Coronavirus: चीनी वैज्ञानिकों ने कैसे तैयार किया जानलेवा वायरस, वीडियो से सामने आई सच्चाई
Coronavirus: न्यूयॉर्क के एक एनजीओ प्रमुख का वीडियो सामने आया है, जिसमें वे वायरस को लेकर किस तरह लैब में काम चल रहा था उस बारे में बता रहे हैं।
Coronavirus: बीते एक साल से पूरी दुनिया कोरोना वायरस महामारी (Corona Virus Pandemic) के खिलाफ जंग लड़ रही है। इस वायरस की शुरुआत चीन के वुहान प्रांत से हुई। अमेरिका समेत कई देशों ने वुहान के लैब से वायरस के लीक होने का आरोप लगाया है। यही नहीं अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने तो सभी देशों से कोरोना से हुए नुकसान के लिए चीन से हर्जाना मांगने को कहा है।
वहीं, चीन के वुहान लैब से कोरोना वायरस के लीक होने के विवाद के बीच वुहान लैब के साथ काम करने वाले न्यूयॉर्क के एक एनजीओ (New York NGO) प्रमुख का वीडियो सामने आया है, जिसमें वे वायरस को लेकर किस तरह लैब में काम चल रहा था उस बारे में बता रहे हैं। इस वीडियो को देखकर पता चलता है कि वुहान की लैब (Wuhan Lab) में कोरोना जैसा एक वायरस तैयार किया गया था, जो जानलेवा था।
NIAID से एनजीओ को मिला था अनुदान
दरअसल, न्यूयॉर्क स्थित एक एनजीओ इकोहेल्थ एलायंस के प्रमुख पीटर दासजाक एक वीडियो सामने आने के बाद सवालों के घेरे में हैं। आपको बता दें कि इकोहेल्थ एलायंस संगठन चीन के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के साथ मिलकर 'गेन ऑफ फंक्शन' संबंधी रिसर्च कर रहा था। इस एनजीओ को अमेरिकी सरकार के NIAID यानी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज से अनुदान मिला था। जिसके प्रमुख अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के शीर्ष सलाहकार डॉ. एंथनी फाउची हैं।
अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पीटर दासजाक ने एक कार्यक्रम के दौरान वुहान लैब के साथ काम करने की बात को स्वीकारा है। जबकि बाइडन के शीर्ष सलाहकार डॉ. एंथनी फाउची वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में 'गेन ऑफ फंक्शन' संबंधी रिसर्च को फंडिग करने की बात से नकारते आए हैं।
वीडियो से हुआ ये खुलासा
सामने आए वीडियो में देखा जा सकता है कि पीटर दासजाक चीन में कोरोना वायरस को लेकर शोध के दौरान अपने सहयोगियों के काम की तारीफ करते नजर आ रहे हैं। इस वीडियो में न्यूयॉर्क स्थित एनजीओ प्रमुख दासजाक सिक्वेंसिंग के बारे में बताते हुए वायरस में स्पाइक प्रोटीन डालने की प्रक्रिया के बारे में बता रहे हैं, जो चीन में उनके सहयोगियों ने किया है। इसका उद्देश्य यह देखना था कि क्या यह मानवीय कोशिकाओं से जुड़ता है।
उन्होंने बताया कि हमने चमगादड़ों में कोरोना वायरस पाया जो बिल्कुल SARS की तरह ही दिखता था। इसलिए हमने स्पाइक प्रोटीन की सिक्वेंसिंग की। प्रोटीन को कोशिका के साथ जोड़ दिया। फिर छद्म पार्टिकल्स बनाते हैं। उन वायरस से स्पाइक प्रोटीन डालते हैं और देखते हैं कि क्या वे मानव कोशिकाओं से जुड़ते हैं। इस तरह आप वायरस के करीब और करीब जाते हैं।
एनजीओ प्रमुख ने कहा कि वास्तव में, यह लोगों में रोगजनक बन सकता है। उन्होंने कहा कि जब आप यह सब एक छोटे से वायरस के साथ करते हैं तो वो जानलेवा बन जाता है।
फाउची ने कहा बातचीत करने में कुछ भी गलत नहीं
वहीं बीते हफ्ते डॉ फाउची ने एक इंटरव्यू में ईको हेल्थ एलायंस के साथ ईमेल पर बातचीत करने और 2014 से 2019 के बीच ईको हेल्थ एलायंस के माध्यम से वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरॉलजी को छह लाख डॉलर का अनुदान देने की बात स्वीकारी है। इन अनुदान का उद्देश्य चमगादड़ के कोरोना वायरस पर रिसर्च करना था। आपको बता दें कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पार्टी ने . फाउची और पीटर दासजाक के बीच हुई बातचीत को लेकर सवाल खड़े किए थे।
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