'टाइम फॉर नेचर' की थीम पर विश्व पर्यावरण दिवस,जानिए प्रदूषण से होनेवाली बीमारियों को
विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून को मनाया जाता है और पूरी दुनिया में संदेश दिया जाता है कि हमें हर हाल में पर्यावरण की रक्षा करना है। दुनिया में पहली बार विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 1972 को मनाया गया था। इसकी शुरुआत स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम से हुई थी तब 119 देशों ने इसमें हिस्सा लिया था।
नई दिल्ली : विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून को मनाया जाता है और पूरी दुनिया में संदेश दिया जाता है कि हमें हर हाल में पर्यावरण की रक्षा करना है। दुनिया में पहली बार विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 1972 को मनाया गया था। इसकी शुरुआत स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम से हुई थी तब 119 देशों ने इसमें हिस्सा लिया था। उसके बाद से यह सिलसिला चला आ रहा है। हर साल विश्व पर्यावरण दिवस( World Environment Day) की थीम तय की जाती है और पूरी दुनिया में उसी आधार पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस बार की थीम है 'समय और प्रकृति('टाइम फॉर नेचर')
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इस साल 3 माह में समझ आ गया कि यह समय सिर्फ और सिर्फ प्रकृति की देखभाल के लिए ही है।हम प्रकृति को जो देंगे वो हमें वही वापस करेगी। हम चाहें तो बढ़ते हुए प्रदूषण को भी रोक सकते हैं और प्रदूषण के कारण होनेवाली जानलेवा बीमारियों को भी...
ये बीमारियां वायु प्रदूषण के कारण होती हैं। जबकि जल प्रदूषण के कारण पेट संबंधी रोग अधिक होते हैं। इसके साथ ही यदि पैस्ट्रिसाइट्स के चलते मिट्टी में कैमिल्स की मात्रा बहुत अधिक बढ़ जाती है तो ऐसी प्रदूषित जमीन में उपजनेवाली फसल के सेवन से कैंसर के मरीजों की संख्या में बढ़ती है।
रेस्पॉरेट्री डिजीज
*वायु प्रदूषण के कारण श्वांस से संबंधित रोग अधिक होते हैं। यानी रेस्पॉरेट्री डिजीज अधिक होती हैं। इनमें गले से संबंधित रोग, फेफड़ों से संबंधित बीमारियां और लंग्स कैसर आदि अधिक होते हैं। इसके साथ वायु प्रदूषण से लेड पॉइजिंग जैसी त्वचा संबंधी बीमारियां भी होती हैं। इन बीमारियों के कारण पेशंट की जान पर अक्सर जोखिम बन जाता है।
*जल प्रदूषण के कारण हमें पेट और त्वचा संबंधी रोग अधिक होते हैं। लूज मोशन, डायरिया, डिसेंट्री (पॉटी के साथ ब्लड आना), उल्टियां आना जैसी बीमारियां आमतौर पर जल प्रदूषण के कारण होती हैं। यदि इन बीमारियों की वजह दूर कर सही समय पर इलाज ना मिल पाए तो मरीजों की जान भी चली जाती है। क्योंकि मामूली लगनेवाली ये दिक्कतें पेशंट के शरीर को अंदर से बहुत कमजोर कर देती हैं।
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*भू प्रदूषण इसमें हम भूमि और मिट्टी को प्रदूषित कर रहे हैं। इनमें फसलों पर पैस्ट्रिसाइट्स का उपयोग और कारखानों से निकलनेवाले कैमिकल युक्त पानी को जमीन में डालने जैसी गलतियां शामिल हैं। कैमिकल युक्त मिट्टी में उपजी फसलें और जमीन में जानेवाला कैमिकल युक्त पानी मिलकर हमें लिवर कैंसर, लिवर एब्सेस, कोलोन कैंसर, ट्यूमर जैसी जानलेवा बीमारियों का मरीज बना देते हैं।
*कुछ बीमारियां ऐसी हैं, जो वायु और जल दोनों तरह के प्रदूषण के कारण होती हैं। इनमें त्वचा संबंधी बीमारियां शामिल हैं। जैसे स्किन कैंसर, स्किन इंफेक्शन आदि। जानकार हैरानी होगी की सड़क पर बिछाए जानेवाले तारकोल से भी वायु प्रदूषण बढ़ता है। इस प्रदूषण के कारण स्किन डिजीज के केस बढ़ सकते हैं। तारकोल से होनेवाली प्रदूषण के चलते स्किन कैंसर जैसा गंभीर रोग हो सकता है।
इस बार अलग होगा विश्व पर्यावरण दिवस
कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण इस बार का विश्व पर्यावरण दिवस बिल्कुल अलग रहने वाला है। इस बार लोग अपने घरों में ही रहकर पर्यावरण को बचाने का संकल्प लेंगे। वैसे घर में रहकर भी पर्यावरण दिवस मनाया जा सकता है। जैसे यदि आप पर्यावरण को बचाना चाहते हैं तो अपने घर में पेड़ पौधे लगाएं। रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली चीजें ऐसी इस्तेमाल करें जो रीसायकल हो सकें।पॉलिथीन का इस्तेमाल बिल्कुल ना करें। उसकी जगह कपड़े की थैली का इस्तेमाल करें। बिजली का उपयोग कम से कम करें। फ्रिज और AC जैसे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले साधनों का इस्तेमाल कम से कम करें। कचरा खुले में न फेंके पानी बचाएं। इधर-उधर ना थूकें। अपने साथ-साथ दूसरों की भी सेहत का ख्याल रखें। पशु पक्षियों का ख्याल रखें। इन्हीं बहुत छोटी बातों का पालन करेंगे तो पर्यावरण स्वस्थ रहेगा और हमारी आने वाली पीढ़ी भी स्वस्थ रहेंगी।