Genetic Restoration: 100 साल पहले विलुप्त हो गया जानवर फिर से होगा जिंदा

Genetic Restoration: ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में पाए जाने वाले धारीदार तस्मानियाई टाइगर का अब धरती पर नामोनिशान नहीं है, अब वैज्ञानिक इसे फिर से जीवित करने की कोशिश में हैं।

Written By :  Neel Mani Lal
Update: 2022-08-17 13:22 GMT

धारीदार मांसाहारी जानवर "तस्मानियाई टाइगर": Photo- Social Media

Genetic Restoration: ऑस्ट्रेलिया के जंगलों (Australia's forests) में पाए जाने वाले धारीदार मांसाहारी जानवर "तस्मानियाई टाइगर" का अब धरती पर नामोनिशान नहीं है क्योंकि ये करीब 100 साल पहले विलुप्त (extinct) हो चुके हैं। लेकिन अब वैज्ञानिक इसे फिर से जीवित करने की कोशिश में हैं। वैज्ञानिकों की इस महत्वाकांक्षी योजना में जेनेटिक्स, प्राचीन डीएनए और कृत्रिम प्रजनन जैसे उपायों का इस्तेमाल शामिल है। ये एक अत्यंत महत्वपूर्ण योजना है जो अगर सफल हो गई तो एक बहुत बड़ा रास्ता खुल जायेगा।

मेलबर्न विश्वविद्यालय (University of Melbourne) के प्रोफेसर और जेनेटिक रिस्टोरेशन रिसर्च लैब "थायलासीन इंटीग्रेटेड" के प्रमुख एंड्रयू पास्क ने कहा है कि - "हम इस बात की पुरजोर वकालत करेंगे कि सबसे पहले हमें अपनी जैव विविधता को और विलुप्त होने से बचाने की जरूरत है, लेकिन दुर्भाग्य से हम प्रजातियों के नुकसान में कमी नहीं देख रहे हैं।" उन्होंने कहा, "जेनेटिक रेस्टोरेशन तकनीक (Genetic Restoration Techniques) इसे ठीक करने का मौका देती है और जहां मूल प्रजातियां खत्म हो गई हैं उन असाधारण परिस्थितियों में इसे लागू किया जा सकता है।"

तस्मानियाई टाइगर सियार के आकार का होता है

यह परियोजना तकनीकी उद्यमी बेन लैम और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के आनुवंशिकीविद् जॉर्ज चर्च द्वारा स्थापित कोलोसल बायोसाइंसेज के साथ एक सहयोग है। ये लोग हजारों साल पहले पृथ्वी पर पाए जाने वाले "वूली मैमथ" को एक परिवर्तित रूप में वापस लाने के लिए 15 मिलियन डॉलर की परियोजना पर काम कर रहे हैं।

थायलासीन या तस्मानियाई टाइगर सियार के आकार का होता है। लगभग 2,000 साल पहले ऑस्ट्रेलियाई द्वीप तस्मानिया को छोड़कर लगभग हर जगह गायब हो गया था। आधुनिक समय में रहने वाले एकमात्र "मार्सुपियल एपेक्स" शिकारी के रूप में, इसने अपने पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन इसने इसे मनुष्यों के लिए अलोकप्रिय भी बना दिया।

1800 के दशक में तस्मानिया द्वीप पर बसने वाले यूरोपियन लोगों ने पशुधन के नुकसान के लिए "थायलासीन" को दोषी ठहराया और बड़े पैमाने पर इनका शिकार किया। बेंजामिन नाम का अंतिम थायलासीन 1936 में होबार्ट, तस्मानिया के ब्यूमरिस चिड़ियाघर में था जहां ठंड लगने से उसकी मृत्यु हो गई। थायलासीन को कुछ ही समय पहले संरक्षित दर्जा दिया गया था लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

 Photo- Social Media

आनुवंशिक खाका (genetic blueprint)

थायलासीन को वापस लौटाने की इस परियोजना में कई जटिल कदम शामिल हैं जिनमें जीन इंजीनियरिंग और कृत्रिम गर्भ का निर्माण जैसे अत्याधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी शामिल हैं। सबसे पहले, टीम विलुप्त जानवर के एक विस्तृत जीनोम का निर्माण करेगी और इसकी तुलना इसके निकटतम जीवित रिश्तेदार से करेगी। ये चूहे से थोड़ा बड़े आकार का मांसाहारी मार्सुपियल है। इसके बाद डनर्ट नामक इस जीव से जीवित कोशिकाएं ली जाएंगी और उनके डीएनए को उन सभी जगह संपादित किया जाएगा जहां यह थायलासीन से भिन्न होता है। मूलतः ये तस्मानियाई टाइगर की कोशिका बनाने के लिए डनार्ट सेल की इंजीनियरिंग है।

एक बार जब टीम एक सेल को सफलतापूर्वक प्रोग्राम कर लेगी, तो स्टेम सेल और प्रजनन तकनीक द्वारा उस सेल को एक जीवित जानवर में बदल दिया जाएगा। वैज्ञानिकों ने कहा है कि इस तकनीक के साथ अंतिम लक्ष्य इन प्रजातियों को जंगलों में वापस लौटाना है, जहां उन्होंने पारिस्थितिकी तंत्र में बेहद आवश्यक भूमिका निभाई है। वैज्ञानिकों को आशा है कि उन्हें एक दिन फिर से तस्मानियाई बुशलैंड में देखा जा सकेगा।

मोटी पूंछ वाला डनर्ट एक वयस्क तस्मानियाई टाइगर की तुलना में बहुत छोटा होता है, लेकिन वैज्ञानिकों ने कहा है कि सभी मार्सुपियल छोटे बच्चों को जन्म देते हैं, कभी-कभी चावल के दाने जितने छोटे। इसका मतलब यह है कि कम से कम प्रारंभिक अवस्था में, थायलासीन जैसे बड़े वयस्क जानवर के लिए एक चूहे के आकार का मार्सुपियल भी सरोगेट मदर के रूप में काम कर सकता है।

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