Gurdeep Randhawa: जर्मनी के चुनाव में गुरदीप सिंह रंधावा भी मैदान में

Gurdeep Randhawa: 64 साल के गुरदीप रंधावा पिछले 40 सालों से जर्मनी में रह रहे हैं। वे 1984 में जर्मनी आए थे और फिर यहीं के होकर रह गए।;

Newstrack :  Network
Update:2025-02-22 14:48 IST

Gurdeep Randhawa: यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश जर्मनी में 23 फरवरी को आम चुनाव होने हैं। दुनिया में भारतीय मूल के लोगों की पहुँच इस चुनाव में भी दिख रही है क्योंकि इस चुनाव में भारतीय मूल के गुरदीप सिंह रंधावा भी मैदान में हैं। जर्मनी की संसद बुंडेसटाग के लिए गुरदीप को क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (सीडीयू) ने उम्मीदवार बनाया है।

सबसे पुरानी पार्टी

सीडीयू जर्मनी की सबसे पुरानी और प्रमुख पार्टियों में से एक है। जनमत सर्वेक्षणों में सीडीयू और इसकी सहयोगी पार्टी क्रिश्चियन सोशल यूनियन (सीएसयू) को सबसे ज्यादा वोट मिलते दिख रहे हैं। हालांकि, गुरदीप के राज्य थुरिंजिया में सीडीयू को धुर-दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी से कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ रहा है। थुरिंजिया में पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में एएफडी (आल्टरनेटिव फॉर जर्मनी) सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। यहां उसे 32 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे। हालांकि बाकी दलों ने उसके साथ मिलकर सरकार बनाने से इनकार कर दिया था। जिसके बाद राज्य में दूसरे नंबर पर रही सीडीयू के नेतृत्व में सरकार बनी थी। सीडीयू नेता मारियो फॉइग्ट फिलहाल थुरिंजिया के मुख्यमंत्री हैं।


40 साल से जर्मनी में

64 साल के गुरदीप रंधावा पिछले 40 सालों से जर्मनी में रह रहे हैं। वे 1984 में जर्मनी आए थे और फिर यहीं के होकर रह गए। गुरदीप के पिता भारतीय सेना में अफसर थे इसलिए उनकी शुरुआती पढ़ाई सेना के स्कूलों में हुई। वे कहते हैं कि इस वजह से उनकी सोच काफी उदार है और वे सभी समुदायों को साथ लेकर चलना पसंद करते हैं। वे खुद को एक सिख नेता नहीं बल्कि पूरे भारतीय समुदाय का प्रतिनिधि मानते हैं। गुरदीप कहते हैं कि उन्हें इस चुनाव में हार या जीत से कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि उनके लिए सीडीयू जैसी पार्टी से सांसद पद का उम्मीदवार बनाया जाना बहुत बड़ी बात है। गुरदीप का कहना है कि वर्षों की मेहनत के बाद वे इस मुकाम तक पहुंचे हैं। वे कहते हैं कि शुरुआत में उन्होंने अपने इलाके में सीडीयू उम्मीदवारों का समर्थन करना शुरू किया और वर्ष 2000 के बाद सक्रिय रूप से पार्टी के लिए काम करने लगा। समय के साथ पार्टी ने काउंटी और जिले से लेकर राज्य स्तर तक उन्हें अहम जिम्मेदारियां सौंपीं।



जर्मनी में प्रवासी भारतीयों की एक अच्छी पहचान बनाई

गुरदीप अपनी सबसे बड़ी कामयाबी इस बात को मानते हैं कि उन्होंने जर्मनी में प्रवासी भारतीयों की एक अच्छी पहचान बनाई है। गुरदीप कहते हैं - हम नई पीढ़ी के लिए जमीन तैयार कर रहे हैं जिससे वे जर्मनी की राजनीति में हमसे भी ज्यादा सफल हो सकें। उन्हें उम्मीद है कि अगर सीडीयू के नेतृत्व में अगली सरकार बनती है तो वे भारत-जर्मनी के संबंधों को और मजबूत करने में अहम भूमिका निभाएंगे।

पिछले साल थुरिंजिया में हुए विधानसभा चुनावों में भी सीडीयू ने गुरदीप सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया था। सीडीयू के गुरदीप सिंह को लगातार मौके दिए जाने के पीछे कई वजहें हैं। थुरिंजिया के मुख्यमंत्री मारियो फॉइग्ट ने कहा कि उनकी पार्टी जर्मनी और भारत के बीच जो संबंध बनाना चाहते हैं, गुरदीप उसके उदाहरण और प्रेरणास्रोत हैं। मारियो के मुताबिक, गुरदीप थुरिंजिया में सीडीयू के पार्टी बोर्ड में शामिल होने वाले भारतीय समुदाय के पहले व्यक्ति हैं।

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