April Fool's Day 2022: आखिर कैसे हुई इसकी शुरुआत और क्यों मनाया जाता है मूर्ख दिवस
April Fool's Day 2022: इस दिन एक-दूसरे को बेवकूफ बनाने का बुरा भी नहीं माना जाता बल्कि लोग इसका आनंद लेते हैं।
April Fool's Day 2022: भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के तमाम देशों के लोगों को 1 अप्रैल की तारीख का बेसब्री से इंतजार रहता है। इसका कारण यह है कि 1 अप्रैल को पूरी दुनिया में 'अप्रैल फूल्स डे' (April Fool's Day) मनाया जाता है। तमाम जगहों पर इसे मूर्ख दिवस के रूप में भी जाना जाता है जिस दिन लोग एक-दूसरे को मूर्ख बनाने या उनके साथ मजाक करने का मौका नहीं छोड़ते। इस दिन एक-दूसरे को बेवकूफ बनाने का बुरा भी नहीं माना जाता बल्कि लोग इसका आनंद लेते हैं। लोगों को खुद पर भी हंसी आती है कि वे कितनी आसानी से बेवकूफ बन गए।
आज भी अप्रैल की वही पहली तारीख है और आज पूरे देश में दिन भर एक-दूसरे को मूर्ख बनाने का सिलसिला चलता रहेगा। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि अप्रैल फूल डे की शुरुआत कैसे हुई और क्यों बाद में इस तारीख को लोग एक-दूसरे को मूर्ख बना कर एंजॉय करने लगे।
इस तरह हुई मूर्ख दिवस की शुरुआत
एक अप्रैल को मूर्ख दिवस मनाने के पीछे एक मजेदार कहानी बताई जाती है। यह कहानी सैकड़ों साल पहले 1381 की है। इस कहानी के मुताबिक इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय और बोहेमिया की रानी ने अपनी सगाई का ऐलान किया। सभी लोगों को इस बात की जानकारी दी गई कि सगाई 32 मार्च 1381 को होगी।
इस ऐलान को सुनकर लोग इतना खुश हुए कि देश में कई स्थानों पर जश्न मनाया जाने लगा। कुछ समय तक तो लोग जश्न मनाते रहे मगर बाद में उन्हें अपनी मूर्खता का पता चला है क्योंकि कैलेंडर में 32 मार्च की तारीख होती ही नहीं है। जानकारों का कहना है कि इसके बाद ही 1 अप्रैल को मूर्ख दिवस है या अप्रैल फूल डे मनाने की शुरुआत हुई।
कुछ और दिलचस्प कहानियां भी
अप्रैल फूल से जुड़ी हुई एक और कहानी बताई जाती है। पहले यूरोप में हर साल 1 अप्रैल को नया साल मनाया जाता था। 1582 में पोप ग्रेगोरी 13 ने नया रोमन कैलेंडर अपनाने का निर्देश दिया। इसमें नया साल 1 जनवरी को मनाने की बात कही गई थी। रोम के अधिकांश लोगों ने इस नए कैलेंडर को अपना लिया मगर काफी संख्या में लोगों ने 1 अप्रैल को ही नया साल मनाने की परंपरा जारी रखी।
उनके इस कदम को देखते हुए दूसरे लोगों ने उन्हें मूर्ख बनाते हुए उनका मजाक उड़ाना शुरू कर दिया। बहुत से लोग अप्रैल फूल डे की कहानी लंदन में हुई एक घटना से जोड़कर भी देखते हैं।
1 अप्रैल 1860 को हुई इस घटना में काफी संख्या में लोगों को बेवकूफ बनना पड़ा था। उस समय टावर ऑफ़ लंदन में आम लोगों का प्रवेश वर्जित था मगर सफेद गधों के स्नान का कार्यक्रम देखने के लिए हजारों की भीड़ जुट गई थी। बाद में लोगों को पता चला कि उन्हें बेवकूफ बनाया गया है।
पूरी दुनिया में अलग अलग तरीके
दुनिया के विभिन्न देशों में अप्रैल फूल्स डे मनाने के अलग-अलग तरीके हैं। न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में केवल दोपहर तक ही एक-दूसरे को बेवकूफ बनाने का सिलसिला चला करता है जबकि इटली, ब्राजील, रूस, आयरलैंड और जापान आदि देशों में दिन भर अप्रैल फूल डे मनाने का दौर जारी रहता है।
भारत में इस तरह हुई शुरुआत
जानकारों का कहना है कि भारत में अप्रैल फूल डे मनाने की शुरुआत अंग्रेजों की ओर से की गई। 19वीं सदी में अंग्रेजों ने भारत में इसकी शुरुआत की और इसके बाद मूर्ख दिवस भारत में भी मनाया जाने लगा। इस दिन लोग एक-दूसरे को मूर्ख बनाने का कोई मौका नहीं छोड़ते।
मूर्ख दिवस के नाम पर देश के विभिन्न हिस्सों में कवि सम्मेलनों और अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिसमें जमकर ठहाके लगाए जाते हैं। मोबाइल क्रांति के इस दौर में लोग कॉल करने के साथ ही मैसेज और व्हाट्सएप संदेशों के जरिए भी एक-दूसरे को बेवकूफ बनाकर एंजॉय किया करते हैं।