अमेरिका की दादागिरी से भड़का भारत, आखिर क्या है पूरा मामला?

भारत सरकार ने अमेरिका की उस बात को खारिज किया है, जिसमें उसने एक रिपोर्ट जारी कर यह कहा कि भारत दुनिया में नकली दवाओं का मुख्य स्रोत है। इस रिपोर्ट का नाम ‘यूएसटीआर रिपोर्ट’ है

Update:2019-04-28 12:03 IST

लखनऊ: भारत सरकार ने अमेरिका की उस बात को खारिज किया है, जिसमें उसने एक रिपोर्ट जारी कर यह कहा कि भारत दुनिया में नकली दवाओं का मुख्य स्रोत है। इस रिपोर्ट का नाम ‘यूएसटीआर रिपोर्ट’ है, जिसमें इस बात का ज़िक्र किया गया है कि भारत और चीन दुनिया में नकली दवाओं के जड़ हैं। इस पर भारत ने असहमति जाहिर करते हुए कहा कि यह जेनरिक दवाओं पर हमला है और इसकी वजह से देश में स्वास्थ्य सेवाएं सस्ती हुई हैं।

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क्या है यूएसटीआर रिपोर्ट?

यूएसटीआर रिपोर्ट अमेरिका सलाना स्तर पर जारी करता है। यह रिपोर्ट अमेरिका अपनी उस नीति के अंतर्गत जारी करता है, जिसमें वह दुनिया के दूसरे देशों पर दबाव बनाकर अपनी फार्मास्यूटिकल्स कंपनियों को उन देशों में पेटेंट अधिकार दिला सके, जिससे मरीजों को सस्ती दवा आसानी से मिल सके।

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लेकिन इस बार की यूनाइटेड स्टेट्स ट्रेड रिप्रेजनटेटिव (यूएसटीआर) की स्पेशल 301 रिपोर्ट ने भारत और चीन की आलोचना करते हुए उन्हें दुनिया में बिकने वाली नकली दवाओं का मुख्य स्रोत बताया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय बाजार में बिकने वाली लगभग 20 प्रतिशत दवाएं नकली होती हैं।

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इस पर भारतीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूडान ने कहा, 'यूएसटीआर द्वारा की गई टिप्पणियों से हम पूरी तरह असहमत हैं। हम उनके निष्कर्षों और कार्यप्रणाली के बारे में नहीं जानते हैं। इसके बजाय, हम इसे कम लागत वाली जेनरिक दवाओं के विरोध के रूप में देखते हैं। साथ ही भारतीय दवा इंडस्ट्री जो दुनिया की फार्मेसी हब के रूप में है, उसके विरोध में भी देखते हैं।'

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इस रिपोर्ट में अमेरिका ने भारत को बौद्धिक संपदा अधिकारों का उल्लंघन करने के मामले में प्राथमिकता की सूची में रखा है। रिपोर्ट में कहा गया है, 'विशेष रूप से भारत और चीन दुनिया में बिकने वाली नकली दवाओं के मुख्य स्रोत हैं। इसका एक सटीक आंकड़ा निर्धारित करना संभव नहीं है। अध्ययन बताते हैं कि भारतीय बाजार में बिकने वाली 20 फीसदी दवाएं नकली हैं जो मरीज के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं।'

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रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत अफ्रीका, कनाडा, द कैरिबियन, यूरोपियन यूनियन, दक्षिण अमेरिका और अमेरिका में नकली दवाओं को भेजता है। सूडान ने इस बात पर जोर दिया कि जेनरिक दवाएं कम लागत वाली लेकिन गुणवत्ता वाले उत्पाद हैं। उन्होंने कहा कि केवल प्रमाणित दवा उत्पादों का निर्यात किया जाता है। स्थानीय तौर पर 75 प्रतिशत से अधिक बिक्री जेनेरिक दवाओं की होती है।

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