तालिबान को पंजशीर के विद्रोहियों ने ललकारा, कहा विरोध कभी नहीं रुकेगा
अहमद मसूद ने कि वो तालिबान के खिलाफ अपने विरोध को नही रोकेंगे...
काबुलः अफ़गानिस्तान में सरकार बनाने की कोशिशों में जुटे तालिबान को पंजशीर के विद्रोहियों ने ललकारा है। अहमद मसूद ने शनिवार को कहा कि वो भगवान, न्याय और आजादी के लिए कभी भी अपना विरोध नही रोकेंगे। वहीं, दूसरी ओर अफगानिस्तान में महिलाएं अपने अधिकारों को लेकर प्रदर्शन कर रही हैं, इससे यही साबित होता है कि अफगानी कभी भी हार नहीं मानेंगे।
तालिबान में कब्जे से पांजशीर दूर
आपको बता दें कि अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान से जाने के ऐलान के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था, लेकिन पंजशीर वैली वो इलाका है, जहां अब तक तालिबान अपना कब्जा नहीं जमा पाया है। यहां तालिबान विद्रोही गुटों ने उनके खिलाफ पिछले कई दिनों से मोर्चा खोल रखा है। तालिबान और विद्रोही गुटों के बीच कई बार हिंसक झड़प हो चुकी है।
क्या है चुनौतियां
अफगानिस्तान में तालिबान के सामने सबसे बड़ी चुनौती आर्थिक और सुरक्षा के मोर्चे पर है। 90 के दशक में जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर राज किया था तब यह एक गरीब कृषि आधारित देश था। उस समय तालिबान का पूरा फोकस इस्लाम की अपनी विचारधारा को थोपने पर लगा हुआ था, बाकी चीजों से तालिबान का कोई मतलब ही नहीं रहा। बन्दूक के बल पर अफगानी लोगों को रूढ़िवादी इस्लामी रंगढंग में ढालने में कोई कसर नहीं छोड़ी गयी थी।
लेकिन इस बार तालिबान को एक कहीं ज्यादा विकसित अफगानिस्तान मिला है। यहाँ के समाज में शिक्षित मिडिल क्लास भी पनप चुका है। लेकिन तालिबान को एक ऐसी अर्थव्यवस्था भी मिली है जो युद्ध और भ्रष्टाचार के चलते बुरी तरह पिटी हुई है। सरकारी तंत्र में ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार घुसा हुआ है।
तालिबान का कंट्रोल होने के पहले ही अफगानिस्तान में बेरोजगारी दर 30 फीसदी से ज्यादा थी। आलम यह है कि 50 फीसदी अफगानी जनता गरीबी के दलदल में फंसी हुई है। अमेरिका के 20 साल के कंट्रोल और खरबों डालर की सहायता के बावजूद अफगानिस्तान की माली हालत और लोगों की गरीबी दूर नहीं हो सकी है।