India vs Pakistan: हार तो तय थी, क्या स्क्रिप्ट खुद टीम इंडिया ने लिखी ?
T20 World Cup: 24 अक्टूबर को खेले गए टी 20 वर्ल्ड कप में पाकिस्तान ने भारत को 10 विकेट से हरा दिया। क्या भारत की यह हार पहले से तय थी, क्या हार की स्क्रिप्ट टीम इंडिया ने पहले से ही लिखी थी ?
T20 World Cup: किसी भी खेल में जीत या हार ही होती है। इसे कम से कम खिलाड़ी स्पोर्ट्समैन स्पिरिट से लेते हैं। लेना भी चाहिए। पर हर नियम के अपवाद भी होते हैं। इस नियम का अपवाद तब कोई भी देख सकता है, जब भारत व पाकिस्तान के खिलाड़ी किसी खेल में आमने सामने हों। कल यानी रविवार (24 अक्टूबर) को जब विश्वकप के पहले मैच के मौक़े पर भारत व पाकिस्तान की टीमें जूझ रहीं थी। तब भारतीय टीम की पराजय के बाद दोनों देशों के नागरिकों की प्रतिक्रियाएँ, सोशल मीडिया पर पढ़ी जा रही थीं, जो यह बताती हैं कि हार जीत का रिश्ता केवल स्पोर्ट्समैन स्पिरिट तक ही नहीं होता है।
तभी तो इसे शर्मनाक पराजय कहा जा रहा है। कहा जा रहा है कि पाकिस्तान के केवल तीन खिलाड़ी ही भारत पर भारी पड़े। मैच तीन बनाम ग्यारह था। फिर भी भारत हार गया। इस पराजय का हर विश्लेषक व खेल प्रेमी अपनी अपनी समझ से विश्लेषण कर रहा है। पर इससे कोई इनकार नहीं कर सकता कि हमारे खिलाड़ी देश के लिए नहीं, अब अपने लिए खेलने लगे हैं। पैसों के लिए खेलने लगे हैं। उन्हें जब आईपीएल जैसे मैचों में हारने के पैसे मिल जाते हों फिर पैसों के लिए खेलने के अलावा चारा क्या रहता है।
हमारे खिलाड़ियों की आईपीएल में जो बोली लगी, वह जानना बेहद ज़रूरी हो जाता है। रोहित शर्मा - 15 करोड़, हार्दिक पंड्या - 11 करोड़, जसप्रीत बुमराह - 7 करोड़, ईशान किशन - 6.2 करोड़, सूर्यकुमार यादव - 3.2 करोड़, राहुल चहर - 1.9 करोड़, रविन्द्र जडेजा - 7 करोड़, शार्दुल ठाकुर - 2.6 करोड़, विराट कोहली - 17 करोड़, वरुण चक्रवर्ती - 4 करोड़, ऋषभ पंत - 8 करोड़, रामचंद्र आश्विन - 7.6 करोड़, भुवनेश्वर कुमार - 8.5 करोड़ ,केएल राहुल - 11 करोड़, मोहम्मद समी की - 4.8 करोड़ रुपये की बोली लगी थी।
इसी के साथ अब अपने क्रिकेट के सितारों की माली हालत भी जानना ज़रूरी है। इसके लिए इनके कारोबार व जिन ब्रांडों के ये एंबेसडर (Brand Ambassador of Indian Cricket Team) हैं, उनके बारे में भी जानना ज़रूरी हो जाता है।
विराट कोहली इंडियन क्लब लीग, गोवा के को-ओनर, खुद के व्रोग्न ब्रांड के कपड़े, चिजेल फिटनेस नामक फिटनेस सेंटर चेन, सपोर्ट कोन्वो नामक सोशल नेटवर्किंग स्टार्टअप, दिल्ली में नुएवा है। विराट कोहली - प्यूमा जूते, व्रोग्न कपडे, मुवे अकाऊस्टिक्स इलेक्ट्रॉनिक्स, टूयौम स्नैक्स फ़ूड, तिस्सोत घड़ी, मान्यवर ड्रेस, रॉयल चैलेंज शराब, अमेरिवन टूरिस्टर लगेज, बूस्ट एनर्जी ड्रिंक, एमआरऍफ़ टायर, उबर इंडिया, रेमिट टू इंडिया एप, फिलिप्स इंडिया. के ब्रांड एंबेसडर हैं।
