बांग्लादेश में एक दशक से अल्पसंख्यक हिंदुओं को बनाया जा रहा निशाना, 3679 बार हो चुके हैं हमले

बांग्लादेश में मुस्लिम कट्टरपंथियों की भीड़ ने हिंदू इलाकों में घुसकर बर्बरता दिखाई है। पिछले 10 सालों में हिंदू अल्पसंख्यकों को 3679 बार हमलों का सामना करना पड़ा।

Newstrack :  Network
Published By :  Deepak Kumar
Update: 2021-10-20 05:18 GMT

बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमले। (Social Media)

बांग्लादेश में पिछले एक हफ्ते में हिंदू अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के दो बड़े मामले सामने आ चुके हैं। पहली घटना चांदपुर जिले में नवरात्रि के दौरान हुई, जहां चरमपंथियों की भीड़ ने हिंदू मंदिर पर हमला कर दिया। इस हमले में भगवान की मूर्तियों के साथ तोड़फोड़ की गई, हिंसा की इन ताजा वारदातों में कम से कम 6 लोगों की मौत हुई है। कई लोग घायल हुए हैं। कई पूजा पंडालों पर हमले हुए हैं ।जबकि हिंदुओं के घरों में भी आगजनी की गई। वहीं, संयुक्त राष्ट्र तक ने बांग्लादेश की सरकार से अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की अपील की है।

नवरात्रि पर बांग्लादेश की राजधानी ढाका से 100 किलोमीटर दूर स्थित कोमिल्ला में धर्म से जुड़े एक अफवाह का सहारा लेकर हिंदुओं के खिलाफ भीड़ को भड़काया गया और दुर्गा पूजा पंडालों, मंदिरों और हिंदू समुदाय के लोगों के घरों पर हमले किए गए, तोड़-फोड़ और आगजनी की गई। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने लोगों से शांति की अपील की और कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए । लेकिन हिंसा थमी नही। तीन दिन तक हिंसा का ये तांडव चलता रहा। कोमिल्ला से शुरू हुई हिंसा की यह आग नोआखली, फेनी सदर, चौमुहानी, रंगपुर, पीरगंज, चांदपुर, चटगांव, गाजीपुर, बंदरबन, चपैनवाबगंज और मौलवीबाजार समेत कई इलाकों में फैल गई। पूजा स्थलों में तोड़फोड़ की गई।

बांग्लादेश के गृह मंत्री ने इसे सुनियोजित हमला बताया है। अफवाहों के जरिए भीड़ को उकसाने के मामले में 54 लोगों को बांग्लादेश की पुलिस ने पकड़ा और सैंकड़ों लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया। बांग्लादेश के गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल ने कहा- "ऐसा पहले कभी नहीं हुआ क्योंकि लोग यहां सभी त्योहार खुशी से मनाते हैं।"

एक दशक से हो रही अल्पसंख्यक हिंदूओं पर हमले की घटनाएं

आपको बता दें कि इस देश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर हमले की कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी कई मौकों पर मुस्लिम कट्टरपंथियों की भीड़ ने हिंदू इलाकों में घुसकर बर्बरता दिखाई है। अगर पिछले 10 सालों की ही बात कर लें, तो बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को 3679 बार हमलों का सामना करना पड़ा। इस दौरान 1678 मामले धार्मिक स्थलों में तोड़फोड़ और हथियारबंद हमलों के सामने आए। इसके अलावा घरों-मकानों में तोड़-फोड़ और आगजनी समेत हिंदू समुदाय को निशाना बनाकर लगातार हमले किए गए। खासकर 2014 के चुनावों में अवामी लीग की जीत के बाद हिंसक घटनाएं बड़े पैमाने पर हुईं जिनमें हिंदू समुदाय को निशाना बनाया गया। इन हमलों में हिंदू समुदाय के 11 लोगों की जान गई तो 862 लोग जख्मी हुए।

बांग्लादेश में बढ़ता कट्टरपंथ और अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की वारदातें कोई नई नहीं हैं। लेकिन इस बार चिंता की बात ये है कि हिंसा की ये घटनाएं अब तक एक सीमित इलाकों में होती आई थीं। लेकिन पहली बार बांग्लादेश के काफी बड़े इलाके में एक साथ धार्मिक हिंसा भड़की है। पिछले एक दशक से इस ट्रेंड में तेजी आई है। 

सत्ता बदलती रही और हालात वैसे के वैसे

बांग्लादेश में हिंदू-बौद्ध क्रिश्चन यूनिटी काउंसिल के महासचिव राणा दासगुप्ता ने स्थानीय मीडिया से बात करते हुए कहा- बांग्लादेश में पिछले कुछ दशकों में सरकारें बदलती गईं । लेकिन अल्पसंख्यकों के हालात असुरक्षित ही रहे। 1990 के दशक में जब जनरल इरशाद की सरकार थी या 1992 में जब खालिदा जिया का शासन था तब भी अल्पसंख्यकों पर हमले होते थे। 2006 तक बीएमपी-जमात-ए-इस्लामी के शासन में भी हालात ऐसे ही रहे। लेकिन 2009 में जब शेख हसीना सरकार आई तो लगा था कि अब हालात बदलेंगे। लेकिन 2011 के बाद से अब तक हिंसक हमले न तो थमे हैं न ही कम होने की उम्मीद दिख रही है। हमलों के खौफ के कारण कहीं अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों का देश से पलायन शुरू होने की आशंका बढ़ती जा रही है। इसके लिए हम लोगों से मिलकर उन्हें सुरक्षा का भरोसा दिलाने की कोशिश कर रहे हैं। मदद पहुंचा रहे हैं

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