Sheikh Hasina: अमेरिका से बिगड़ चुके थे हसीना के संबंध, लगाये थे कई आरोप

Sheikh Hasina: “हम शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ किसी भी हिंसा की निंदा करते हैं। इसके अलावा, हम देश भर में दूरसंचार ठप किये जाने की रिपोर्टों से बहुत चिंतित हैं।"

Report :  Neel Mani Lal
Update:2024-08-06 16:54 IST

Sheikh Hasina ( Social- Media- Photo)

Sheikh Hasina: बांग्लादेश की स्थिति के संदर्भ में एक सवाल उठ रहा है कि अगर शेख हसीना पश्चिमी शक्तियों के साथ अपने संबंधों में अधिक रचनात्मक होतीं तो क्या हालात कुछ और ही होते?प्रधानमंत्री हसीना और अमेरिका के बीच कड़वाहट भरे राजनीतिक संबंध तब स्पष्ट रूप से दिखाई दिए जब 22 जुलाई को अमेरिकी विदेश विभाग ने अवामी लीग सरकार से “शांतिपूर्ण विरोध के अधिकार को बनाए रखने” का आह्वान किया था। विदेश विभाग प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा, “हम शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ किसी भी हिंसा की निंदा करते हैं। इसके अलावा, हम देश भर में दूरसंचार ठप किये जाने की रिपोर्टों से बहुत चिंतित हैं।


"चुनावों के साथ शुरू हुई गड़बड़ी

शेख हसीना ने 7 जनवरी को चुनाव जीतकर 2024 की सकारात्मक शुरुआत की। इसके बाद, भारत में मोदी सरकार की वापसी के बाद हसीना ने जून में एक पखवाड़े के भीतर दो बार नई दिल्ली का दौरा किया और फिर 7 जुलाई को चीन चली गईं। लेकिन ढाका में कोटा विरोधी प्रदर्शन शुरू होने के कारण वह अपनी चीन यात्रा को अचानक बीच में ही रोककर ढाका लौट आईं।

इसके पहले, बांग्लादेश में चुनाव अमेरिका, यूरोपीय संघ और अन्य पश्चिमी देशों और संस्थाओं द्वारा लगातार कड़ी आलोचना के बाद हुए थे। पश्चिमी देश चाहते थे कि पारदर्शी चुनाव हों जिसमें विपक्ष भी शामिल हो। हालांकि, वे गतिरोध को हल नहीं कर सके। विपक्ष ने एक कार्यवाहक सरकार के तहत चुनाव कराने की मांग की, जबकि हसीना ने इस मांग को खारिज करते हुए कहा कि 2011 में राष्ट्रीय संसद द्वारा इस प्रावधान को रद्द कर दिया गया था


द हिन्दू की एक रिपोर्ट के अनुसार, चुनाव से पहले बांग्लादेश में अमेरिकी राजदूत पीटर हास ने सबसे पहले ध्यान आकर्षित किया। जून 2022 में ढाका में राजदूत के रूप में नियुक्ति के तुरंत बाद उन्होंने बांग्लादेश के मुख्य चुनाव आयुक्त काजी हबीबुल अवल से मुलाकात की और उनसे एक समावेशी चुनाव कराने का आग्रह किया। इसके बाद उन्होंने सिविल सोसाइटी के सदस्यों के साथ कई बैठकें कीं, कई सरकारी अधिकारियों से मुलाकात की और बांग्लादेश में कथित लोकतांत्रिक पतन के बारे में अमेरिकी लाइन को दोहराया।

मोहम्मद यूनुस का प्रकरण

समावेशी राजनीति के लिए अमेरिका की रट को हसीना की अवामी लीग सरकार से कड़ा प्रतिरोध झेलना पड़ा और सरकार ने बार-बार नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ मोहम्मद यूनुस को निशाना बनाया, जिन्हें अपने देश में कई भ्रष्टाचार के मामलों का सामना करना पड़ा था। शेख हसीना ने यूनुस पर पद्मा पर ऐतिहासिक पुल के लिए विश्व बैंक के ऋण में अड़ंगे लगाने के लिए अपने (पश्चिमी) कुलीन संबंधों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। माना जाता है कि मोहम्मद यूनुस पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के मित्र हैं और पश्चिमी राजधानियों में उनके शुभचिंतक हैं।


अमेरिका पर निशाना

बांग्लादेश में अपनी जबरदस्त आर्थिक और कूटनीतिक मौजूदगी के बावजूद, अमेरिका को हसीना से कभी भी गर्मजोशी से स्वागत नहीं मिला। हसीना ने बार-बार अमेरिका पर उनकी सरकार गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाया था। हसीना और अमेरिका के बीच समस्या हसीना के पिता शेख मुजीबुर रहमान और उनके परिवार के पंद्रह अन्य सदस्यों की हत्या से शुरू हुई थी। उस समय चर्चा थी कि शेख मुजीब को हटाने में अंतरराष्ट्रीय ताकतें शामिल थीं।

अप्रैल 2023 में जब बांग्लादेश के विदेश मंत्री डॉ. ए.के. अब्दुल मोमेन वाशिंगटन डीसी के दौरे पर थे, तब प्रधानमंत्री हसीना ने राष्ट्रीय संसद में अमेरिका की आलोचना करते हुए कहा था, "अमेरिका जिस देश में चाहे वहां सत्ता बदल सकता है। वे यहां ऐसी सरकार लाना चाहते हैं जिसका कोई लोकतांत्रिक अस्तित्व नहीं होगा।"


हसीना का नवीनतम अमेरिका विरोधी हमला मई में आया, जब उन्होंने अमेरिका पर चटगांव के पास सेंट मार्टिन द्वीप में एक नौसैनिक अड्डा बनाने की आकांक्षा रखने का आरोप लगाया और कहा कि 'गोरे लोगों' का एक 'विदेशी राष्ट्र' एक 'ईसाई राज्य' बनाने की योजना बना रहा है, जिसमें बांग्लादेश और म्यांमार के कुछ हिस्से शामिल होंगे। उन्होंने म्यांमार के रखाइन प्रांत में चल रही हिंसा की ओर इशारा किया, जिसका असर चटगांव पर भी पड़ा है।

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