आया 30 हजार बार भूंकप: वजह है बेहद खतरनाक, सिर्फ 3 महीने में हुआ ऐसा
अंटार्कटिका पर तीन महीनों के अंदर 30 हजार से ज्यादा बार भूकंप आ चुके हैं। अगस्त महीने के अंत से लेकर अब तक यहां इतने भूकंप आए हैं। इस बात का खुलासा वैज्ञानिकों ने एक स्टडी में किया है।
नई दिल्ली: अंटार्कटिका (Antarctica) महाद्वीप पर एक या दो नहीं बल्कि 30 हजार से ज्यादा बार भूंकप आ चुके हैं। इतने सारे भूकंप एक साल या पांच सालों के दौरान नहीं आए हैं, बल्कि केवल तीन महीनों के अंदर ही यहां पर 30 हजार बार भूकंप (Earthquakes) आए हैं। इनमें से तो कई की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6 मापी गई थी। ये दावा चिली के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है। वैज्ञानिकों की मानें तो अगस्त महीने के अंत से लेकर अब तक हजारों बार महाद्वीपर भूकंप आए हैं। लेकिन आखिर क्या वजह है कि इस महाद्वीप को इतने भूकंप की मार झेलनी पड़ी।
क्या है इतने भूकंप आने की वजह?
यूनिवर्सिटी ऑफ चिली के भूगर्भ वैज्ञानिकों ने एक स्टडी में यह खुलासा किया है। यूनिवर्सिटी के नेशनल सीस्मोलॉजिकल सेंटर के वैज्ञानिक ने कहा कि अंटार्कटिका के ब्रैन्सफील्ड स्ट्रेट (Bransfield Strait) में 6 की तीव्रता वाले जोरदार भी भूकंप आए थे। बता दें कि ब्रैन्सफील्ड स्ट्रेट साउथ शेटलैंड आइलैंड्स और अंटार्कटिका प्रायद्वीप के बीच मौजूद 96 किलोमीटर चौड़ी समुद्री खाड़ी है। इसी खाड़ी के पास मिलन होता है कई बड़ी टेक्टोनिक प्लेटों और माइक्रोप्लेट्स का। इनमें होने वाले टकराव, घर्षण और बिखराव के चलते यहां पर तीन महीनों से ज्यादा भूकंप आ रहे हैं।
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टेक्टोनिक प्लेटों में हो रही हैं बहुत ज्यादा गतिविधियां
मीडिया रिपोर्ट्स में एक समाचार एजेंसी के हवाले से लिखा गया है कि कुछ सदियों पहले ब्रैन्सफील्ड स्ट्रेट सालाना सात से आठ मिलीमीटर फैलता था, लेकिन अब यह हर साल 15 सेंटीमीटर की गति से फैल रहा है। यानी टेक्टोनिक प्लेटों में बहुत ज्यादा गतिविधियां हो रही हैं, जो कि ब्रैन्सफील्ड स्ट्रेट के नीचे मौजूद हैं। बताया गया है कि ब्रैन्सफील्ड स्ट्रेट के फैलाव में तकरीबन बीस गुना बढ़ोत्तरी हुई है। यानी अंटार्कटिका से शेटलैंड आइलैंड्स तेजी से अलग हो रहा है। जिसके चलते ब्रैन्सफील्ड स्ट्रेट की चौड़ाई (Width) भी बढ़ती जा रही है।
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तेजी से पिघल रहा बर्फ
यह इलाका तेजी से गर्म होने वाला इलाका बनता जा रहा है। यही नहीं की बर्फ और ग्लेशियर भी तेजी से पिघलकर टूट रहे हैं, जिसकी वजह है ग्लोबल वॉर्मिंग। हालांकि वैज्ञानिकों को यह स्पष्ट नहीं है कि क्या है बर्फ के पिघलने और ग्लेशियर के टूटने के पीछे की वजह भूकंप भी है या नहीं। सैंटियागो यूनिवर्सिटी के पर्यावरण वैज्ञानिक रॉल कॉर्डेरो का कहना है कि इस बात की पक्के सबूत नहीं मिले हैं कि भूकंप के चलते महाद्वीप या उसके आसपास के इलाके में फैली बर्फ की चादरों पर कोई नुकसान हुआ है।
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