Bangladesh : खालिदा ज़िया की बीमारी पर बांग्लादेश में बवाल
पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा ज़िया ढेरों बीमारियों से ग्रसित हैं और चलने फिरने से लाचार हैं।
Khaleda Zia : बांग्लादेश में पिछले एक महीने से एक अलग तरह का बवाल चल रहा है, पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा ज़िया को लेकर। दरअसल खालिदा (Khaleda Zia) ढेरों बीमारियों से ग्रसित हैं और चलने फिरने से लाचार हैं। लेकिन उनको इलाज के लिए देश से बाहर जाने की इजाजत नहीं दी जा रही है।
इसीलिए बांग्लादेश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के समर्थक देश भर में महीने भर से जगह जगह प्रदर्शन और बवाल मचाये हुए हैं।खालिदा ज़िया (Khaleda Zia) की बांग्लादेश नेशनल पार्टी के छात्र विंग का हफ्ते भर का देशव्यापी विरोध 4 दिसम्बर को खत्म हुआ है और अब दूसरे प्रदर्शनों की तैयारी है।
ज़िया का इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि 76 वर्षीय खालिदा (Khaleda Zia) का लिवर सिरोसिस(liver cirrhosis) काफी एडवांस स्टेज में पहुंच चुका है और अगर उनको इलाज के लिए तत्काल विदेश नहीं ले जाया गया तो उनकी जान बचाना मुश्किल होगा। खालिदाज़िया को भ्रष्टाचार के मामले में 2018 में दस साल कैद की सज़ा सुनाई गई थी और इसलिए वह देश से बाहर नहीं जा सकती हैं।
दो बेगमों की लड़ाई
कई दशकों से खालिदा ज़िया और वर्तमान प्रधानमंत्री तथा सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी की प्रमुख, शेख हसीना बारी बारी से बांग्लादेश में सत्तासीन होती रही हैं। एक चुनाव में अवामी लीग जीतती है तो अगले चुनाव में बांग्लादेश नेशनल पार्टी। खालिदा और हसीना एक दूसरे की कट्टर प्रतिद्वंद्वी हैं और इसीलिए उनको बांग्लादेश की लड़ाकू बेगम कहा जाता है।
2009 में जब शेख हसीना दूसरी बार प्रधानमंत्री बनीं तबसे लेकर अब तक उनकी पार्टी ने सभी राष्ट्रीय चुनावों में तगड़ी जीत दर्ज की है। फरवरी 2018 में खालिदा ज़िया को 2 लाख 52 हजार डॉलर के घोटाले में दोषी पाया गया था। ये रकम एक बांग्लादेशी अनाथालय को विदेशी डोनेशन के रूप में मिली थी।
इस घोटाले में खालिदा को 5 साल की जेल की सज़ा सुनाई गई थी। बाद में जब अभियोजन ने अपील की तो हाईकोर्ट ने सज़ा को बढ़ा कर 10 साल की सख्त कैद कर दिया। खालिदा के समर्थकों का कहना है कि सरकार के आरोप राजनीतिक स्वार्थ से लगाये गए हैं।
बांग्लादेश से बाहर नहीं जाएंगी
जब ज्यादा विरोध होने लगा तो मार्च 2020 में सरकार ने खालिदा की सजा स्थगित कर दी और उनको पैरोल पर जेल से रिहा कर दिया गया। कहा गया कि कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए ऐसा किया गया है। जेल से रिहाई की शर्त ये रखी गई कि वह बांग्लादेश से बाहर नहीं जाएंगी और इलाज सिर्फ बांग्लादेश में ही किया जाएगा।
जेल से छूटने के बाद खालिदा वस्तुतः मुक्त हैं और उनपर कोई बंदिश नहीं है। लेकिन वह अर्थराइटिस, लिवर सिरोसिस और डायबिटीज से पीड़ित हैं और चलने से मजबूर होने के कारण व्हील चेयर पर ही रहती हैं। खालिदा के समर्थकों का कहना है कि सरकार उनको बाहर जाने दे।
खालिदा बांग्लादेश के जनरल जियाउर्रहमान की पत्नी हैं। वो कट्टर इस्लामी गुटों की समर्थक मानी जाती हैं और बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय की आफत के लिए उनको दोषी ठहराया जाता रहा है।शेख मुजीब की हत्या के बाद जनरल ज़िया बांग्लादेश के राष्ट्रपति बने। राष्ट्रपति रहते, उन्होंने बांग्लादेश जातीय पार्टी गठित की थी। 30 मई 1982 को एक सैन्य तख्तापलट के दौरान चटगांव में उनकी हत्या कर दी गयी।