Coronavirus Vaccine: वैक्सीनों से बनी एंटीबॉडीज ओमीक्रान के खिलाफ ज्यादा असरदार नहीं
Coronavirus Vaccine: यूके की हेल्थ सिक्यूरिटी एजेंसी ने कहा है कि आस्ट्रा ज़ेनेका और फाइजर की वैक्सीन से ओमीक्रान के लक्ष्ण वाले संक्रमण के खिलाफ बहुत कम सुरक्षा मिलती है जबकि डेल्टा संक्रमण के मामले में ऐसा नहीं है।
Coronavirus Vaccine: कोरोना की वैक्सीन (Corona Vaccine) लगने के बाद उत्पन्न बनी हुई एंटीबॉडीज (Antibodies) ओमीक्रान वेरियंट (Coronavirus Omicron Variant) के खिलाफ कम असरदार साबित हो रही हैं। ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) के शोधकर्ताओं ने कहा है कि फाइजर (Pfizer Vaccine) और आस्ट्राज़ेनेका (AstraZeneca Vaccine) की दो डोज़ लगने के बाद भी ओमीक्रान के खिलाफ एंटीबॉडीज (Omicron Ke Khilaf Antibodies) के लेवल कम बन रहे हैं। शोधकर्ताओं ने इन दोनों वैक्सीनों को पा चुके लोगों के खून के सैंपल की जांच की और कोरोना के नए वेरियंट (Corona New Variant) के साथ उनका मिलान किया। जांच में पता चला कि न्यूट्रालाइज़िंग एंटीबाडीज (Neutralizing Antibody) के लेवल में अच्छी खासी गिरावट हो गयी है।
इस रिसर्च के अलावा यूनाइटेड किंगडम की सरकार (United Kingdom Government) ने पिछले हफ्ते कुछ अध्ययनों के एजंकारी रिलीज़ की थी जिसमें कहा गया था कि ओमीक्रान में संक्रमण फैलाने की जबर्दस्त क्षमता है और इससे बचने के लिए बूस्टर डोज़ (Corona Booster Dose) जरूरी है। यूके की हेल्थ सिक्यूरिटी एजेंसी ने कहा है कि आस्ट्रा ज़ेनेका और फाइजर की वैक्सीन से ओमीक्रान के लक्ष्ण (Omicron Ke Lakshan) वाले संक्रमण के खिलाफ बहुत कम सुरक्षा मिलती है जबकि डेल्टा संक्रमण (Delta Variant) के मामले में ऐसा नहीं है। एजेंसी ने ये भी कहा है कि बूस्टर डोज़ से ओमीक्रान के खिलाफ सुरक्षा 70 से 75 फीसदी बढ़ जाती है।
ICMR की है अलग राय
आस्ट्रा ज़ेनेका द्वारा डेवलप की गयी कोरोना वैक्सीन भारत में कोवीशील्ड नाम से उपलब्ध है। जहाँ यूनाइटेड किंगडम में आस्ट्रा ज़ेनेका की वैक्सीन के बारे में ओमीक्रान के सन्दर्भ में रिसर्च कुछ और कह रही है वहीं भारत में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद यानी ICMR की कुछ और राय है। आईसीएमआर का कहना है कि न तो कोवीशील्ड की दो डोज़ के बीच अंतर कम करने के जरूरत है और न बूस्टर डोज़ की कोई जरूरत है। आईसीएमआर में महामारी विभाग के प्रमुख डॉ समिरन पांडा ने कहा है कि पहले अधिक से अधिक लोगों को वैक्सीन को दोनों खुराकें लगाने पर जोर देना चाहिए। तीसरी खुराक (Corona Vaccine Third Dose) के बारे में बाद में सोचा जा सकता है। डॉ पांडा ने कहा है कि दुनियाभर में ओमीक्रान संक्रमितों में हल्के लक्षण देखे जा रहे हैं। ऐसे में अचानक से तीसरी खुराक लगाने और कोविशील्ड की खुराकों के बीच अंतराल बढ़ाने जैसे कदम उठाने की जरूरत नहीं है।
उन्होंने कहा कि अधिक जोखिम का सामना करने वाले या कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों की जरूरत को देखते हुए तीसरी खुराक लगाने का फैसला बाद में लिया जा सकता है। डॉ पांडा ने कहा कि भारत में बूस्टर शॉट की जरूरत को लेकर आंकड़ों का अध्ययन किया जा रहा है और इस संबंध में बनी विशेषज्ञ समिति इस बारे में फैसला लेगी। उन्होंने कहा कि फिलहाल व्यस्कों का वैक्सीनेशन पूरा करने पर ध्यान केंद्रित होना चाहिए क्योंकि भारत के संदर्भ में यह रणनीति बेहतर काम करती हुई नजर आ रही है। वहीं खुराकों के बीच अंतराल को लेकर उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक सबूत दिखाते हैं कि यह अंतर उचित है।
डब्ल्यूएचओ ने फिर दी चेतावनी
ओमीक्रान के बारे में डब्ल्यूएचओ (WHO) लगातार देशों को आगाह कर रहा है और अब फिर उसने एक चेतावनी दी है। डब्लूएचओ ने कहा है कि ओमीक्रान वेरिएंट डेल्टा वेरिएंट से अधिक संक्रामक है और वैक्सीनें भी इसके खिलाफ कम प्रभावी साबित होती हैं। एक विश्लेषण में ओमीक्रान के कम गंभीर लक्षण पैदा करने की बात भी सामने आई है। डब्लूएचओ ने कहा है कि मौजूद डेटा से लगता है कि ओमीक्रान जल्द ही डेल्टा वेरिएंट को पीछे छोड़ देगा। ऐसा होने पर एक संभावना ये है कि कोरोना वायरस अब अपनी तीव्रता को चुका है और ये एक सामान्य मौसमी बीमारी बन कर रह जाएगा। लेकिन निश्चित तौर पर ऐसा कहने के लिए अभी पर्याप्त डेटा नहीं है।
दोस्तों देश और दुनिया की खबरों को तेजी से जानने के लिए बने रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलो करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।