रोहिंग्या मुस्लिमों को इस द्वीप पर भेज रहा बांग्लादेश, मानवाधिकार संगठनों को आपत्ति
बांग्लादेश की सरकार की ओर से दिसंबर महीने में रोहिंग्या मुसलमानों का दूसरा जत्था मंगलवार को इस द्वीप पर भेजा जाएगा। हालांकि सरकार की ओर से दावा किया गया है कि इन रोहिंग्या मुसलमानों को स्वेच्छा से भासन चार द्वीप भेजा जा रहा है मगर मानवाधिकार संगठनों ने सरकार के इस कदम पर आपत्ति जताई है।
ढाका: बांग्लादेश में रोहिंग्या मुसलमानों को भासन चार द्वीप भेजने का सिलसिला जारी है। बांग्लादेश की सरकार की ओर से दिसंबर महीने में रोहिंग्या मुसलमानों का दूसरा जत्था मंगलवार को इस द्वीप पर भेजा जाएगा। हालांकि सरकार की ओर से दावा किया गया है कि इन रोहिंग्या मुसलमानों को स्वेच्छा से भासन चार द्वीप भेजा जा रहा है मगर मानवाधिकार संगठनों ने सरकार के इस कदम पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि रोहिंग्या मुस्लिमों को जबरन ऐसे द्वीप पर भेजा जा रहा है जहां बुनियादी सुविधाओं की काफी दिक्कत है। उनकी मांग है कि इस प्रक्रिया को रोका जाना चाहिए।
अब दूसरे जत्थे को भेजने की तैयारी
बांग्लादेश सरकार की ओर से इससे पहले 4 दिसंबर को 1642 रोहिंग्या मुस्लिमों को भासन चार द्वीप भेजा गया था। अब दिसंबर महीने में रोहिंग्या शरणार्थियों का दूसरा जत्था मंगलवार को इस द्वीप पर भेजा जाएगा। सरकारी अधिकारियों के मुताबिक दूसरे जत्थे में 1776 रोहिंग्या शरणार्थियों को नेवी के जहाज से इस द्वीप पर भेजा जाएगा। बांग्लादेश सरकार की ओर से दावा किया गया है कि रोहिंग्या शरणार्थियों के साथ किसी भी प्रकार की जोर जबर्दस्ती नहीं की जा रही है। केवल उन्हीं शरणार्थियों को भेजा जा रहा है जिन्होंने वहां जाने के संबंध में सहमति जताई है।
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बांग्लादेश सरकार ने किया यह दावा
बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में करीब आठ लाख से अधिक रोहिंग्या शरणार्थियों में डेरा डाल रखा है और बांग्लादेश सरकार शरणार्थियों को लेकर काफी परेशान है। बांग्लादेश सरकार इनमें से करीब एक लाख शरणार्थियों को भासन चार द्वीप भेजने की मुहिम में जुटी हुई है। बांग्लादेश के प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि पहले सरकार की ओर से 700 रोहिंग्या शरणार्थियों को द्वीप पर भेजने की तैयारी थी मगर 15 सौ से ज्यादा रोहिंग्या स्वेच्छा से वहां जाने के लिए तैयार है। सरकार की दलील है कि शरणार्थियों को द्वीप पर भेजने से शिविरों में अव्यवस्था कम हो जाएगी। रिफ्यूजी कल्याण विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि ये शरणार्थी कॉक्स बाजार से चटगांव पहुंच चुके हैं और चटगांव से इन्हें भासन चार ले जाया जाएगा।
द्वीप पर बुनियादी सुविधाओं का अभाव
हालांकि सरकार की ओर से दावा किया जा रहा है कि इन शरणार्थियों को स्वेच्छा से भासन चार आईलैंड पर ले जाया जा रहा है मगर मानवाधिकार समूह ने सरकार के इस कदम पर आपत्ति जताई है। इसका कारण यह है कि भासन चार द्वीप पर जीवन जीने की परिस्थितियां काफी कठिन हैं। बीस साल पहले समुद्र में खोजे गए इस द्वीप का अधिकांश हिस्सा मानसून के दौरान डूबा रहता है। यहां बुनियादी सुविधाओं का काफी अभाव है और यहां की जलवायु भी काफी मुश्किलें पैदा करती है।
शरणार्थियों को भेजने की प्रक्रिया रोकने की मांग
मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि बांग्लादेश सरकार की ओर से शरणार्थियों को द्वीप पर भेजे जाने का काम तत्काल प्रभाव से रोका जाना चाहिए। कई शरणार्थियों की भी शिकायत है कि द्वीप पर भेजे जाने वाले लोगों में उनके नाम भी शामिल हैं जबकि उन्होंने द्वीप पर जाने के संबंध में अपनी सहमति नहीं दी थी। वे पहले भी जोर जबर्दस्ती से राहत शिविरों से उन्हें जबरन भासन चार द्वीप भेजने की शिकायत कर चुके हैं। उनका कहना है कि इस संबंध में तैयार न होने वाले शरणार्थियों के साथ मारपीट की गई ताकि वे भी द्वीप पर जाने के लिए तैयार हो जाएं।
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शरणार्थियों को जबरन भेजने का आरोप
बांग्लादेश सरकार की ओर से इससे पहले 4 दिसंबर को रोहिंग्या शरणार्थियों को भासन चार द्वीप पर भेजा गया था। मानवाधिकार समूहों ह्यूमन राइट्स वाच और एमनेस्टी इंटरनेशनल का आरोप है कि तमाम शरणार्थियों को उनकी इच्छा के विपरीत द्वीप पर जाने के लिए मजबूर किया गया। बांग्लादेश सरकार की ओर से दावा किया गया है कि द्वीप को बाढ़ से बचाने के लिए यहां बांध बनाए गए हैं मगर जानकार लोगों का तर्क है कि सरकार की ओर से किए गए प्रयास नाकाफी हैं और अभी भी द्वीप के डूबने का खतरा बना हुआ है।
अंशुमान तिवारी
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