चांद से 2 किलो मिट्टी लेकर चीन का यान लौट रहा धरती की ओर, वजह जान चौंक जाएंगे
चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ने चांगई-5 स्पेसक्राफ्ट को चांद की उस सतह पर उतारा था, जहां पर करोड़ों साल पहले ज्वालामुखी होते थे। ये चांद का उत्तर-पश्चिम का इलाका है, जो हमें आंखों से दिखाई देता है।
बीजिंग: चांद की धरती से मिट्टी का सैंपल कलेक्ट करने का काम चीन ने पूरा कर लिया है। इस काम को पूरा करने में उसने स्पेसक्राफ्ट चांगई-5 की मदद की है।
मिट्टी का सैंपल कलेक्ट करने के बाद स्पेसक्राफ्ट चांगई-5 चांद की सतह से धरती पर उतरने के लिए उड़ान भर चुका है। इसी महीने में यह स्पेसक्राफ्ट चांद की धरती की दो किलोग्राम मिट्टी के साथ इनर मंगोलिया की धरती पर उतरेगा। ऐसा अनुमान जताया जा रहा है कि ये स्पेसक्राफ्ट 17 दिसंबर तक अपना मिशन खत्म खत्म करके धरती पर वापस लौट आएगा।
अगर चीन इस मिशन को सफलतापूर्वक पूरा कर लेता है तो ये उसके वैज्ञानिकों की एक बड़ी उपलब्धि होगी। बता दे कि चांगई-5 स्पेसक्राफ्ट 23 नवंबर की रात में साउथ चाइना सी से लॉन्च किया गया था।
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चांद के उत्तर-पश्चिम इलाके से कलेक्ट की मिट्टी
चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ने चांगई-5 स्पेसक्राफ्ट को चांद की उस सतह पर उतारा था, जहां पर करोड़ों साल पहले ज्वालामुखी होते थे। ये चांद का उत्तर-पश्चिम का इलाका है, जो हमें आंखों से दिखाई देता है।
सबसे पहले अमेरिका और फिर रूस ने 1960 और 70 के दशक में चांद से मिट्टी लाने का काम किया था। गौर करने वाली बात ये है कि चीन का चांगई-5 रोबोटिक स्पेसक्राफ्ट चांद पर ऐसी जगह पर उतरा है जहां पहले कोई मिशन नहीं भेजा गया।
उसने चांद की धरती से मिटटी कलेक्ट की और मंगलवार की रात चांद की सतह से टेकऑफ कर लिया।
चीनी मीडिया का कहना है कि चांगई-5 स्पेसक्राफ्ट के टेकऑफ के साथ ही चीन पहली बार इस तकनीक में महारथी हो जाएगा कि वह किसी अन्य अंतरिक्षीय ग्रह से अपने यान को उड़ा सके।
चीन का स्पेसक्राफ्ट 1.5 किलोग्राम पत्थर और धूल चांद की सतह से ला रहा है। 500 ग्राम मिट्टी जमीन के 6.6 फीट अंदर से खोदकर ला रहा है।
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चीन के वैज्ञानिकों को सता रहा है इस बात का डर
स्पेसक्राफ्ट के उड़ान भरने के साथ ही अभी चीन के वैज्ञानिकों की धड़कनें भी इस वक्त तेज हो गई हैं। उन्हें केवल एक ही बात का डर है कि इतनी लंबी यात्रा के दौरान कहीं ऐसा न हो कि कैप्सूल में रखी मिट्टी स्पेसक्राफ्ट के यंत्रों से चिपक न जाए।
धरती के वायुमंडल में घुसते ही यान को भारी गर्मी और घर्षण का सामना करना पड़ेगा। यह एक तनावपूर्ण पल होगा। इसकी वजह से यान के कई हिस्से ढीले हो सकते हैं।
अगर चीन इस मिशन को सफलतापूर्वक पूरा कर लेता है तो चांद की मिट्टी से खनिज, अन्य गैसों, रासायनिक प्रक्रियाओं और जीवन की संभावनाओं पर रिसर्च करने में मदद मिलेगी। साथ ही यह भी पता चलेगा कि चांद का भविष्य कैसा होगा।
गौरतलब है कि इससे पहले अमेरिकी और सोवियत संघ की मिट्टी की जांच करने पर पता चला था कि वहां पर अलग-अलग स्थानों पर मौजूद मिट्टी और पत्थरों की उम्र अलग-अलग है।
कोई 300 से 400 करोड़ पुराने हैं तो कुछ 130 से 140 करोड़ साल पुराने। चांद की सतह पर ज्वालामुखीय गतिविधियां बेहद जटिल रही हैं। उन्हें मिट्टी के सैंपल से समझने में शायद मदद मिल सकें।
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