India-Russia Relations: ये दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे, पुतिन की यात्रा के गहरे हैं मायने

India Russia Relations : पुतिन और प्रधानमंत्री मोदी के बीच इससे पहले अक्टूबर 2018 में मुलाकात हुई थी। उसके बाद से दुनिया की राजनीति में तमाम तरह के बदलाव हुए हैं।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Shraddha
Update: 2021-12-06 09:37 GMT

भारत और रूस के सम्बन्ध ( फाइल फोटो - सोशल मीडिया)

India-Russia Relations : भारत की आजादी के बाद से ही भारत और रूस के सम्बन्ध (India-Russia Relations) बहुत अच्छे रहे हैं। भारत और रूस के बीच संबंध विश्वास, आपसी समझ-बूझ और निरंतरता की कसौटी पर खरे उतरे हैं। भारत-रूस की दोस्ती (india russia friendship) ग्लोबल डिप्लोमेसी की सफल दास्तानों में शुमार है। वर्ष 2021 में भारत यात्रा को अगर हटा दें तो रूसी प्रेसिडेंट व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) सिर्फ एक बार अपने देश के बाहर गए हैं। भारत की यात्रा से पहले उन्होंने सिर्फ एक विदेश यात्रा की है जब वह अमेरिका के प्रेसिडेंट जो बिडेन (US President Joe Biden) से जिनेवा में मिले थे।

पुतिन और प्रधानमंत्री मोदी के बीच इससे पहले अक्टूबर 2018 में मुलाकात हुई थी। उसके बाद से दुनिया की राजनीति में तमाम तरह के बदलाव हुए हैं, अंतरराष्ट्रीय उथल-पुथल हुई है और कोरोना महामारी ने सब कुछ उलट पुलट कर दिया है।

अफगानिस्तान (Afghanistan)

रूस ने तालिबान का समर्थन किया है (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हाल के वर्षों में सबसे बड़ा बदलाव अफगानिस्तान में हुआ है जहां तालिबान का कंट्रोल है। रूस ने तालिबान का समर्थन किया है और रूस की स्वीकार्यता से पाकिस्तान की क्षेत्रीय स्थिति मजबूत हुई है। अफगानिस्तान के उत्तर में रूस एक महत्वपूर्ण भूमिका में है। इसकी वजह उसका अफगानिस्तान के तीन पड़ोसी मुल्कों ताजिकिस्तान, उज़्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान के साथ संबंध है। रूस ने हाल ही में इन तीनों मुल्कों के साथ अपने संबंधों की पुष्टि की है। ऐसे में भारत और रूस इस दिशा में क्या रास्ता अख्तियार करते हैं, ये देखने वाली बात होगी।

अमेरिका (America)

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन ( फाइल फोटो - सोशल मीडिया)

 भारत-रूस रिश्तों में अमेरिका का भी महत्वपूर्ण पहलू है। दरअसल, भारत के अमेरिका के प्रति बढ़ते झुकाव को लेकर पुतिन चिंतित होंगे। जबसे अमेरिका के साथ भारत ने क्वाड बनाया है तबसे ये चिंता और भी बढ़ी है। अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया इसके चार सदस्य देश हैं। क्वाड देशों के समूह ने कोरोना महामारी से मुकाबला करने में एक-दूसरे का सहयोग किया है और साथ ही चीन के समुद्री क्षेत्रों में दावों को चुनौती भी दी है। अमेरिका ने अफगानिस्तान से हटने के बाद भारत में अपनी सामरिक मौजूद्गी बढ़ाने की दिशा में काम किया है सो ये भी रूस के लिए चिंता की बात है और पुतिन कोई बैलेंस बनाने की कोशिश करेंगे।

चीन (China)

चीन के बारे में भारत और रूस की राय अलग-अलग हो सकती है। चीन के साथ रूस के गहरे और मजबूत संबंध हैं। अफगानिस्तान के घटनाक्रम के बाद चीन और रूस ने आपसी सैन्य सहयोग बढ़ाया है। दूसरी ओर भारत और चीन के बीच सम्बन्ध तनावपूर्ण बने हुए हैं। ऐसे में रूस क्या स्टैंड अपनाता है और भारत की चिंताओं को कैसे दूर करता है, ये देखने वाली बात होगी। लद्दाख में झड़प के बाद चीन - भारत तनाव को लेकर रूस बहुत चौकन्ना है और रूस से एस400 मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी से भारत को रणनीतिक मजबूती मिलने की उम्मीद है।

फैक्ट फाइल

- बीते पांच साल में भारत ने जितने हथियार इम्पोर्ट किये हैं उनमें आधा हिस्सा रूस से हुआ है।

- भारतीय कंपनियों ने रूस के हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में करीब 15 अरब डालर का निवेश किया है जबकि रूस ने भारत की हाइड्रोकार्बन परियोजनाओं में 13 अरब डालर का निवेश किया है।

- गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया का एक रूसी कंपनी के साथ 20 साल तक 25 अरब डालर की एलएनजी सप्लाई का अनुबंध है।

- 13 अप्रैल 1947 को रूस (तत्कालीन सोवियत संघ) और भारत ने आधिकारिक तौर पर दिल्ली और मॉस्को में मिशन स्थापित करने का फैसला लिया था।

- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस ने 22 जून 1962 को अपने 100वें वीटो का इस्तेमाल कश्मीर मुद्दे पर भारत के समर्थन में किया था।

- 1961 में भी रूस ने 99वें वीटो का इस्तेमाल भी भारत के लिए किया था। इस बार रूस का वीटो गोवा मसले पर भारत के पक्ष में था।


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