Terrorist Organizations: जानिए उन 6 खूंखार आतंकी संगठन के बारे में जो दुनिया में लाना चाहते हैं कट्टर इस्लामिक सरकार

Terrorist Organizations: इन दिनों जो बड़ी चिंता है.. वो है आतंकी संगठन जी हां! आतंकी संगठन.. जिन्हें परोक्ष या अपरोक्ष तरीके से किसी न किसी देश का समर्थन मिलता है।

Newstrack :  Network
Published By :  Vidushi Mishra
Update:2022-04-08 14:39 IST

आतंकी संगठन (सोर्स-सोशल मीडिया)

Terrorist Organizations: दुनिया दो तरह के लोग चलाते हैं। एक राजनेता और दूसरे कारोबारी, और दोनों ही भरपूर तरीके से दोहन करने में लगे हैं। ऐसा कुछ भी नहीं जो उनसे बचा हो। चिंता की बात ये है कि ये दोनों मिलकर छोटे देशों में अराजकता फैलाने में लगे हैं। ताजातरीन उदहारण अमेरिका और रूस हैं। पाकिस्तान में मची उठापटक में अमेरिका का नाम आ रहा है। वहीँ युक्रेन को तबाह करने में रूस ने अपनी ताकत झोंक रखी है।

इसके बीच जो बड़ी चिंता है.. वो है आतंकी संगठन जी हां! आतंकी संगठन.. जिन्हें परोक्ष या अपरोक्ष तरीके से किसी न किसी देश का समर्थन मिलता है। कोई भी ऐसा आतंकी संगठन नहीं है जिसे कोई न कोई देश ट्रेनिंग, रसद, धन और हथियार मुहैया ना कराता हो। अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनने के बाद से ये आतंकी आका खासे खुश हैं। आइए नजर डालते हैं किन देशों पर किन आतंकी संगठन की नजर गडी है..

आईएसआईएस
ISIS


इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) जून 2014 को दुनिया के सामने आया जिस पहले इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड द लेवेंट (आईएसआईएल) कहा जाता था। पहले ये सिर्फ इराक एवं सीरिया में सक्रिय एक सुन्नी सैन्य ग्रुप भर था। लेकिन अब ये इराक, सीरिया के साथ ही अफगानिस्तान, अफ्रीका में भी सक्रीय है।

इसके बाद इसके निशाने पर जॉर्डन, इजरायल, फिलिस्तीन, लेबनान, कुवैत, साइप्रस और दक्षिणी तुर्की हैं। अरबी में इसे अल दौलतुल इस्लामिया फिल इराक वल शाम कहते है। जिसे हिन्दी में इराक एवं शाम का इस्लामी राज्य कहेंगे। सीरिया का प्राचीन नाम शाम है।

आईएसआईएस ने 29 जून 2014 को अपने सुप्रीमो इब्राहिम अव्वद अल-बद्री उर्फ अबु बक्र अल-बगदादी को मुसलमानों का खलीफा घोषित कर दिया। इसके लड़कों की ट्रेनिंग अल कायदा ने दी थी।

आपको जानकर हैरानी होगी कि यदि ये आतंकी संगठन न होकर कंपनी होता तो काफी बड़ी कंपनी होती। ऐसा इसलिए क्योंकि इसका बजट 2 अरब डॉलर का है।

टीटीपी
TTP

तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान जिसे टीटीपी या पाकिस्तानी तालिबान के नाम से भी जानते हैं। पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा के पास फाटा में इसका केंद्र है। ये तालिबान से जुड़ा नहीं है। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान दिसम्बर 2007 को उस समय सामने आया जब बेयतुल्लाह महसूद ने 13 कट्टरपंथी गुटों को एक तहरीक में शामिल किया और ये नाम दिया। जनवरी 2013 में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने घोषणा की कि वो पाकिस्तान और भारत में शरिया-आधारित अमीरात बनाने वाले हैं।

अलकायदा
Al Qaeda 

अलकायदा (फोटो-सोशल मीडिया)

एक समय अलकायदा दुनिया का सबसे बड़ा आतंकी संगठन था। जिसने सुपर पावर अमेरिका तक को दहला दिया था। लेकिन ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद काफी कमजोर हुआ। लकिन अब ये तालिबानी सरकार की मदद से फिर से सर उठा रहा है। रिपोर्ट्स की मानें तो अफगानिस्तान इसके आतंकियों को हर तरह की मदद दे रहा है। अलकायदा के आतंकी काफी पढ़े लिखे होते हैं। इनमें अधिकतर यूरोप और अमेरिका निवासी शामिल हैं। अलकायदा यूरोप और अमेरिका पर कब्जे का मंसूबा रखता है।

लश्कर ए तैय्यबा और जैश ए मोहम्मद ('ख़ुद्दाम उल-इस्लाम)
Lashkar-e-Taiba

Lashkar-e-Taiba (फोटो-सोशल मीडिया)

लश्कर-ए-तैयबा को 1980 के दशक में लाहौर विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग के प्रोफेसर हफिज मोहम्मद सईद ने सीआइए के मदद से शुरू किया। ये पहले अमेरिका की शह पर अफगानिस्तान में सोवियत संघ के खिलाफ लड़ रहा था।

जैश-ए-मुहम्मद की बात करें तो इसको बनाया मसूद अजहर ने मार्च 2000 में। फिलहाल जैश-ए-मुहम्मद 'ख़ुद्दाम उल-इस्लाम' नाम से आतंकी गतिविधियों में शामिल है।

आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद (ख़ुद्दाम उल-इस्लाम) और लश्कर ए तैय्यबा को खुलेआम पाकिस्तान सरकार का समर्थन हासिल है। भारत इसके निशाने पर है और वो यहाँ अफगानिस्तान की तरह इस्लामिक सरकार बनाने के मनसूबे पाले हुए है। कुछ समय पहले पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख रशीद अहमद ने कहा भी था कि आतंकियों के परिवार रवात, लोई बेर, बारा काहू और तरनोल में रहते हैं। आतंकियों का इलाज भी पाकिस्तान में होता है।

बोको हराम
Boko Haram

बोको हराम को वर्ष 2002 में मौलवी मोहम्मद युसुफ ने तैयार किया। वर्ष 2009 में इसका सुप्रीमो बना अबुबकर शेकाऊ। अगस्त 2016 में ये इस्लामिक स्टेट का बगलगीर बन गया। बोको हराम की आतंकी घटनाओं में अबतक लाखों लोग जान गवां चुके हैं।

बोको हराम नाइजीरिया के अलावा चाड, नाइजर और उत्तरी कैमरून समेत कई अफ्रीकी देश शरिया सरकार लाना चाहता है।

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