Afghanistan ISIS Khorasan : अमेरिका और तालिबान के सामने ISIS के खात्मे की चुनौती, गृहयुद्ध की तैयारी
ISIS Khorasan : तालिबान को विश्व समुदाय की मान्यता चाहिए और उसकी नजर अफगानिस्तान को मिलने वाली अरबों डॉलर की मदद पर भी है।
ISIS Khorasan : काबुल (Kabul) में आईएसआईएस (ISIS) खोरासान (आईएस-के) की हरकत से सिर्फ अमेरिका (America) ही नहीं बल्कि तालिबान (Taliban) भी गुस्से में है। आईएस (IS) के खिलाफ अमेरिका और तालिबान, दोनों ही कार्रवाई करेंगे, ये तय है। लेकिन तालिबान की कार्रवाई का नतीजा अफगानिस्तान (Afghanistan) में गृह युद्ध के रूप में सामने आएगा। आईएस-के अफगानिस्तान पर अपना कब्जा चाहता है और वह आने वाले समय में और भी हमले करेगा।
तालिबान का अमेरिका के साथ समझौता था कि वह काबुल हवाई अड्डे के बाहर की सुरक्षा संभालेगा, लेकिन वह उसमें नाकामयाब रहा है।
आईएसआईएस(ISIS) का पलड़ा भारी
तालिबान ये साबित करने में फेल रहा कि वह कि वह जिम्मेदारी के साथ अफगानिस्तान पर शासन कर पायेगा। ऐसे में तालिबान गुस्से में भर बैठा है और उसे आईएस-के पर निश्चित ही अब हंटर चलाना पड़ेगा नहीं तो उसकी कमजोरी सामने आ जायेगी और आईएसआईएस का पलड़ा भारी हो जाएगा, जो तालिबान कतई नहीं चाहता है।
तालिबान को विश्व समुदाय की मान्यता चाहिए और उसकी नजर अफगानिस्तान को मिलने वाली अरबों डॉलर की मदद पर भी है। इस प्लानिंग में आईएस-के द्वारा अड़चन डाले जाने से अब एक लंबी लड़ाई की जमीन तैयार हो गई है।
हक्कानी नेटवर्क (Haqqani Network in Afghanistan )
आईएसआईएस और आईएस-के, दोनों का ख्वाब शरिया कानून और अपना प्रभुत्व कई देशों में फैलाने का है जबकि तालिबान अफगानिस्तान तक सीमित है। आईएस-के अफगानिस्तान को भी अपने खुरासान साम्राज्य में शामिल करने का ख्वाब रखता है इसीलिए तालिबान से उसकी दुश्मनी है।
एक तथ्य ये भी है कि आईएस-के और हक्कानी नेटवर्क के करीबी संबंध हैं। ऐसे में अगर लड़ाई होती है तो हक्कानी नेटवर्क संभवतः आईएस का साथ देगा। दोनों का जिहादी आउटलुक एक समान है।
अमेरिका के सामने अब आईएस-के को सबक सिखाने की चुनौती है लेकिन इसके लिए वह अफगानिस्तान में अपनी सेना रखेगा या नहीं, ये देखने वाली बात होगी। हो सकता है कि अमेरिका ड्रोन हमलों से आईएस-के पर कहर ढाए और जमीनी युद्ध से परहेज करे।