फ्री कराची अभियान से बौखलाया पाक, वाशिंगटन-लन्दन में दिखे पोस्टर

भारत के पड़ोसी की नींद हराम हो गई है। कई मोर्चो पर संकट से झूझ रहे पाकिस्तान के लिए दुनिया भर से केवल बुरी खबरें आ रही है। वाशिंगटन टाइम्स में प्रकाशित फुल पेज के एक विज्ञापन ने उसे और भी परेशान कर दिया है। यह विज्ञापन है फ्री काराची अभियान का।

Update:2018-01-21 15:52 IST

वाशिंगटन: भारत के पड़ोसी की नींद हराम हो गई है। कई मोर्चो पर संकट से झूझ रहे पाकिस्तान के लिए दुनिया भर से केवल बुरी खबरें आ रही है। वाशिंगटन टाइम्स में प्रकाशित फुल पेज के एक विज्ञापन ने उसे और भी परेशान कर दिया है। यह विज्ञापन है फ्री काराची अभियान का। फ्री कराची के विज्ञापन को लेकर अमेरिका स्थित पाकिस्‍तान के राजदूत ने कड़ी नाराजगी जताते हुए इसको अमेरिकी विदेश विभाग के समक्ष उठाया है।

इसके जवाब में अमेरिका ने कहा है कि वह पाकिस्‍तान की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का पूरा सम्‍मान करता है। उनके मुताबिक इसी तरह का आश्‍वासन अमेरिका के वरिष्‍ठ अधिकारी ने पाकिस्‍तान दौरे पर भी दिया है। यह भी खबर है कि न्‍यूयॉर्क की सड़कों और कैब पर फ्री कराची कैंपेन को लेकर पोस्‍टर लगे हुए दिखाई दिए थे। हालांकि विरोध के बाद इन पोस्‍टर्स को हटा लिया गया था। इसके अलावा वाशिंगटन में भी इसी तरह के पोस्‍टर्स दिखाई दिए थे।

अमेरिका स्थित पाकिस्तानी राजदूत के अनुसार अमेरिका ने कहा है कि वह इस तरह के किसी भी कैंपेन का समर्थन नहीं करता है। हालांकि अमेरिकी अधिकारी ने यह भी कहा है कि वह नियमों के तहत केवल अमेरिका में बोलने की आजादी के अमेरिका में जगह मुहैया करवाता है। खबर के अनुसार इस कैंपेन से पाकिस्‍तान न सिर्फ अंदर तक हिल गया है बल्कि उसकी बौखलाहट भी अब साफतौर पर दिखाई देने लगी है।

फ्री कराची कैंपेन को लेकर यह बौखलाहट इसलिए भी है क्‍योंकि इस तरह की कैंपेन के पोस्‍टर्स लंदन से लेकर जिनेवा तक दिखाई दिए हैं।

इस बार इस मुहीम की ख़ास बात यह है कि अमेरिका में मुहाजिरों द्वारा शुरू किए गए फ्री कराची मुहिम में एक अमेरिकी सांसद भी शामिल नहीं हुए। यह आंदोलन पाकिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघन के खिलाफ छेड़ा गया है। अमेरिकी सांसद ने ट्रंप प्रशासन से कराची में मुहाजिरों के खिलाफ चलाए जा रहे मानवाधिकार दमन रोकने में हस्तक्षेप करने की मांग की है। अमेरिकी सांसद टॉम ग्रेट ने एक बयान जारी कर कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप का पाकिस्तान की मदद निलंबित करने का फैसला उनके नेतृत्व का एक स्पष्ट संकेत है। अमेरिका का सहयोगी बने रहने के लिए पाकिस्तान को आतंकवाद का पूरी तरह से उन्मूलन करना होगा। सबसे महत्वपूर्ण कराची में मुहाजिरों, बलूच, पख्तून एवं अन्य अल्पसंख्यक समुदायों को सेना, अर्धसैनिक एवं खुफिया विभाग द्वारा किया जा रहा दमन बंद होना चाहिए।

अमेरिकी सदन की विदेशी मामलों की समिति के सदस्य सांसद ग्रेट की यह टिप्पणी वाशिंगटन टाइम्स में प्रकाशित हुई है। फ्री कराची कैंपेन को लेकर वाशिंगटन टाइम्‍स की एक खबर में लिखा गया है कि कराची पाकिस्‍तान का सबसे बड़ा शहर है, जहां पर करीब तीन करोड़ लोग रहते हैं। यहां से सरकार को टैक्स के रूप में काफी धन मिलता है लेकिन बावजूद इसके यहां के लोगों की हालत खस्‍ता है। इस खबर के मुताबिक यहां पर रहने वाले जयादातर मुहाजिर है और ज्‍यादातर यंग जनरेशन यहां के स्‍कूल कॉलेजों में जाने की बजाए दूसरी जगहों पर पढ़ाई करना पसंद करती है। इसी खबर में यह भी लिखा गया है कि पाकिस्‍तान की सरकार चाहे वह फौजी रही हो या फिर लोकतांत्रिक सभी ने यहां के लोगों को नजरअंदाज किया है।

पाकिस्तानी सरकार और वह की मीडिया इस अभियान के पीछे भारत का हाथ होने की बात करते हैं। उनका सारा ध्यान भारत की ओर ही लगा हुआ है। जबकि भारत की तरफ से इस बारे में साफ किया गया है कि इस तरह के किसी अभियान में उसका कोई रोल नहीं है।

पाकिस्तान के लिए इस समय चलाया जा रहा यह अभियान इसलिए भी गंभीर हो गया है क्योकि बलूचिस्तान को लेकर पहले से ही चल रहे ऐसे अभियान को विश्वसमुदाय से काफी मदद मिली है और अलग बलूचिस्तान की मांग को समर्थन भी मिलने लगा है। अब कराची को लेकर छिड़े इस अभियान को यदि वैसी ही हवा मिलती है तो यह पकिस्तान के लिए आत्मघाती साबित होगा।

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