India Help Afghanistan: अफगानिस्तान को भारत का 'होली गिफ्ट', 20 हजार मीट्रिक टन गेहूं भेजेगा

India Help Afghanistan: भारत, अफगानिस्तान को 20 हजार मीट्रिक टन गेहूं भेजने वाला है। लेकिन इसके लिए भारत, पाकिस्तान के रास्तों का इस्तेमाल नहीं करेगा।

Written By :  Neel Mani Lal
Update: 2023-03-08 08:53 GMT

प्रतीकात्मक चित्र (Social Media)

India Help Afghanistan : भारत ने अफगानिस्तान को 20,000 मीट्रिक टन गेहूं की सहायता की एक नई किश्त की भी घोषणा की है। ये खेप ईरान में चाबहार बंदरगाह के माध्यम से भेजी जाएगी।

छह देशों का ऐलान

भारत और पांच मध्य एशियाई देशों ने जोर देकर कहा कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी आतंकवादी गतिविधियों के लिए नहीं किया जाना चाहिए। इन देशों ने काबुल में एक सच्चे समावेशी राजनीतिक ढांचे के गठन का आह्वान किया है, जो महिलाओं और अल्पसंख्यकों सहित सभी अफगानों के अधिकारों का सम्मान करता हो।

संयुक्त कार्य समूह की बैठक

अफगानिस्तान पर भारत-मध्य एशिया संयुक्त कार्य समूह की पहली बैठक में, भारत ने अफगानिस्तान को 20,000 मीट्रिक टन गेहूं की सहायता की एक नई किश्त की भी घोषणा की है। ये गेहूं ईरान में चाबहार बंदरगाह के माध्यम से भेजा जाएगा। दिल्ली में हुई अफगानिस्तान पर भारत-मध्य एशिया संयुक्त कार्य समूह की पहली बैठक में युद्ध से तबाह देश की स्थिति पर व्यापक विचार-विमर्श किया गया।

संयुक्त बयान में क्या कहा?

एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि बैठक में "वास्तव में समावेशी और प्रतिनिधि राजनीतिक संरचना" के गठन के महत्व पर जोर दिया गया, जो सभी अफगानों के अधिकारों का सम्मान करता है और शिक्षा तक पहुंच सहित महिलाओं, लड़कियों और अल्पसंख्यक समूहों के सदस्यों के समान अधिकार सुनिश्चित करता है। अफगानिस्तान में महिलाओं के लिए विश्वविद्यालय शिक्षा पर प्रतिबंध लगाने के तालिबान के फैसले की आलोचना करने वाले कई अन्य प्रमुख देशों में भारत शामिल हो गया है।

भारत के साथ बैठक में ये देश भी हुए शामिल  

मेजबान भारत के अलावा, बैठक में कजाकिस्तान, किर्गिज गणराज्य, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के विशेष दूतों या वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक में यूएन ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम (यूएनओडीसी) और यूएन वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (यूएनडब्ल्यूएफपी) के देशों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। संयुक्त बयान में कहा गया है कि अधिकारियों ने राजनीतिक, सुरक्षा और मानवीय पहलुओं सहित अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति पर विचारों का आदान-प्रदान किया।

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