Corona Vaccination: अब तक लगी हैं 12 अरब कोरोना वैक्सीनें, अगर न होती वैक्सीन तो क्या होता?
Corona Vaccination: टीकों ने भारत में 42 लाख, अमेरिका में 19 लाख, ब्राजील में 10 लाख, फ्रांस में 6 लाख और यूनाइटेड किंगडम में 5 लाख जानें बचाईं।
Lucknow: कोरोना महामारी (corona pandemic) की वजह से कितने लोगों की जान चली गई, इसका निश्चित आंकड़ा तो शायद कभी नहीं मिल पायेगा लेकिन इतना तो जरूर है कि मारने वालों की तादाद करोड़ों में तो जरूर है।
एक तथ्य ये भी है कि कोरोना की वैक्सीनों (Corona Vaccination) ने लोगों की जानें भी बचाई हैं। लेकिन जरा ये भी सोचिए कि अगर वैक्सीनें न होतीं तो क्या होता? कितने लोग मारे जाते? इस जिज्ञासा का जवाब तो मिल गया है।
लंदन के इम्पीरियल कॉलेज (Imperial College of London) के शोधकर्ताओं ने इसका अनुमान ये लगाया है कि वैक्सीन आने के पहले साल में कम से कम 2 करोड़ लोगों की जान बचाई गई थी, लेकिन इससे भी अधिक मौतों को रोका जा सकता था। अनुमान है कि टीकों ने भारत में 42 लाख, अमेरिका (America) में 19 लाख, ब्राजील में 10 लाख, फ्रांस में 6 लाख और यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) में 5 लाख जानें बचाईं। लांसेट पत्रिका में छपी इस स्टडी का आधार गणितीय कैलकुलेशन है।
ऐतिहासिक तेजी
इतिहास में किसी भी नए टीके की तुलना में कोरोना के टीके अत्यंत तेजी से विकसित किए गए थे। महामारी घोषित होने के बाद पहले दो वर्षों में। एक दर्जन नए टीके विकसित किए गए और 10 अरब से अधिक खुराक दी गईं। टीके का रोलआउट अभूतपूर्व था, लेकिन वितरण एकतरफा रहा है। सबसे अधिक आय वाले देशों में सबसे कम वाले देशों की तुलना में 10 गुना तेजी से टीका लगाया गया है।
जोखिम वाले लोग
कोरोना वैक्सीनेशन (corona vaccination) का सबसे ज्यादा लाभ कमजोर आबादी को हुआ जिनमें बुजुर्ग, इम्यूनिटी विहीन, और पहले से मौजूद बीमारियों वाले लोगों को हुआ। यही लोग सबसे ज्यादा जोखिम में थे। वैक्सीनेशन के चलते इन लोगों से वायरल ट्रांसमिशन धीमा हुआ और बिना वैक्सीन वाले व्यक्तियों की रक्षा भी हुई। वैक्सीनेशन कार्यक्रमों ने न केवल चल रही लहर को दबा दिया बल्कि बाद में आने वाली लहर से बचने में भी मदद मिली।
वैक्सीन अपडेट
- आंकड़ों के अनुसार, एक साल में इतिहास के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान में, 184 देशों में अब तक 12 अरब से अधिक कोरोना टीके की खुराक दी गई हैं। नवीनतम दर एक दिन में लगभग 92 लाख खुराक थी।
- अमेरिका में अब तक 59 करोड़ 40 लाख डोज दी जा चुकी हैं।
- भारत में अब तक 1,96,93,95,048 खुराकें लगाई जा चुकी हैं। यहां प्रति 100 लोगों को 142.9 खुराक दी गई है। 73.6 फीसदी लोगों को एक से ज्यादा खुराक मिल चुकी है तथा कुल 68.5 फीसदी लोग पूर्णतया वैक्सीनेटेड हो गए हैं, यानी दोनों खुराक पा चुके हैं। लेकिन बूस्टर डोज़ सिर्फ 3 फीसदी लोगों को लगी है। ये डेटा ब्लूमबर्ग वैक्सीन ट्रैकर का है।
- दुनिया में औसतन हर 100 लोगों के लिए 153 से अधिक खुराक दी गईं हैं। प्रति 100 लोगों पर 339 खुराक देने के साथ क्यूबा दुनिया में सबसे आगे है।
- 2021 की शुरुआत में इज़राइल ने सबसे पहले यह दिखाया कि टीके कोरोना संक्रमण को धीमा कर रहे थे। देश ने शुरुआती टीकाकरण में दुनिया का नेतृत्व किया, और मामलों में तेजी से गिरावट आई।
- विश्व स्तर पर, नवीनतम टीकाकरण दर प्रति दिन 91,96,906 खुराक है, जिसमें 2,679,658 लोगों को लगा पहला शॉट शामिल है। इस गति से दुनिया की 75 फीसदी आबादी को कम से कम एक खुराक मिलने में 9 महीने और लगेंगे।
कुछ संदेह
वैक्सीनों ने कितनी जानें बचाईं, इस बारे में लांसेट में छपी स्टडी पर कुछ लोगों द्वारा सवाल भी खड़े किए गए हैं। पहला सवाल ये है कि ये मैथेमेटिकल कैलकुलेशन पर आधारित स्टडी है और वैज्ञानिक शब्दों में, गणितीय मॉडलिंग अध्ययन मात्र एक "राय" के बराबर का प्रतिनिधित्व करते हैं।
दूसरा सवाल ये है कि एक भी मौत की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है। हम यह अनुमान नहीं लगा सकते हैं कि किसकी और कब मृत्यु होगी। कुछ लोगों के बारे में लगता है कि वे बहुत जोखिम में हैं लेकिन वे जीवित रह जाते हैं जबकि जो स्वस्थ दिखते हैं, वे मर सकते हैं।
एक बात ये भी है कि यह स्टडी इंपीरियल कॉलेज की अजरा गनी की अध्यक्षता वाले शोध समूह द्वारा की गई। इसे ग्लोबल अलायंस फॉर वैक्सीन इनिशिएटिव (गावी), बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, रोड्स ट्रस्ट, विश्व स्वास्थ्य संगठन और अन्य द्वारा वित्त पोषण में समर्थन दिया गया था। डॉ. गनी खुद एचएसबीसी, ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन और डब्लूएचओ के लिए सलाहकार के रूप में कार्य करती हैं।