रविन्द्र जडेजा के पास जद्दू फ़ूड फील्ड रेस्तरां राजकोट है। तो ऋषभ पंत - नॉइज़, जेएसडब्लूस्टील, हिमालय ड्रग्स, बूस्ट, कैडबरी, बोट, रियल मी के पोस्टर ब्वाय। हार्दिक पंड्या - ओप्पो, जिलेट, गल्फ आयल, बोट, ड्रीम इलेवन के तथा रोहित शर्मा - एडिडास, अरिस्तोक्राट, ड्रीम इलेवन का विज्ञापन करते नज़र आते हैं। जसप्रीत बुमराह - असिच्स, ओने प्लस, सीग्राम रॉयल स्टैग, जैगल, बोट, ड्रीम इलेवन तो रविन्द्र जडेजा - असिच्स, केएल राहुल - सीग्राम रौयल स्टैग , भुवनेश्वर कुमार - असिच्स, ऋषभ पन्त - बोट, ड्रीम इलेवन के लिए काम करते नज़र आते हैं।
बीसीसीआई वित्त वर्ष 2018-19 के अंत तक 14,489.80 करोड़ रुपये के साथ एक विशाल क्रिकेट बोर्ड बन चुका था। अब उसने अपनी वित्तीय क्षमता में 2,597.19 करोड़ रुपये और जोड़ लिए हैं। यह आंकड़े हालिया बैलेंस शीट के अनुसार हैं, जो कि न्यूज एजेंसी आईएएनएस के पास है।
बैलेंस शीट के अनुसार, इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के 2018 संस्करण के दौरान बीसीसीआई को 4,017.11 करोड़ रुपये से अधिक की आय हुई, जो कि 2,407.46 करोड़ रुपये है। बैलेंस शीट अभी भी सार्वजनिक रूप से उजागर नहीं है, जबकि 2019-20 का खाता भी अभी तैयार नहीं हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि बीसीसीआई के इन आंकड़ों में और उछाल देखा जा सकता है।
वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान बीसीसीआई को दूसरी सबसे बड़ी राजस्व राशि भारतीय टीम के मीडिया अधिकार से मिली थी। जो कि 828 करोड़ रुपये थी। उसी समय बीसीसीआई ने 1,592.12 करोड़ रुपये खर्च भी किया था। वित्तीय वर्ष 2014-15 के अंत में बीसीसीआई की कुल संपत्ति 5,438.61 करोड़ रुपये थी। 2015-16 के वित्तीय वर्ष के दौरान उसने 2,408.46 करोड़ रुपये की भारी राशि की कमाई की, जिसकी कुल संपत्ति बढ़कर 7,847.07 करोड़ रुपये हो गयी।
2016-17 में बीसीसीआई की 8,000 करोड़ रुपये के आंकड़े तक जा पहुंची थी। उसकी कुल संपत्ति 8,431.86 करोड़ रुपये की थी। 2017-18 में बोर्ड ने अपने मूल्य में एक ही वर्ष में 3,460.75 रुपये का इजाफा किया। उसने अपनी कुल संपत्ति 11,892.61 करोड़ रुपये तक पहुंचा दिया। अब 2018-19 की बैलेंस शीट के पूरा होने के बाद उसकी संपत्ति बढ़कर 14,889.80 करोड़ रुपये हो गयी है।
