पाकिस्तान को सताने लगा टुकड़े होने का डर, तालिबान ने तैयार किया तबाही का रोडमैप

पाकिस्तान को अपने देश के टुकड़े होने का डर सताने लगा है। क्योंकि अफगानिस्तान में सत्ता पर काबिज होने के कुछ दिनों बाद जैसे ही तहरीक-ए-तालिबान के मौलवी फकीर को रिहा किया, तो पाकिस्तान के प्रमुख आतंकवादी संगठनों में हलचल तेज हो गई।

Newstrack :  Network
Published By :  Deepak Kumar
Update:2021-08-23 21:49 IST

तालिबान लड़ाके। (Social Media)

पूरी दुनिया में आतंकवादियों की शरणगाह बने पाकिस्तान के टुकड़े होने की अफगानिस्तान में नींव रखी जाने लगी है। यह नींव किसी और ने नहीं बल्कि पाकिस्तान के उस हिमायती अफगानी तालिबान ने रखी है, जिसने 15 अगस्त को अफगानिस्तान में तख्तापलट कर सत्ता काबिज कर ली।

अफगान तालिबानियों के साथ मिलकर पाकिस्तान में आतंकवादियों के सबसे बड़े संगठनों में से एक तहरीक-ए-तालिबान ने खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान की आजादी का रोडमैप तैयार कर लिया है। इसके लिए बाकायदा 'टॉप आठ' कमांडर की तैनाती भी कर दी गई है। बीते तीन दिनों से काबुल में अफगान तालिबान और तहरीक-ए-तालिबान के साथ पाकिस्तान में मुजाहिदों की नई फौज तैयार करने की बैठकें भी चल रही हैं।


पाकिस्तान को देश के टुकड़े होने का लगा सताने डर

पाकिस्तान को अपने देश के टुकड़े होने का डर सताने लगा है। यह डर पाकिस्तान का जायज भी है। क्योंकि अफगानिस्तान में सत्ता पर काबिज होने के कुछ दिनों बाद जैसे ही तहरीक-ए-तालिबान के मौलवी फकीर को रिहा किया, तो पाकिस्तान के प्रमुख आतंकवादी संगठनों में हलचल तेज हो गई। खुफिया विभाग में लंबे समय तक अपनी सेवाएं देने वाले विशेषज्ञ कर्नल जेडी रावत कहते हैं कि अफगानिस्तान की जेल से रिहा होने के बाद मौलवी फकीर ने काबुल की धरती से ही पाकिस्तान में अपने संगठन के कमांडरों से बातचीत शुरू कर दी।

खुफिया विभाग से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि तहरीक-ए-तालिबान के उप प्रमुख मौलवी फकीर ने बलूचिस्तान और खैबर पख्तून में आजादी की लड़ाई लड़ रहे जिहादियों को संबोधित किया। मौलवी फकीर ने इस दौरान अपने कमांडरों को संबोधित करते हुए इस बात पर जोर भी दिया कि अब पाकिस्तान में काफिर की व्यवस्था को बदलना होगा। इसके लिए सभी संसाधन इन आतंकवादियों को मुहैया कराए जाएंगे।

इन आठ लोगों के हाथ में है 'पाकिस्तान में तबाही का रोड मैप'

खुफिया सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान में बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा की आजादी के नाम पर पूरे देश में तबाही मचाने का रोड मैप 'नौ आतंकवादियों' को सौंपा गया है। ये वे आतंकवादी हैं जिन्हें पाकिस्तान की शह पर अफगानिस्तान की पुरानी सरकार ने जेलों में बंद कर रखा था। लेकिन अफगानिस्तान में तख्तापलट होते ही तालिबानी आतंकियों ने तहरीक-ए-तालिबान के संस्थापक बैतुल्लाह महसूद के कभी दाहिने हाथ रहे और उनके ड्राइवर कमांडर जोली को अफगानिस्तान में सत्ता पाने के बाद तालिबान ने रिहा कर दिया। इसके अलावा कमांडर वकास महसूद, हमजा महसूद, जरकावी महसूद, जैतुल्लाह महसूद, हमीदुल्लाह महसूद, डॉक्टर हमीद महसूद और मजहर महसूद समेत को भी रिहा कर दिया।

