नसों में उगा मशरूम: युवक की इस हरकत ने पहुंचाया अस्पताल, हुआ ये हाल
यह शख्स मानसिक बीमारी से पीड़ित है। इस युवक का डिप्रेशन का इलाज चल रहा था। डिप्रेशन का इलाज करने वाले डॉक्टरों ने उसे साइकेडेलिक मशरूम खाने के लिए कहा था। जिस पर इस शख्स ने सोचा कि मशरूम खाने से बेहतर, इसे सीधे नसों में ही डाल दिया जाए। इसके बाद उसने मशरूम को उसका रस निकाला और सुई के जरिए अपने नसों में डाल लिया।
नेब्रास्का: बचपन में जब कभी फल या सब्जी का बीज पेट में चला जाता था तो घर के बड़े यहीं बोलते थे कि अब तो तुम्हारे पेट में पेड़ निकल जाएगा। इस बात से बच्चे काफी डर भी जाते हैं। भले ही ये बातें बड़े डराने के लिए और मजाक में बोलते थे, लेकिन अमेरिका में एक शख्स के साथ यह सच साबित हो गया है। उसने कुछ ऐसी हरकत की कि उसकी नसों में मशरूम उगने लगा, जिसके चलते उसे हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ा।
मशरूम का रस डाला शरीर में
ये मामला सामने आया है अमेरिका के नेब्रास्का से, जहां पर 30 वर्षीय शख्स ने मशरूम का रस निकाल कर सुई के जरिए अपने नसों में डाल लिया। जिसके बाद उसकी नसों में मशरूम उगने लगा। जिसके चलते शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया। जिसके बाद उसे अस्पताल में एडमिट कराना पड़ा। शख्स को बचाने के लिए डॉक्टरों को काफी ज्यादा मुश्किल का सामना करना पड़ा। अब उस युवक को कई सालों तक एंटीफंगल दवाइयां खानी होंगी।
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किसलिए युवक ने उठाया यह कदम
जानकारी के मुताबिक, यह शख्स मानसिक बीमारी से पीड़ित है। इस युवक का डिप्रेशन का इलाज चल रहा था। डिप्रेशन का इलाज करने वाले डॉक्टरों ने उसे साइकेडेलिक मशरूम खाने के लिए कहा था। जिस पर इस शख्स ने सोचा कि मशरूम खाने से बेहतर, इसे सीधे नसों में ही डाल दिया जाए। इसके बाद उसने मशरूम को उसका रस निकाला और सुई के जरिए अपने नसों में डाल लिया। दो दिनों बाद उसे काफी ज्यादा थकान महसूस होने लगी।
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कई अंगों ने काम करना किया बंद
यही नहीं उसने कुछ समय बाद ही खून की उल्टियां करनी शुरू कर दीं। डॉक्टरों ने जब उसकी जांच की तो पता चला कि युवक ने नसों जिस साइकेडेलिक मशरूम का पानी डाला था, उसके प्रभाव से इसकी नसों में मशरूम पैदा हो रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि मशरूम ने उसके लीवर में काफी ज्यादा घाव कर दिया था। साथ ही उसके कई अंगों ने भी काम करना बंद कर दिया था। उसे बचाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी।
पहले तो डॉक्टरों ने उसके खून को तुरंत बदला। शरीर में बचे हुए खून से टॉक्सिन निकालने के लिए उसे अस्पताल में 22 दिन तक रखा गया। अब शख्स को डिस्चार्ज कर दिया गया है। डॉक्टरों का कहना है कि उसे कई सालों तक तक एंटीबायोटिक और एक एंटीफंगल दवा खानी होगी।
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