Barings Bank: ब्रिटेन की सबसे पुरानी बैंक को उसके कर्मचारी ने ही किया था कंगाल, जानें पूरी कहानी

Barings Bank: निक लीसन नामक ब्रिटिश युवक ने मात्र 28 साल की उम्र में कैसे एक दिग्गज बैंक को घुटनों पर ला दिया, इसकी कहानी बहुत दिलचस्प है।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update: 2022-11-08 05:47 GMT

nick leeson Broke Barings Bank (photo: social media )

Barings Bank: फाइनेंस के क्षेत्र में दुनिया में एक से एक बड़े फ्रॉड और घोटाले हुए हैं। भारत का हर्षद मेहता स्कैम 90 के दशक में सुर्खियों में छाया हुआ था। उसी दशक में ब्रिटेन की 233 साल पुरानी बैंक बेरिंग्स बैंक के साथ भी बड़ा फ्रॉड हुआ था। ये फ्रॉड इतना बड़ा था कि पूरी कंपनी कंगाल हो गई और महज 1 पाउंड यानी 93 रूपये में बिक गई। इस धोखाधड़ी को बैंक के एक कर्मचारी ने ही अंजाम दिया था। आज हम बैंक के उसी शातिर कर्मचारी के बारे में बात करेंगे, जो इतने व्यापक पैमाने पर धोखाधड़ी को अंजाम देन के बावजूद यूके में सुकून का जीवन जी रहा है।

निक लीसन नामक ब्रिटिश युवक ने मात्र 28 साल की उम्र में कैसे एक दिग्गज बैंक को घुटनों पर ला दिया, इसकी कहानी बहुत दिलचस्प है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, निक का जन्म 25 फरवरी 1967 को इंग्लैंड के वेटफोर्ड में हुआ था। 23 साल की उम्र में उसने मोर्गन स्टैनली (Morgan Stanly) नामक कंपनी से जॉब करना शुरू किया। लेकिन वह यहां ज्यादा दिनों तक टिक नहीं सका। प्रमोशन न मिलने से नाराज निक ने कंपनी छोड़ दी।

बेरिंग्स बैंक में शुरू की नौकरी

साल 1990 में निक लीसन ने बेरिंग्स बैंक में काम करना शुरू किया। निक को यहां के वर्क कल्चर में अपने लिए मौका दिखा। उसने देखा कि लोग सही से काम नहीं कर रहे थे और बैंक ने कई ऐसे लोन दिए थे, जिन्हें लोगों ने चुकाया भी नहीं था। निक ने इस पर फौरन काम करते हुए उन लोगों को ढूंढ़ा, जिन्हें बैंक की तरफ से लोन दिए गए थे। निक ने करीब 932 करोड़ रूपये के लोन को उजागर किया था। बैंक को इससे काफी फायदा हुआ और निक को पुरस्कृत करते हुए प्रमोशन दिया गया। शुरूआत से स्टॉक ट्रेडर बनने का ख्वाब पाले निक लीसन का सपना पूरा हो गया था।

सिंगापुर ब्रांच में मिली जिम्मेदारी

निक का ट्रांसफर सिंगापुर कर दिया गया, जहां उसे बड़ी जिम्मेदारी मिली। उसे सिंगापुर ब्रांच का फ्यूचर डिविजन प्रमुख बना दिया गया। सिंगापुर में उसका काम जापान के स्टॉक एक्सचेंज में स्टॉक्स पर बेट करना था। यहां पर निक का पहला साल काफी खराब गुजरा। बैंक को घाटे पर घाटा हो रहा था। ऐसे में निक को अपनी नौकरी गंवाने का डर सताने लगा। निक को इस मुसीबत से पार पाने के लिए एक तरकीब सूझी। उसने बैंक के घाटों को छिपाने के लिए एक गुप्त खाता बनाया, जिसमें इन स्टॉक्स को रखा जाता था। निक अपने घाटों को छुपाने के लिए बैंक से झूठ बोलना शुरू कर दिया।

आंखें मूंदे रहा बैंक

बैंक सिंगापुर में काम कर रहे अपने इस कर्मचारी पर आंखें मूंद कर भरोसा कर रहा था। बैंक का निक पर भरोसा तब और बढ़ गया जब साल 1993 में उसने 37 करोड़ 31 लाख भारतीय रुपये की कमाई करके दी। इससे निक का भी हौंसला बढ़ा और उसने और अधिक रिस्की बेट्स लगाना शुरू कर दिया। तब तक स्टॉक मार्केट में निक की छवि एक कामयाब ट्रेडर की बन चुकी थी, वो किसी भी कीमत पर इस छवि को कायम रखना चाहता था।