खुफिया सूत्रों के मुताबिक आतंकी संगठन के उप प्रमुख मौलवी फकीर ने इन आठों आतंकवादियों को पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान के मिलिशिया संगठनों से संपर्क कर वर्षों से चली आ रही आजादी की मांग को बुलंद करने के लिए कहा है। क्योंकि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान में जब जब आजादी की मांग करने वाले आतंकी संगठनों के साथ मिलकर अपनी योजनाओं को अंजाम देता है, तो देश में सिर्फ कत्लेआम मचता है। इस बात को लेकर पाकिस्तान अभी से खौफजदा है।


इन संगठनों से 8 आतंकवादियों ने संपर्क करना किया शुरू

बलूचिस्तान में लंबे समय से आजादी की मांग कर रहे थे आजादी समर्थक अल खैर मारी और तहरीक-ए-तालिबान के उप मुखिया मौलवी फकीर का भी कम्युनिकेशन शुरू हो चुका है। मौलवी फकीर ने जेल से रिहा होने के बाद पश्तूनों को पाकिस्तान से आजाद कराने और बलूचिस्तान में आजादी की मांग कर रहे तमाम संगठनों को सहयोग करने का भरोसा दिलाया है। खुफिया सूत्रों के मुताबिक अफगानिस्तान के तालिबानी संगठन की शह पर बलूचिस्तान में आजादी की मांग करने वाले संगठन बलूच राजी अलोई संगर संगठन, बलूच लिबरेशन फ्रंट, लश्कर-ए-बलूचिस्तान और बलोच रिपब्लिक आर्मी से तहरीक-ए-तालिबान के आठ आतंकवादियों ने संपर्क करना भी शुरू कर दिया है।

पाकिस्तान की राहें आने वाले दिनों में नहीं आसान

कर्नल रावत कहते हैं कि जिस तरीके की गतिविधियां अफगानिस्तान की जमीन से पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों की शुरू हुई हैं उससे समझा जा सकता है कि आने वाले दिनों में पाकिस्तान की राहें बहुत आसान नहीं हैं। पाकिस्तान को भी इस बात का अंदाजा है। यही वजह है पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जाहिद हमीद चौधरी ने अफगानिस्तान के तालिबानी शासकों से कहा है कि तहरीक-ए-तलिबान संगठन पर शिकंजा कसा जाए। लेकिन यहां उल्टा हो रहा है। पाकिस्तान की गुजारिश के बाद भी अफगानिस्तान तहरीक-ए-तालिबान के आतंकवादियों को लगातार रिहा कर रहा है। विदेशी मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की गुजारिश के बाद भी अफगानिस्तान के तालिबानी शासकों ने उसकी एक नहीं सुनी। इसका सीधा और स्पष्ट संदेश है कि पाकिस्तान के लिए राहें आने वाले दिनों में बहुत आसान नहीं हैं।


बहुत ही खतरनाक आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान

तहरीक-ए-तालिबान यह वही आतंकी संगठन है जिसने मलाला यूसुफजई पर हमला किया था। इसी संगठन ने पेशावर के एक स्कूल में 2014 में सवा सौ से ज्यादा स्कूली बच्चों का कत्लेआम कर दिया था। पाकिस्तान में आए दिन होने वाली जानलेवा वारदातों में तहरीक-ए-तालिबान का ही ज्यादातर हाथ होता है। रक्षा मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान में ज्यादातर आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान के साथ मिलकर घटनाओं को अंजाम देते हैं।

दरअसल, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान में शरिया कानून के माध्यम से सत्ता चलाने की मांग लंबे वर्षों से करता आया है। इस आतंकवादी संगठन के प्रमुख कमांडर ने मीडिया को दिए एक साक्षात्कार में कहा था कि पाकिस्तान दरअसल डबल गेम करता है। वह शरिया कानून के लिए अफगान तालिबानियों और दूसरे अन्य मुस्लिम संगठनों को हमेशा आगे बढ़ने और लड़ने की सलाह देता है । लेकिन जब बारी खुद की आती है तो इंटरनेशनल कम्युनिटी के दबाव की बात कहकर हाथ पीछे खींच लेता है। तहरीक-ए-तालिबान का कहना है अब ऐसा नहीं होने वाला। पाकिस्तान में अब काफिरों की व्यवस्था बहुत जल्द बदलेगी।

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