इंडियन प्रीमियर लीग से भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की कमाई को कई गुना बढ़ाने में मदद मिली है। अगले कुछ सालों में यह इतना बढ़ने वाला है, जिसकी कल्पना भी कुछ साल पहले तक नहीं की जा सकती थी। एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, आईपीएल के अगले चक्र के लिए प्रसारण अधिकार यानी ब्रॉडकास्टिंग अधिकारों की नीलामी से भारतीय बोर्ड को करीब 5 बिलियन डॉलर यानी लगभग 36,000 करोड़ रुपये की जबरदस्त कमाई होने की उम्मीद है। दो नई आईपीएल टीमों की नीलामी से जो कमाई होगी, वह अलग है। 2022 से लीग में दो नई टीमों के जुड़ने से मैचों की संख्या बढ़ेगी। ऐसे में जाहिर तौर पर ब्रॉडकास्ट के पास ज्यादा मौका होगा। यही अधिकार हासिल करने के लिए उसे अतिरिक्त रकम खर्च करनी होगी।
बीसीसीआई अधिकारी के हवाले से बताया, 'एक अमेरिकी कंपनी ने कुछ वक्त पहले बीसीसीआई को संकेत दिए थे, जिसमें उन्होंने आईपीएल के मीडिया राइट्स के लिए गंभीर रुचि जाहिर की थी। 2022 से आईपीएल में 10 टीमें होने जा रही हैं, जिसके कारण मैचों की संख्या 74 तक हो जाएगी और इस स्थिति में कीमत भी बढ़ेगी ही।' मीडिया अधिकार की कीमतों के बारे में बात करते हुए इस अधिकारी ने साथ ही बताया, 'दो टीमों से करीब 7 हजार करोड़ रुपए से 10 हजार करोड़ रुपये के बीच की कमाई होने की उम्मीद है। ऐसे में ब्रॉडकास्ट अधिकारों की कीमत भी आसमान छुएगी। इसलिए उम्मीद है कि आईपीएल ब्रॉडकास्ट राइट्स की कीमत 4 बिलियन डॉलर से ऊपर ही होगी और 5 बिलियन डॉलर तक जा सकती है।'आईपीएल का मौजूदा ब्रॉडकास्टिंग अधिकार स्टार इंडिया के पास है, जिसने 2018 से 2022 के बीच 5 साल के लिए करीब 16347 करोड़ रुपये यानी करीब ढाई बिलियन डॉलर खर्च किए हैं. 2022 सीजन के बाद स्टार का अधिकार खत्म हो जाएगा। 2023 से 2027 के बीच अगले 5 सालों के लिए नए ब्रॉडकास्टिंग राइट्स की नीलामी होगी।
BCCI में राजनीतिक दखल बहुत ज्यादा है। सभी पार्टियों के बड़े राजनेता समय-समय पर इससे जुड़े रहे हैं। अरुण जेटली और राजीव शुक्ला सरीखे नेता पार्टी के स्तर पर भले विरोधी रहे हों। लेकिन BCCI में 'खेल' के वक़्त एक होने के कई उदाहरण हैं। आईसीसी के कई अध्यक्षों ने बीसीसीआई से कई बार अपील की है, खासकर 2003 से 2006 के बीच पाकिस्तान के एहसान मनी ने, कि बोर्ड पेशेवर लोगों को अपने यहां ले। लेकिन बोर्ड ने इस सलाह को मानने से इनकार कर दिया। अंदर के लोगों की राय में बोर्ड को डर है कि पेशेवर लोगों के आने से उनकी सत्ता में दखल होगा ।
तत्कालीन खेल मंत्री अजय माकन ने बीसीसीआई को 2012 में खेल विधेयक के अंतर्गत लाने की कोशिश की थी, ताकि वह सूचना के अधिकार के तहत आ सके, पर संसद में जाने से पहले ही इस प्रस्ताव को गिरवा दिया गया। प्रत्येक राज्य संघ वोट देने वाले एक सदस्य के मातहत होता है। बीसीसीआई के मुनाफे से अपना पैसा लेता है। यह पैसा सालाना बांटा जाता है । भले ही यह तय करने का एक फॉर्मूला मौजूद है। बावजूद अधिकारी कहते हैं, 'कुछ छोटे संघ जिनका सालाना व्यय इस राशि का छोटा-सा हिस्सा होता है, उन्हें उनके बैंक खातों में पैसा भेज दिया जाता है। वे इसे कैसे खर्च करते हैं, इस बारे में उनसे कोई सवाल नहीं किया जाता।'
