चीन ने दिखाया अपना रंग: भारत से वादा करके पलट गया, संकट की घड़ी में दिया धोखा

कोरोना के खिलाफ जंग में चीन ने भारत को मेडिकल उपकरणों की सप्लाई देने से इनकार कर दिया है।

Newstrack Network :  Network
Published By :  Vidushi Mishra
Update: 2021-04-26 11:07 GMT

नई दिल्ली: भारत इस समय कोरोना की दूसरी लहर के संक्रमण से बुरी तरह से ग्रस्त है। हर तरफ तेजी से फैलते संक्रमण की वजह से चिकित्सा व्यवस्थाओं की कमी पड़ गई है। भारत का कोरोना के खिलाफ जंग में एकजुट होकर साथ देने का चीन ने वादा किया था। लेकिन जब मदद करने का समय आया तो चीन ने अपनी नस्ल दिखा दी। 

कोरोना के खिलाफ जंग में चीन ने भारत को मेडिकल उपकरणों की सप्लाई देने से इनकार कर दिया है। साथ ही चीन की सरकारी सिचुआन एयरलाइंस ने भारत के लिए अपनी सभी कार्गो (मालवाहक) उड़ानों को अगले 15 दिन तक स्थगित कर दिया है। बता दें, सिचुआन चुआनहांग लॉजिस्टिक कॉरपोरेशन लिमिटेड ने एक पत्र जारी कर इस बारे में जानकारी दी है।

चीन ने बताया ये कारण

चीन द्वारा जारी किए गए पत्र में लिखा गया है कि विमानन कंपनी शियान-दिल्ली सहित छह मार्गों पर अपनी कार्गो सेवा स्थगित कर रही है। यह फैसला सीमा के दोनों ओर के निजी कारोबारियों द्वारा चीन से ऑक्सीजन कंसनट्रेटर खरीदने के गंभीर प्रयासों के दौरान लिया गया। 

आगे कंपनी के पत्र में कहा गया है कि भारत में महामारी की स्थिति में बढ़ोतरी की वजह से आयात की संख्या में कमी आई है। ऐसे में अगले 15 दिन के लिए उड़ानों को स्थगित किया जा रहा है।

साथ ही चीन की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि सप्लाई रोकने के फैसले से यहां की कंपनी को भारी नुकसान हुआ है। इसके लिए हम माफी मांगते हैं बता दें कि भारतीय मार्ग हमेशा से ही सिचुआन एयरलाइंस का मुख्य रणनीतिक मार्ग रहा है। 


ऐसे में पत्र के अनुसार, कार्गो उड़ानों के स्थगित से एजेंट और सामान भेजने वाले लोग भी परेशान हो रहे हैं। इसके साथ ही ये भी शिकायत है कि चीनी उत्पादकों ने ऑक्सीजन संबधी उपकरणों के दामों में 35 से 40 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कर दी है।  वहीं, माल ढुलाई के शुल्क में भी करीब 20 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी कर दी गई है। 

इस बारे में शंघाई की साइनो ग्लोबल लॉजिस्टिक कंपनी के मालिक सिद्धार्थ सिन्हा ने बताया कि सिचुआन एयरलाइंस के फैसले से दोनों देशों के कारोबारियों पर भी असर पड़ा है। आगे उन्होंने बताया कि अब इन उपकरणों को भेजने में चुनौतियां होंगी। सिंगापुर या अन्य देशों के रास्ते विमानन कंपनियों की ओर से भेजा जा सकता है। जिससे अति आवश्यक इन उपकरणों की आपूर्ति में देरी होगी।

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