तिल-तिल कर जलता आस्ट्रेलिया: जिंदा जले करोड़ों जानवर, खतरे में देश

वैज्ञानिकों ने गर्म और शुष्क मौसम को लेकर एक चेतावनी जारी की है। क्योंकि इसके चलते आग के मामले और ज़्यादा बढ़ेंगे। ऑस्ट्रेलिया के कई हिस्सों में कुछ सालों से सूखे के हालात हैं, जिसकी वजह से आग पकड़ना और फैलना आसान हो जाता है।

Update:2020-01-13 17:45 IST

नई दिल्ली: आस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग की चर्चा ने दुनिया भर फ़ैल गयी हैं ऐसा कोई भी जगह नही बची होगी जहां इस घटना ने ध्यान नहीं आकृष्ट किया हो, आस्ट्रेलिया का सिडनी एक सप्ताह से जलता जा रहा हैं, इस आग की खबर को सुनकर लोग देश-दुनिया पर आने वाले संकट पर अपनी चिंता व्यक्त कर रहे हैं,|

ऑस्ट्रेलिया के कुछ इलाकों में आग बूझते ही एक दूसरा संकट सामने आ रहा हैं, लेकिन एक बड़े नुकसान की ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है कि, इन समस्याओं में जल की कमी और हवा का प्रदूषित बहुत ज्यादा प्रभावित होने वाला हैं। इसके अलावा जैव विविधता के विशेषज्ञों ने इस ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए विशेषज्ञों ने कुछ तस्वीरें पेश की हैं जिसमें आग बहुत नुकसान पहुचाते नजर आ रहे हैं जो चौंकाने के साथ-साथ बहुत ही ज्यादा भयानक है। आइए जानते हैं कि,ऐसी वह कौन सी चीज है जिस पर अभी तक किसी का ध्यान नहीं गया?

अब तक एक लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र जलकर राख हो चुके हैं

बता दें कि ऑस्ट्रेलिया के जिन जंगलों में आग लगी है, वह जैव विविधता के वजह से बेहद उपयोगी इलाका हैं,जहां लाखों, करोड़ों नहीं बल्कि अरबों प्रजाति के जीव-जंतु पाए जाते है। किसी ने भी इस विषय ओर ध्याेन नहीं दिया। जंगल में लगी इस आग की लपटें इन प्रजातियों का पूरी तरह से नाश कर सकती है या नही|

इसकी जानकारी देते हुए जैव विविधता के विशेषज्ञों ने कहा है कि, यह कई प्रजातियों के लिए खतरे की घंटी है, ये आग कितनी भयानक है कि इसका अंदाज़ा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि इस आग से अब तक एक लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र जलकर राख हो चुके हैं।

भीषण आग के कारण वह खतरे में है ऑस्ट्रेलिया

उन्होंने कहा कि, 600,000 से 700,000 ऐसी प्रजातियां है जो पूरी दुनिया में कहीं नहीं पाई जाती हैं, कई प्रजातियां ऐसी है जो केवल इसी जंगल में पाई जाती है। ऐसे में इन पूरी प्रजातियों का नामोनिशान ही नही रहेगा। इस भीषण आग के कारण वह आज खतरे में है,और पानी की कमी का असर इंसान और जानवरों के बीच कठिन संघर्ष के रूप में सामने आ रहा है और आगे भी बढ़ता दिखाई देगा।

इस बड़े जंगली इलाके में जीव जंतुओं के अलावा 250,000 कीट की भी प्रजातियों पर बड़ा संकट मंडरा रह है। खास बात यह है कि, ये कीटों की प्रजाति सिर्फ इसी जंगल में पाए जाते हैं। कई दिनों तक आग लगी रहने के कारण इनमें कई प्रजातिया तो खत्म हो गई हैं या खत्म होने के कगार पर हैं, लेकिन इन प्रजातियों पर भी किसी का ध्याान नहीं गया। कीटों की यह प्रजाति जंगलों की जैव विविधता के विशेषज्ञों के लिए बहुत ही ज्यादा उपयोगी है।

रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिणी पूर्वी ऑस्ट्रेलिया में दो जंगली क्षेत्र में आग शुरू हुई थी, जो कुछ ही मिनटों में 15 लाख एकड़ के क्षेत्र में फैल गई है, इस आग से अब तक तीन हजार से ज्यादा घर ध्वस्त हो गए हैं और 26 लोगों की जान चली गई हैं। साथ ही इस आग में एक अरब से ज्यादा जानवर मर गए हैं और जानवरों की जान खतरे में है।

आग से जो नुकसान हुआ है, उसकी तुलना करना संभव नहीं

सिडनी यूनिवर्सिटी में ताजा आकड़ों की जानकारी सामने आई है यूनिवर्सिटी की तरफ से, जारी बयान में प्रोफेसर क्रिस डिकमैन ने कहा है कि, आग से जो नुकसान हुआ है, उसकी तुलना करना संभव नहीं है, इस अग्निकांड से जानवरों पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ा है। साथ ही इसका एक असर पानी के कई प्राकृतिक स्रोत पर भी पड़ रहा हैं ऐसे में सबसे बड़ा संकट ऊंटों के समक्ष खड़ा हो गया है, दक्षिण ऑस्ट्रेलिया में हज़ारों ऊंटों की मौत हो सकती हैं|

इस इलाक़े में रहने वाले लोगों का कहना है कि, इस भीषण गर्मी और सूखे के संकट को देखते हुए एक क़दम उठाया है, क्योंकि भीषण गर्मी ऊंट कस्बों और इमारतों को नुक़सान पहुंचा रहे हैं। और ऊंट पानी की तलाश में गलियों में घूम रहे हैं, जिससे छोटे बच्चों और दूसरे लोगों के लिए जान का ख़तरा हो सकता है।

ऑस्ट्रेलिया का तापमान 1910 के बाद से एक डिग्री सेल्सियस बढ़ा

वैज्ञानिकों ने गर्म और शुष्क मौसम को लेकर एक चेतावनी जारी की है। क्योंकि इसके चलते आग के मामले और ज़्यादा बढ़ेंगे। ऑस्ट्रेलिया के कई हिस्सों में कुछ सालों से सूखे के हालात हैं, जिसकी वजह से आग पकड़ना और फैलना आसान हो जाता है।

आंकड़े बताते हैं कि, ऑस्ट्रेलिया का तापमान 1910 के बाद से एक डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है। "ब्यूरो ऑफ मेटिअरोलजी" के मुताबिक़ 1950 के बाद से तापमान ज़्यादा गर्म होना शुरू हुआ है इसको देखते हुए मौसम वैज्ञानिकों ने भी चेतावनी दी है कि, ऑस्ट्रेलिया में गर्म तापमान और आग का ख़तरा आगे भी बना रहेगा।

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