China Spy Ship Yuan Wang 5: हरकतों से बाज नहीं आ रहा चीन, हिंद महासागर में बनाए बंदरगाह, उतारे जंगी जहाज

China Spy Ship Yuan Wang 5: श्रीलंकाई बंदरगाह हंबनटोटा में चीनी जासूसी जहाज युआन वांग 5 के आगमन को लेकर भारतीय खेमे में जबरदस्त खलबली मची थी।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update: 2022-08-18 14:18 GMT

China Spy Ship Yuan Wang 5। (Social Media)

Chinese Spy Ship Yuan Wang 5: भारत और चीन के रिश्ते (India And China Relations) हर गुजरते वक्त के साथ और अधिक जटिल होते जा रहे हैं। साल 1962 की युद्ध के बाद उत्रपन्न हुई अविश्वास खाई, आज तक भर नहीं पाई है। या इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि चीन ने कभी नहीं चाहा कि ये खाई कम हो। क्योंकि वो दुनिया का नया सुपर पॉवर बनना चाहता है। इसके लिए जरूरी है कि उसके घर के आसपास कोई ऐसी शक्ति न हो, जिसे दुनिया उसकी टक्कर या संभावित प्रतिदवंदी के रूप में माने।

इसलिए श्रीलंकाई बंदरगाह हंबनटोटा में चीनी जासूसी जहाज युआन वांग 5 के आगमन को लेकर भारतीय खेमे में जबरदस्त खलबली मची थी।ये ऐसे समय में हुआ जब भारत ने आर्थिक संकट के दलदल में फंसे श्रीलंका को मदद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। जबकि चीन ने एक तरह से मुंह फेर लिया था। ये घटनाक्रम भारत के पड़ोसी देशों में चीन के रूतबे को दर्शाता है। ये एक तरह से चीन द्वारा भारत को संदेश भी था कि वो इस इलाके का अभी भी बॉस है।

समुद्र में भारत को घेरने की कवायद

भारत उत्तर में चीन के साथ एक लंबी सीमा साझा करता है, उसका भारत के साथ कोई समुद्री सीमा नहीं है। लेकिन फिर भी चीन आज अरब सागर, हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी यानी भारत के तीनों तरफ अपनी मौजूदगी रखता है। अरब सागर में उसके पास पाकिस्तान जैसा सदाबाहर दोस्त है। दोनों दोस्त खुद को आयरन ब्रदर्स कहते हैं। पूरी दुनिया जानती है कि दोनों की दोस्ती की बुनियाद एक ही है वो है 'भारत विरोध'। चीन पाकिस्तान की इसी दोस्ती का फायदा उठाकर भारत के पश्चिम यानी अरब सागर में एक बंदरगाह बना रहा है, जो पाकिस्तान प्रांत ब्लूचिस्तान के ग्वादर में है। यूं तो ये चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) का हिस्सा है। लेकिन इसके असली मकसद से हर कोई वाकिफ है।

इसके बाद हिंद महासागर यानी भारत के दक्षिण में चीन ने श्रीलंका को अपने जाल में फंसाया। राजपक्षे भाइयों के शासन में चीन ने श्रीलंका को बोरे भर-भर कर कर्ज दिए। ऐसे प्रोजेक्टों में पैसा लगाया जो श्रीलंका के लिए अब सफेद हाथी साबित हो रहा है। उदाहरण के लिए राजपक्षे भाइयों का होमटाउन हंबनटोटा। यहां चीन ने भारी भरकम निवेश कर बंदरगाह समेत और इंफ्रास्टक्चर खड़े किए। गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा श्रीलंका इस भारी भरकम कर्ज की अदायगी नहीं कर सका और अंततः उसे 99 साल के पट्टे पर यह बंदरगाह चीन को सौंपना पड़ा। चीन के लिए ये बंदरगाह भारत के दक्षिणी हिस्से पर नजर रखने के लिए काफी अहम है। क्योंकि यहां से मात्र 450 किलोमीटर की दूरी पर तमिलनाडू का शहर कन्याकुमारी है। दक्षिण भारत में भारत के नौसेनिक अड्डे और परमाणु संयंत्र हैं। इसलिए भारत ने हाल फिलहाल में चीनी जासूसी जहाज युआन वांग 5 के यहां आने पर कड़ी आपत्ति जताई थी।

वहीं बंगाल की खाड़ी में चीन दो देशों पर दांव चलकर भारत को घेरने पर काम कर रहा है। एक बांग्लादेश है और दूसरा म्यांमार है। वैसे ये दोनों देश एक दूसरे के दुश्मन हैं। रोहिग्या शरणार्थियों के मुद्दे को लेकर दोनों के बीच तनाव चरम है। बांग्लादेश कई बार भारत से आग्रह कर चुका है कि वो इस मुद्दे को लेकर म्यांमार पर दवाब बनाए। लेकिन भारत की मजबूरी ये है कि अगर वह म्यांमार पर दवाब बनाने की कोशिश करता है तो वह तुरंत चीन के पाले में चला जाएगा। वह म्यांमार के क्यौकप्यू में पहले से ही एक बंदरगाह बनाने की योजना पर काम कर रहा है जो कि भारत के लिए एक झटका है। वहीं चीन ने बांग्लादेश के चटगांव बंदरगाह में भारी निवेश कर उसे भी अपने पक्ष में करने की कोशिश की है। लेकिन अभी तक बांग्लादेश ने अन्य पड़ोसी देशों की तरह आंख मूंदकर चीनी निवेश को स्वीकार किया है। इसी तरह चीन छोटा से द्वीपयी देश मालदीव में एंटी इंडिया सेंटीमेंट को बढ़ावा देते रहता है।

भारत की क्या है तैयारी

जमीनी सीमा में चीनी आक्रमकता का लंबे समय से सामना कर रहा भारत समुद में भी ड्रैगन की हरकतों पर चुप नहीं बैठा है। भारत भी अपने सीमित संसाधनों के बदौलत रणनीतिकि रूप से महत्वपूर्ण जगहों पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराने में जुटा हुआ है। उदाहरण के लिए पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह के ठीक बगले में भारत ईरान में चाबहार बंदरगाह परियोजना पर काम कर रहा है। इसी तरह श्रीलंका के उत्तर में त्रिंकोमाली बंदरगाह को लीज पर लेने के लिए उसने दवाब बनाया है। भारत मॉरीशस में एक नौसैनिक अड्डा बना रहा है। 

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