G20 Summit: घरेलू मोर्चे पर किस बड़ी दिक्कत का सामना कर रहे हैं जिनपिंग, जलवायु सम्मेलन से रहे गायब
G20 Summit Climate Conference: जिनपिंग पिछले 21 महीने से चीन के बाहर गए ही नहीं हैं, और आगे का भी कोई प्रोग्राम नहीं है।
G20 Summit Climate Conference: रोम में जी 20 देशों की बैठक और ग्लासगो में जलवायु सम्मलेन (climate conference) – दोनों ही में चीन के प्रेसिडेंट शी जिनपिंग शामिल नहीं हैं। जबकि दोनों ही जगह उनको शामिल होना था। यही नहीं, जिनपिंग की अभी तक अमेरिकी प्रेसिडेंट जो बिडेन (US President Joe Biden) से आमने – सामने की मुलाकात तक नहीं हुई है। यानी सब कुछ सही नहीं है।
दरअसल, जिनपिंग पिछले 21 महीने से चीन के बाहर गए ही नहीं हैं, और आगे का भी कोई प्रोग्राम नहीं है। जिनपिंग की विदेश यात्रा न होने की कोई अधिकारिक वजह अभी तक नहीं बताई गयी है, सिर्फ अटकलबाजी है कि कोरोना महामारी (Coronavirus ) की वजह से वो कहीं जा नहीं रहे हैं। ऐसा कहा जाता है कि जिनपिंग इसलिए विदेश यात्रा नहीं कर रहे हैं क्योंकि वो खुद कोरोना सम्बन्धी सख्त नियमों का पालन करके अपने आपको आम चीनी नागरिक के लिए उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करना चाहते हैं। चूँकि चीन जीरो कोरोना की नीति पर (zero corona niti par china) चल रहा है इसलिए चीनी नागरिकों के लिए आवागमन की बंदिशें लगी हुईं हैं और इंटरनेशनल ट्रेवल बंद है।
अटकल चाहे जो हो, असलियत ये है कि जिनपिंग का पूरा फोकस चीन की आन्तरिक स्थिति को सँभालने में है। चीन में आर्थिक गतिविधियाँ सुस्त पड़ गईं हैं, एक्सपोर्ट कमजोर हुआ है, चिप - सेमीकंडक्टर की घोर कमी है, बिजली संकट से कारखाने बंद हैं। इसके अलावा जिनपिंग को खुद अपनी स्थिति मजबूत करनी है ताकि वे तीसरी बार प्रेसिडेंट का कार्यकाल हासिल कर सकें।
ग्लोबल नेता बनने की महत्वाकांक्षा
जिनपिंग के नेतृत्व में चीन की महत्वाकांक्षा अमेरिका को अपदस्थ करके खुद ग्लोबल नेता बनने की है लेकिन जिस तरह जिनपिंग वैश्विक पटल से गायब हैं उससे इस महत्वाकांक्षा में पलीता लगता नजर आने लगा है। असलियत तो ये है कि ग्लोबल नेता (global leader) बनने की बजाए चीन के अन्य देशों से रिश्ते तेजी से खराब ही होते चले जा रहे हैं।
बीते कुछ महीनों में चीन ने अपना फोकस अन्य देशों और ग्लोबल नेतागीरी की बजाय घरेलू मामलों की तरफ कर रखा है। अब चीनी सरकार और कम्युनिस्ट पार्टी का ध्यान जिनपिंग की सेहत को महफूज रखने के अलावा आन्तरिक राजनीतिक गुणाभाग को सही करने में लगा हुआ है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (Chinese Communist Party) की बड़ी बैठक 2022 में साल होनी है जिसमें जिनपिंग अगले पांच और वर्षों के लिए चीन के सर्वोच्च नेता के पद का दावा रखेंगे।
इन हालातों में जिनपिंग के लिए अब दुनिया के नेताओं के साथ आमने-सामने मिलने और पर्सनल कूटनीति करना, प्राथमिकता में नहीं है। उनकी प्राथमिकता घरेलू मामलों को संभालना और अपनी सत्ता को मजबूत करना है।
कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय बैठक अगले साल
कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय बैठक अगले साल होनी है जिसमें दो हजार से ज्यादा अधिकारी भाग लेंगे। उसी बैठक में पार्टी की शक्तिशाली केंद्रीय समिति द्वारा अगले प्रेसिडेंट के नाम पर मुहर लगनी है। जिनपिंग तीसरे कार्यकाल की तैयारी में हैं। उसके लिए वे कोई ऐसा कदम नहीं उठाएंगे कि पार्टी की केंद्रीय समिति में उनकी स्थिति कमजोर पड़ जाए। जिनपिंग ने चीनी नागरिकों, खासकर मिडिल क्लास को खुश करने और अपने आप को एक मजबूत नेता जाहिर करने के लिए बड़ी बड़ी कंपनियों पर लगाम कसी है, आम खुशहाली की अवधारणा को मूर्त रूप देने के लिए फैसले लिए हैं। साथ ही समाज को कंट्रोल करने की कम्युनिस्ट विचारधारा से मेल खाते हुए कई कदम उठाये हैं।
अपनी पावर को बचाए रखने के लिए जिनपिंग को घरेलू मामलों पर लेजर की तरह फोकस करना जरूरी है और यही वजह है कि उन्होंने चीन से बाहर पिछले दो साल में कदम नहीं रखा है। जिनपिंग जानते हैं कि जिन क्षेत्रों में चीन की मजबूती है, उसमें अभी उसे कोई भी टक्कर देने की स्थिति में नहीं है। इसके अलावा आर्थिक सुस्ती और ऊर्जा संकट जैसे जो बड़े घरेलू मसले हैं उनसे निपटना ज्यादा जरूरी है।
एक्सपर्ट्स का ये कहना भी सही है कि जिनपिंग ये मानते हैं कि दुनिया के नेता उनसे मिलने को आतुर हैं, सो उनको विदेश यात्रा में अपनी एनर्जी बेकार करने की जरूरत नहीं है। इसके अलावा किसी ग्लोबल मंच पर शिरकत करने से मानवाधिकार, कोरोना और अन्य मसलों पर दूसरों के लेक्चर सुनने पड़ेंगे जिनसे चीन की पोजीशन ख़राब होती है।
जिनपिंग वैसे भी पहले जब किसी ग्लोबल सम्मेलन में जाते थे तो उनका कार्यक्रम बहुत टाइट और एक समान रहता था। उनको कभी भी राष्ट्राध्यक्षों से अलग अलग मुलाकात करते या ग्रुपों में बातचीत करते नहीं देखा गया। जिनपिंग की यात्रा की स्क्रिप्ट एक समान रहती थी – बैठक या सम्मेलन में भाग लेना, पहले से तय द्विपक्षीय मीटिंग करना, स्थानीय चीनी समुदाय से मुलाकात करना और वापस चीन लौट जाना। न कोई फोटो सेशन न इधर उधर की कोई बातचीत या मुलाकात। जिनपिंग ये दिखाते थे कि जिसको उनसे मिलना हो वह उनके पास चीन आये।