जैसे – जैसे समय बीतता गया बैंक पर निक की पकड़ बढ़ती गई। इस दौरान उसके सामने कई चुनौतियां आई और पकड़े जाने का खतरा भी आया। लेकिन हर बार उसने किसी न किसी प्रपंच के जरिए आने वाली हर मुसीबतों को टालने में सफल रहा। बैंक लगातार निक को क्लाइंट्स के लिए फंड मुहैया करा रहा था। बैंक का निक पर भरोसा इतना बढ़ गया था कि एक दिन में 9 करोड़ से अधिक रकम मांगने पर भी रिलीज कर दिया था। कई निवेशकों ने बैंक को निक को लेकर चेताया भी मगर बैंक ने उनकी चेतावनियों को अनसुना कर दिया।

एक गलती और खेल खत्म

निक लीसन सबसे पुराने ब्रिटिश बैंक के पास मौजूद कुल फंड का 75 प्रतिशत अकेले हैंडल करता था। निक बैंक का पोस्टर ब्यॉय बन चुका था। साल 1994 में जब बैंक में उसकी वाहवाही हो रही थी, उस साल उसने बैंक को 2 अरब रूपये से भी अधिक कमा कर दिए थे। सब कुछ अच्छा चल रहा था लेकिन निक से एक गलती हो गई। उसने 4 करोड़ से अधिक का एक घाटा छिपाना भूल गया। जब ऑडिटर्स ने इसे लेकर उससे सवाल किए, तो उसने एक फेक बैंक लोन का दस्तावेज बनाकर मामले को रफा-दफा कर दिया।

यहां पर उससे एक और चूक हुई, उसने ये दस्तावेज बैंक से नहीं बल्कि निजी फैक्स मशीन से भेजा था। बैंक क्लर्क ने ये गड़बड़ी पकड़ ली और निक से इस बारे में पूछना शुरू कर दिया। निक के पास इसका कोई जवाब नहीं था, वो समझ चुका था कि अब और चीजों को घुमाया नहीं जा सकता, सो एक दिन जब बैंक क्लर्क उसके घर पर पूछताछ के लिए गया तो निक ने पत्नी की खराब सेहत का बहाना बना घर से निकल गया। निक देश छोड़कर फरार हो चुका था।

महज 1 पाउंड में नीलाम हुई बैंक

कुछ दिनों बाद बैंक को निक का वह सीक्रेट अकाउंट भी हाथ लग गया, जिसमें वह घाटों को छिपाया करता था। उसमें दर्ज अमाउंट को देखकर बैंक के होश उड़ गए। घाटे की रकम 77 अरब रूपये को पार कर चुकी थी। बैंक सड़क पर आ चुकी थी। बेरिंग्स बैंक ने इंग्लैंड के सेंट्रल बैंक से मदद मांगी, लेकिन इससे भी कुछ नहीं हुआ। दो शताब्दियों से अधिक समय बिता चुका यह बैंक आखिरकर गिर गया और महज 1 पाउंड यानी 93 भारतीय रूपये में एक डच बैंक ने इसे खरीद लिया।

जर्मनी में पकड़ा गया निक

इतनी बड़ी धोखाधड़ी को अंजाम देकर फरार हुआ निक लीसन ज्यादा दिनों तक छिप नहीं सका। 30 नवंबर 1995 को उसे जर्मनी से गिरफ्तार कर सिंगापुर लाया गया। यहां उस पर मुकदमा चला और साढ़े 6 साल की सजा हुआ। लेकिन जेल में अच्छे बर्ताव के कारण उसे महज साढ़े तीन साल में ही रिहा कर दिया गया। इतने बड़े फ्रॉड के लिए निक को इतनी कम सजा मिलने पर हर कोई हैरान था। दरअसल, कोर्ट ने अपने फैसले में बैंक को इसके लिए जिम्मेदार माना। अदालत का कहना था कि बैंक ने बिना चेक किए निक को इतने सारे फंड्स दिए और ऑडिट होने के बावजूद ऑडिटर्स निक के सीक्रेट अकाउंट खोज नहीं पाए।

अच्छी जिंदगी जी रहा निक

साल 1999 में जेल से रिहा हुए निक को पेट का कैंसर हो गया था। उसने ब्रिटेन जाकर इसका इलाज करवाया। उसे अपनी गलती का एहसास है। मीडिया को दिए साक्षात्कार में उसने कहा कि वह कभी ऐसा नहीं कर पाता अगर एक भी सीनियर अपनी जॉब अच्छे से कर रहा होता। निक आज ब्रिटेन में अच्छी जिंदगी जी रहा है। उसकी लिखी किताब Rougue Trader पर एक मूवी भी बन चुकी है।

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