 25 लाख रुपये की चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा देने से लेकर महंगाई राहत कैंप जैसे रसगुल्ले दिखाये। वहीँ भाजपा ने हर गरीब परिवार को पक्का घर और हर घर में नल , नल में जल का आश्वासन दिया।

मिज़ोरम में भाजपा का वादा था कि खेल के क्षेत्र में विकास किया जाएगा, मिज़ोरम स्पोर्ट्स अकादमी बन्हि, खेल स्कॉलरशिप दी जाएगी, "ऑपरेशन ड्रग फ्री मिजोरम" राज्य को नशा मुक्त किया जाएगा, महिला सशक्तिकरण योजना शुरू की जाएगी, महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण दिया जायेगा, बच्चियों को डेढ़ लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी जाएगी, आयुष्मान बीमा की धनराशि 10 लाख रुपय की जायेगी। सरकारी स्कूलों की दशा सुधारी जाएगी।

कांग्रेस ने वहाँ पर कह दिया कि - 750 रुपए में रसोई गैस सिलेंडर, 2,000 रुपये प्रति माह की वृद्धावस्था पेंशन, 15 लाख का स्वास्थ्य बीमा, कुशल, पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त शासन। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों ने तो रसगुल्लों की बाढ़ ला दी।

कांग्रेस पार्टी ने कहा कि किसानों का कर्ज माफ होगा, महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के सारे पैसे माफ़ कर दिये जायेंगे, हर किसान से 20 क्विंटल धान 3200 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदा जाएगा, जाति जनगणना की जायेगी, केजी से लेकर के पोस्ट ग्रेजुएशन तक की शिक्षा बिल्कुल मुफ़्त कर दी जायेगी। तेंदू पत्ता कलेक्शन के लिए प्रति बोरा 4,000 रुपये की बजाए 6,000 रुपये दिया जाएगा, इसके अलावा 4,000 रुपये का वार्षिक बोनस मिलेगा, बिना जमीन वाले लोगों के लिए वार्षिक भत्ता मौजूदा 7,000 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दिया जायेगा। माताओं और बहनों के लिए महतारी न्याय योजना योजना, सभी आय वर्ग की महिलाओं को प्रति रसोई गैस सिलेंडर 500 रुपये की सब्सिडी, हर घर को 200 यूनिट बिजली मुफ़्त, 17.5 लाख गरीब परिवारों को घर, गरीब लोगों को 10 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज, एपीएल श्रेणी के लोगों को 5 लाख रुपये तक का बीमा मिलगा।

भाजपा के भी वादे देखिये कितने दिलचस्प हैं - कृषि उन्नति योजना शुरू होगी जिसके तहत वह किसानों से 3,100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 21 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदेगी। महतारी वंदन योजना भी शुरू होगी जिसके तहत विवाहित महिलाओं को प्रति वर्ष 12,000 रुपये मिलेंगे, एक लाख रिक्त सरकारी पदों को भरा जाएगा। 18 लाख लोगों का प्रधानमंत्री आवास योजना प्रदान किया जायेगा। 5,500 रुपये प्रति मानक बोरा के हिसाब से तेंदू पत्ता का संग्रह किया जायेगा। संग्राहकों को 4,500 रुपये का बोनस भी दिया जाएगा, भूमिहीन कृषि मजदूरों को दीनदयाल उपाध्याय कृषि मजदूर कल्याण योजना के तहत 10,000 रुपये की वित्तीय सहायता मिलेगी, आयुष्मान भारत योजना के तहत, प्रति परिवार वार्षिक बीमा लाभ मौजूदा 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये किया जाएगा। महिलाओं को सिलिंडर में 500 रुपये की छूट मिलेगी। राज्य के सभी लोगों को अयोध्या दर्शन कराया जाएगा।

तेलंगाना में कांग्रेस के वादे भी कम दिलचस्प नहीं हैं - विवाह के समय योग्य महिलाओं को दस ग्राम सोना, एक लाख रुपये नकद, छात्रों को मुफ्त इंटरनेट, महिलाओं को ढाई हजार रूपये महीना, 500 रूपये में गैस सिलेंडर, महिलाओं को बस में मुफ्त यात्रा, किसानों और लीज़ धारकों को हर साल 15 हजार रुपये, खेत मजदूरों को 12 हजार रुपये, 200 यूनिट बिजली फ्री, मकान बनाने के लिए जमीन फरी। 5 लाख रुपये भी फ्री। सीनीयर सिटीजंस को 4 हजार रुपये की पेंशन, दस लाख का हेल्थ बीमा, छात्रों को 5 लाख की मदद, हर जिले में इंटरनेशनल स्कूल। सोचिये न कितना दिलचस्प भारत बनाने की बात कांग्रेस पार्टी कह रही थी। जबकि कांग्रेस पार्टी ने देश में साठ साल तक राज किया। क्या किसी ज़िले को भी इस पैमाने पर खरा उतार पाई है।

