Indonesia सोने का खजाना : नदी में झलक रहा अरबों का गोल्ड, यहां तो साम्राज्य ही सोने का

Indonesia : बीते 5 साल से इंडोनेशिया के पालेमबांग के नजदीक मछुआरे खतरनाक घड़‍ियालों वाली मूसी नदी में अरबों के खजाने की तलाश में थे। लेकिन अब जाकर नदी की गहराई से लाखों कोशिशें करने के बाद...

Newstrack :  Network
Published By :  Vidushi Mishra
Update:2021-11-02 16:51 IST

Sone Ka Dweep : पीली धातु 'सोने' को बहुत ही पवित्र माना गया है। सोना जितना पवित्र होता है, उतनी ही उसकी कीमत भी होती है। ऐसे में अगर सोने का पूरा द्वीप ही हो जाए, तो क्या ही कहने। जीं हां इंडोनेशिया में सोने के द्वीप की खोज हुई है। ये सोने का द्वीप देश के सुमात्रा इलाके में है। इस द्वीप से लोगों को सोने के जेवरात, बर्तन, पात्र बौद्ध मूर्तियां और चीन के बेशकीमती सिरेमिक बर्तन भी मिले हैं। इस द्वीप की सालों से तलाश थी।

बीते 5 साल से इंडोनेशिया के पालेमबांग के नजदीक मछुआरे खतरनाक घड़‍ियालों वाली मूसी नदी में अरबों के खजाने की तलाश में थे। लेकिन अब जाकर नदी की गहराई से लाखों कोशिशें करने के बाद एक मछुआरे को सोने का अनमोल खजाना मिला है। यहां से सोने के बर्तन, बौद्ध की मूर्ति, पात्र अन्य कई सामान मिले हैं।

नदी से मिला खजाना (फोटो- सोशल मीडिया)

इतिहास के पन्नों में छिपा राज

इस सोने की मूर्ति के बारे में बताया जा रहा है कि यह मूर्ति 8 शताब्‍दी की है। और इसकी कीमत करोड़ों रुपये है। इस मूर्ति के ऊपरी हिस्से पर रत्न जड़ित है। जोकि काफी अनमोल है। साथ ही ये भी बताया जा रहा है कि इस साम्राज्‍य का भारत से कोई न कोई बहुत पास का संबंध था। जो आज भी कहीं इतिहास के पन्नों में छिपा हुआ है।

इसके साथ ही इस द्वीप को लेकर इंडोनेशिया में बातें भी बताई जाती हैं कि इस नदी के आसपास इंसान खाने वाले सांप रहते हैं। इस इलाके में ज्वालामुखी अक्सर फटता रहता है। वहीं हिंदी भाषा में बात करने वाले जोकि इंसानों की तरह बोलते हैं, वैसे तोते भी रहते हैं। तो चलिए जानते हैं सोना उगलने वाले इस साम्राज्य की कहानी।

नदी से मिला खजाना (फोटो- सोशल मीडिया)

इतिहासकारों के अनुसार, 'सोने का द्वीप' (Island of Gold) नाम से मशहूर इस जगह को प्राचीन काल में श्रीविजया शहर (Srivijaya City) कहा जाता था। इस बारे में एक कहानी भी है। जो इस प्रकार है। एक समय की बात है जब यह बहुत ही अमीरों वाला शहर हुआ करता था।

ये शहर समुद्री व्यापारिक मार्ग के मध्य में पड़ता था। साथ ही खास बात ये भी थी कि ये दुनिया के पूर्व और पश्चिम के देशों को व्यापारिक स्तर पर जोड़ता था। इतिहास में ये भी बखान है कि यहां पर मलाका की खाड़ी पर शासन करने वाले राजाओं का साम्राज्य था। जोकि साल 600 से 1025 के मध्य था। लेकिन बाद में भारतीय चोल साम्राज्य (Chola Dynasty) से युद्ध हुआ, जिसमें यह शहर टूट गया।

दो दशकों तक हुआ व्यापार 

इस भयानक हार के बाद करीबन दो दशकों तक व्यापार यहीं से होता था। फिर 1390 में श्रीविजयन राज के राजकुमार परमेश्वरा ने जब वापस से अपने इलाके पर कब्जा करने की कोशिश की थी। लेकिन राजकुमार के पड़ोसी जावा राजा ने फिर उन्हें परास्त कर दिया था.।

जिसके बाद से श्रीविजया चीनी समुद्री डकैतों के लिए स्वर्ग के समान बन गया था। फिलहाल श्रीविजया शहर के बारे में अब तक कोई इतिहास या अवशेष नहीं प्राप्त हुआ, लेकिन इतिहासकारों का मानना है कि मूसी नदी के नीचे एक ऐसा साम्राज्य हो सकता है, जोकि सोने का हो। क्योंकि गोताखोर करीबन लगातार नदी की तलहटी से सोने के आभूषण, मंदिर की घंटियां, यंत्र, सिक्के, सिरेमिक बर्तन और बौद्ध मूर्तियां निकाल रहे हैं। भंडार में कोई कमी नहीं है।

इस बारे में मरीन आर्कियोलॉजिस्ट सीन किंग्सले ने कहा कि आजतक श्रीविजया को खोजने के लिए सरकार की तरफ किसी तरह का खनन कार्य नहीं किया गया है। न तो नदी के अंदर न ही उसके आसपास। जितने भी आभूषण या कीमती वस्तुएं इस नदी से निकलीं, उन्हें गोताखोरों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करने वाले निजी लोगों को बेंच दिया। इसका मतलब ये है कि वहां पर आज भी पुराना शहर हो सकता है लेकिन जरूरत है उसे खोजने की।


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