बोर्ड में कई आरामदेह स्थिति को बनाए रखने के लिए 90 के दशक में इन तरीकों को महीन बनाने का काम डालमिया ने किया था। उसे एक कला में तब्दील करने का काम श्रीनिवासन ने पिछले दो साल में किया। अपनों को बचा ले जाने और बाहरी व्यक्तियों को निबटा देने की बीसीसीआई की नीति आईपीएल के पूर्व चेयरमैन ललित मोदी के अर्श से फर्श पर आने के उदाहरण से समझी जा सकती है। जब-जब जो भी BCCI में घुसा उसने हमेशा दूसरे को सीमित कर दिया। यह हिट फार्मूला दशकों से चल रहा है।
दुनिया की सबसे अमीर क्रिकेट संस्था भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) क्रिकेट से होने वाली अपनी आय का आधा हिस्सा भी क्रिकेट पर खर्च नहीं करती। बीसीसीआई ने रेवड़ियां बांटकर असंतोष के हर संभावित स्वर को खामोश कर दिया है। इनमें कई बड़े पूर्व क्रिकेटर हैं, जो समय समय पर कमेंट्री करते रहे हैं, कोच बने या अन्य पदों का लाभ लेते रहे हैं।
पाकिस्तान ने पिछले चार साल में इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैण्ड, साउथ अफ्रीका, श्रीलंका, ज़िम्बाब्वे,के खिलाफ सीरीज खेली हैं। साथ ही कैरेबियन प्रीमियर लीग खेली हैं. ये सब पाकिस्तान के बाहर खेले गए हैं । क्योंकि पाकिस्तान का दौरा कई साल से किसी विदेशी टीम ने नहीं किया है।
जबकि भारत ने 2018 के बाद से अफगानिस्तान, इंग्लैंड, वेस्ट इंडीज़, ऑस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका, बांग्लादेश, न्यूज़ीलैण्ड, के खिलाफ सीरीज खेली हैं। कई सीरीज भारत में हुई हैं इसलिए पाकिस्तान की तुलना में भारत ने ज्यादा खेला है।
बावजूद इसके इस इतिहास से आँख नहीं चुरायी जा सकती है कि 1992 में पचास ओवर के विश्वकप में पहली बार भारत व पाकिस्तान आमने सामने आये थे। तब से पचास ओवर वाले हों या बीस ओवर वाले विश्वकप मैच पाकिस्तान की टीम हमेशा भारत से हारती आ रही है। पर यह भी कड़वी सच्चाई है कि कभी भारत ने ऐसी विजय दर्ज नहीं कराई। जैसी रविवार को पाकिस्तान ने दुबई के स्टेडियम पर दर्ज करायी।
पूरा मैच एकतरफ़ा रहा। पाकिस्तान हर मोर्चे पर भारत पर बढ़त बनाये दिखता रहा। भारतीय टीम बल्लेबाज़ी व बैटिंग कहीं जौहर नहीं दिखा सकी। भारतीय टीम की हार के प्रमुख कारणों में टीम चयन में विराट कोहली की मनमानी। सूर्या कुमार यादव, हार्दिक पंड्या और भुवनेश्वर कुमार को खिलाना। जबकि इशान किशन, शार्दुल ठाकुर और आश्विन को बाहर बैठाना। रोहित शर्मा और केएल राहुल की ख़राब ओपनिंग। पावर प्ले में ऋषभ पन्त और रविन्द्र जडेजा के ख़राब शॉट्स।
