Chinese Spy Ship: भारत के मिसाइल परीक्षण से पहले, इंडियन ओसियन क्षेत्र में चीनी जासूसी पोत

Chinese Spy Ship: चीनी जासूसी जहाज हिंद महासागर में दाखिल हो चुके हैं। ये खबर ऐसे समय में आई है, जब भारत बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च करने वाला है। चीन का जहाज युआन वांग-5 फिर से हिंद महासागर में पहुंच गया है।

Update:2022-12-06 12:28 IST

Indian Ocean region: भारत चीन के साथ एक इंच समुद्री सीमा भी साझा नहीं करता। फिर भी ड्रैगन के जहाज भारतीय समुद्र तटों के आसपास मंडराते रहते हैं। चीन ने हाल के वर्षों में हिंद महासागर में अपनी दिलचस्पी बढ़ाई है, जिससे भारत के लिए एक नई चुनौती खड़ी हो गई है। चीनी जासूसी जहाज बार-बार इस क्षेत्र में दाखिल हो रहे हैं। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, जब कभी भारत में मिसाइल लॉन्च से जुड़ी गतिविधियों शुरू होती हैं, चीन चुपके से अपने जहाज को इस ओर रवाना कर देता है।

ये मुद्दा इसलिए सुर्खियों में है, क्योंकि खबर है कि एकबार फिर चीनी जासूसी जहाज हिंद महासागर में दाखिल हो चुके हैं। ये खबर ऐसे समय में आई है, जब भारत बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च करने वाला है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन का रिसर्च जहाज युआन वांग-5 सोमवार को एकबार फिर से हिंद महासागर में पहुंच गया है।

बताया जा रहा है कि चीनी जासूसी जहाज इंडोनेशिया के जावा तट के पास था। लेकिन जैसे ही भारत ने अंडमान निकोबार क्षेत्र में मिसाइल परीक्षण के लिए NOTAM (नोटिस टू एयरमेन / नोटिस टू एयर मिशन) जारी किया, चीनी जासूसी जहाज को हिंद महासागर में भेज दिया गया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि जहाज कहीं और जा रहा था लेकिन भारत के नोटम जारी करने के बाद उसने अपनी दिशा बदल कर हिंद महासागर की ओर कर ली।

नवंबर में कैंसिल करना पड़ा था परीक्षण

इससे पहले नवंबर में भी चीन ने हिंद महासागर में भारत की जासूसी करने के लिए युआन वांग-6 को भेज दिया था। भारत इस दौरान मिसाइल परीक्षण करने वाला था लेकिन चीनी जासूसी जहाज की मौजूदगी की खबर सामने आने के बाद इसे रोक दिया गया। ऐसे में सवाल उठता है कि इसबार भी भारत पिछली बार की तरह नोटम रद्द कर मिसाइल परीक्षण को टाल देगा।

जासूसी जहाज 750 किमी तक रख सकता है नजर

बता दें कि इससे पहले अगस्त में जब श्रीलंका में आर्थिक संकट के कारण राजनीतिक उथलपुथल मचा हुआ था तब ड्रैगन ने हंबनटोटा बंदरगाह पर अपने जासूसी जहाज को भेज दिया था। भारत के साथ – साथ अमेरिका ने भी इसका तीखा विरोध किया था। हंबनटोटा बंदरगाह पर जहाज की मौजूदगी से साउथ इंडिया में मौजूद संवेदनशील सैन्य ठिकाने की जासूसी का खतरा था। रक्षा जानकारों के मुताबिक, चीन का जासूसी जहाज 750 किमी तक आसानी से नजर रख सकता है। 

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