Corona Effect: भारतीयों में अचानक बढ़ा जीवन बीमा पालिसी लेने में इंटरेस्ट

तीसरी लहर आने से पहले युवा परिवार की सुरक्षा के लिए बीमा करवाने पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। ऑनलाइन साईट ‘इंश्योरेंस देखो’ के अनुसार टर्म इंश्योरेंस खरीदने वालों की तादाद मार्च की तुलना में मई में 70 फीसदी बढ़ गयी।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Pallavi Srivastava
Update:2021-06-18 14:12 IST

Life Insurance Policy: कोरोना महामारी ने लोगों की जिन्दगी पूरी तरह बदल दी है। भारत में इस बीमारी की इतनी दहशत है कि अब जीवन बीमा पालिसी लेने वालों की भीड़ बहुत तेजी से बढ़ गयी है। जिस तरह से कोरोना से संक्रमित लोगों की मौतें हुईं हैं उसने पूरा परिदृश्य बदल दिया है।


प्रोटेक्शन का इंतजाम

अभी तक तो युवा जीवन बीमा कराने से हिचकते थे या सिर्फ टैक्स बचत के लिए मजबूरी में बीमा कराते थे। लेकिन जब कोरोना की दूसरी लहर में देखा गया कि जवान लोग कोरोना का शिकार बन रहे हैं तो पूरी सोच ही बदल गई है। बड़ी बड़ी कंपनियों में काम करने वाले एग्जीक्यूटिव हों या टेक कंपनियों के कंप्यूटर प्रोग्रामर, अब ये सोच बन गयी है कि पहले अपने परिवार को पूरे प्रोटेक्शन का इंतजाम कर लेना चाहिए क्योंकि जिन्दगी का कोई भरोसा नहीं है।

लोगों ने कोरोना की दूसरी लहर में हुई बर्बादी को देखा है सो तीसरी लहर आने से पहले बीमा करवाने पर ज्यादा जोर है भारत के सबसे बड़े ऑनलाइन बीमा मध्यस्थ पालिसी बाजार के अनुसार, कोरोना की दूसरी लहर की चरम स्थिति के दौरान 25 से 35 वर्ष के युवाओं ने 30 फीसदी ज्यादा बीमा पालिसी खरीदीं। ऑनलाइन साईट 'इंश्योरेंस देखो' के अनुसार टर्म इंश्योरेंस खरीदने वालों की तादाद मार्च की तुलना में मई में 70 फीसदी बढ़ गयी। बीमा कंपनियों ने ये खुलासा नहीं किया कि कितने प्लान बेचे गए लेकिन इतना जरूर बताया कि दसियों हजार पॉलिसियां बेची गईं हैं। बीमा कंपनियों का कहना है कि कोरोना महामारी की वजह से लोगों, खासकर युवाओं में वित्तीय सुरक्षा और व्यापक बीमा कवरेज के प्रति जागरुकता बढ़ी है। लोग बीमा को आवश्यक मानकर उसे शीर्ष प्राथमिकता में रख रहे हैं। इनमें 35 वर्ष से कम उम्र के युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा है। बीमा एक्सपर्ट्स के अनुसार मिडिल क्लास परिवारों में अब रोटी, कपडा और मकान के बाद बीमा का स्थान आ गया है।

भारत में जीवन बीमा लेने वालों की तादाद हमेशा बहुत कम रही है। डेटा के अनुसार, 2019 में भारत में जीवन बीमा लेने वालों की संख्या मात्र 2.82 फीसदी थी, जबकि 2001 में ये 2.15 रही थी। यानी 18 साल में कोई खास अंतर नहीं आया है। विश्व में जीवन बीमा का औसत 2019 में 3.35 फीसदी था। भारत में जीवन बीमा न लेने का कारण लोगों के पास अतिरिक्त आमदनी की कमी है। लोगों के पास बेसिक जरूरतें पूरी करने के बाद जीवन बीमा खरीदने के लिए पैसा ही नहीं बचता है। 

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