गेंदबाजों का फेलियर, बुमराह, शमी और भुवनेश्वर कुमार की गेंदबाजी बहुत ही औसत और सपाट रही। पूरी टीम में उत्साह की कमी और थकान जो शायद आईपीएल की वजह से है। इसी के साथ यह भी कहा जा सकता है कि विराट कोहली के टॉस गंवाने के साथ ही भारत की हार भी तय हो गई थी। अगर पिछले 8 मैच का रिकॉर्ड देखें तो साल 2018 के बाद टी-20 में भारत ने उन सभी मैचों को गंवाया है, जहां उसने पहले बल्लेबाजी करते हुए 160 से कम रन बनाए हैं। पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय ओपनिंग फेल रही। भारतीय टीम ने कुल 46 डॉट बॉल खेलीं, जिसकी वजह से प्रेशर बढ़ता गया। सिर्फ कप्तान विराट कोहली और ऋषभ पंत के अलावा कोई भी बड़ा स्कोर नहीं बना पाया। सूर्यकुमार यादव, रवींद्र जडेजा और हार्दिक पंड्या बड़ा स्कोर नहीं बना पाए। भारतीय टीम नहीं झेल पाई शाहीन आफरीदी का स्पेल।
पाकिस्तान टीम के जीत में यूएई में 5 साल से खेलने का अनुभव, पाकिस्तानी खिलाडियों को वहां की पिचों की अच्छी पहचान होना, कई खिलाड़ियों का करियर दांव पर होना, अच्छा नहीं खेले तो बाहर हो जायेंगे, बाबर आज़म और रिजवान का जबर्दस्त फॉर्म, शाहीन अफरीदी की गेंदबाजी और ओवरआल फील्डिंग शामिल रहे। इसी के साथ ओपनर बैट्समैन की उम्दा बल्लेबाजी , मैन ऑफ द मैच शाहीन शाह की शुरुआती झटके देकर मैच पर बनायी गयी पकड़, ओस के प्रभाव के बाद गेंद बल्ले पर अच्छी तरह से आ रही थी, जिससे पाक बैट्समैन को खेलने में आसानी हुई। डेथ ओवरों में पाक गेंदबाजों ने भारतीय बल्लेबाजों को खुलकर नहीं खेलने दिया।
परिणाम के बाद भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली पाकिस्तानी खिलाड़ी मोहम्मद रिज़वान को गले लगा रहे थे। तो हमारे दिमाग़ में यह बात कौंधी कि दोनों देशों के राजनेताओें में रिश्ते हैं, खिलाड़ियों में रिश्ते हैं। अवाम में रिश्ते बनाने की चाहत है। पर दुश्मनी क्या सिर्फ़ हमारे सैनिकों के बीच हैं। इनके बीच ही होनी चाहिए। यह सवाल इसलिए उठता है कि पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) के चेयरमैन रमीज राजा ने कहा कि पाकिस्तान का क्रिकेट बोर्ड पचास प्रतिशत आईसीसी की फंडिंग से चलता है। वहीं, आईसीसी को 90 प्रतिशत फंडिंग भारत से आती है। मुझे डर है कि अगर भारत आईसीसी को फंडिंग करना बंद कर देता है तो पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड पूरी तरह से खत्म हो सकता है। साफ़ है कि पाकिस्तान का क्रिकेट भारत से चल रहा है। पाकिस्तान को मोस्ट फेवर्ड नेशन की सूची से बाहर निकालने में हमें तक़रीबन सात दशक लगे। यह फ़ैसला हम पुलवामा अटैक के बाद ले पाये। आज भी पाकिस्तान को सामानों के कर विहीन आवाजाही की सुविधा है। रोटी बेटी का रिश्ता भी क़ायम है।
( लेखक पत्रकार हैं ।)