लेकिन तेलंगाना में केसीआर की भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की भी बात सुनिये तो आप को कम हैरत नहीं होगी। केसीआर ने कहा कि किसानों को सीधे नकद हस्तांतरण के रूप में मिलने वाली राशि प्रति एकड़ प्रति वर्ष दो – दो हजार रुपये बढ़ा दी जायेगी। वृद्धावस्था और विधवा पेंशन, चरणबद्ध तरीके से मौजूदा 2,016 से बढ़कर 5,000 रुपये हो जाएगी, विकलांगों के लिए पेंशन पांच वर्षों में चरणबद्ध तरीके से 6,000 की जाएगी। गरीबी रेखा से नीचे के सभी परिवारों को मृत्यु के मामलों में 5 लाख रुपये दिए जायेंगे। इन परिवारों को अस्पताल में इलाज के लिए 15 लाख रुपये मिलेंगे। मासिक राशन के रूप में बढ़िया चावल मिलेगा। सिलेंडर 400 रुपये में मिलेगा। भाजपा ने कितना दिलचस्प वादा किया था कि तेलंगाना में ओबीसी मुख्यमंत्री बनायेंगे।

उत्तर प्रदेश सांसद व विधायकों को लिहाज़ से सबसे बड़ा राज्य है। इस लिए सारी पॉलिटिकल पार्टियों का सब कुछ उत्तर प्रदेश में ही दांव पर लगता है। इसलिए उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने और जीतने के लिए पॉलिटिकल पार्टियाँ क्या करती हैं, यह भी जानना ज़रूरी हो जाता है। उत्तर प्रदेश में संकल्प पत्र, घोषणा पत्र , विजन डॉक्यूमेंट जो ही कहें। इसी के मार्फ़त सभी पॉलिटिकल पार्टियों ने अपने अपने वायदे किये।

सपा ने दो बोरी मुफ्त डीएपी खाद, बीपीएल परिवारों को दो मुफ्त गैस सिलिंडर, गरीबों को मुफ्त पेट्रोल-डीजल-सीएनजी, मुफ्त 300 यूनिट बिजली, 10 रुपये में गरीबों को खाना मुफ्त, लैपटॉप, गेहूं, चावल तेल मुफ्त देने के लिए अन्त्योदय योजना का ऐलान कर दिया। शिक्षा के जरिये एक करोड़ लोगों को रोजगार की व्यवस्था की जायेगी। आईटी सेक्टर में 22 लाख नौकरियां सृजित की जायेंगी।

भाजपा ने सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली, मेधावी छात्रों को मुफ्त स्कूटी, टेबलेट, स्मार्टफोन, होली दिवाली में मुफ्त गैस सिलिंडर, शादी के लिए एक लाख रुपये की आर्थिक मदद, प्रतियोगी छात्रों को मुफ्त कोचिंग, हर घर में कम से कम एक रोजगार और स्वरोजगार का अवसर देने के वादे किये।

दक्षिण भारत के तमाम राज्यों में मंगलसूत्र बंटते हैं। बच्चों के जन्म होने पर बच्चों की कीट बाँटी जाती है। लोगों को टेलीविजन भी बाँटने का चलन रहा है। सोने की अंगूठी, साड़ियाँ और इस तरह के तमाम प्रलोभन तो चुनावी दौर में आप को देखने को मिलते होंगे। ये वो प्रलोभन है जो पॉलिटिकल पॉर्टियां अपने डॉक्यूमेंट पर करती हैं। हर जगह कहती हैं। इसके साथ आप ने यह ही देखा होगा कि कई राज्यों में शराब और मुर्ग़ा भी तमाम उम्मीदवार अपने अपने मतदाताओं को देते हैं। यानि लोक लोक तंत्र को लोभ तंत्र में बदलने की कोई कोर कसर बाक़ी नहीं रखतीं। कोई पॉलिटिकल पार्टी ऐसी नहीं है, जो इससे अछूती हो। कोई नेता नहीं है जो इससे अछूता हो।

आख़िर क्या वजह है कि कोई नेता यह ब्लू प्रिंट पेश नहीं करता कि अगले पाँच दस सालों में हम आप को इतने आत्म निर्भर बना देंगे, किसी एक इलाक़े को इतना आत्म निर्भर बना देंगे, किसी एक ज़िले को इतना आत्म निर्भर बना देंगे कि वहाँ के लोगों को इन फ्री की रेवड़ी , फ्री के रसगुल्लों की ज़रूरत न पड़े। क्योंकि यह तो साफ़ है कि इन फ्री की चीजों को देकर के सिर्फ़ जीने का अधिकार दिया जा सकता है। आप का जीवन स्तर नहीं सुधारा जा सकता है। ये जो फ्री की चीजें हैं। वो हमारे आप के पॉकेट के पैसों से ही निकल कर जाती हैं। इसलिए अब राजनीतिक दलों को चाहिए, चुनाव आयोग की भी ज़िम्मेदारी बनती है कि वे इन दलों को कहें कि वे अपने संकल्प पत्र , घोषणा पत्र में विकास की बात करें, मुफ़्त के दावे करने वाले पॉलिटिकल पार्टी के खर्च में उनके सारे दावे जोड़ दिये जायें। अगर देश को विकास की ओर ले जाना है, ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी बनाना है। तो हर हाथ में पैसा बढ़ाना होगा। मुफ़्त खोरी से काम चलने वाला नहीं है। मतदाताओं की भी ज़िम्मेदारी बनती है कि जो आप को मुफ़्त खोरी करने की स्थितियाँ पैदा कर रहें हैं, इनका बॉयकॉट करें। अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश करें। 

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