ISIS-Khorasan: तालिबान का दुश्मन है खोरासान इस्लामिक स्टेट, जानिए इसके बारे में

ISIS-Khorasan: काबुल में हुए तीन फिदायीन बम धमाकों के पीछे इस्लामिक स्टेट (खोरासान) का हाथ बताया जा रहा है।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Dharmendra Singh
Update:2021-08-27 00:30 IST

आईएसआईएस-खोरासान के आतंकी (फोटो: सोशल मीडिया)

ISIS-Khorasan: काबुल में हुए तीन फिदायीन बम धमाकों के पीछे इस्लामिक स्टेट (खोरासान) का हाथ बताया जा रहा है। अमेरिका ने पहले ही चेतावनी दी कि हवाई अड्डे के पास से लोग हट जाएं, क्योंकि आतंकी हमला हो सकता है। अमेरिकी प्रेसिडेंट जो बिडेन ने भी इसी हफ्ते कहा था कि आईएसआईएस-के अमेरिकी और सहयोगी सुरक्षाबलों और निर्दोष नागरिकों पर हमला कर सकता है।

तालिबान विरोधी इस अफगान आतंकी गुट को कई नामों से जाना जाता है-आईएसआईएस-खोरासान, आईएस खोरासान या आईएस खोरासान प्रान्त। ये संगठन शरिया कानून से संचालित एक खलीफा शासन पूरे दक्षिण और मध्य एशिया में स्थापित करना चाहता है। इसका विजन है कि दुनिया भर के मुस्लिमों के इसमें जुड़ने के साथ खलीफा साम्राज्य विस्तार लेता जाएगा। कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये संगठन शुरुआत में किसी एक क्षेत्र में अपना कब्जा जमा कर एक खलीफा राज्य पुनर्स्थापित करना चाहता है। आईएस-के बहुत बड़े पैमाने पर शुरुआत नहीं करना चाहता, इसकी रणनीति धीरे धीरे पैर फैलाने की है। सत्ता और प्रभुत्व की लड़ाई में तालिबान को ये गुट अपना दुश्मन मानता है।

ये संगठन कबसे अस्तित्व में आया, ये पक्के तौर पर पता नहीं है, लेकिन नवम्बर 2014 में ये सामने आया था जब पाकिस्तान और अफगानिस्तान के जिहादियों ने इराक और सीरिया के कोर आईएसआईएस ग्रुप के प्रति अपना समर्थन जाहिर किया था। कोर आईएसआईएस ग्रुप ने जनवरी 2015 में आईएसआईएस-के को आधिकारिक रूप से स्वीकार कर लिया था। आईएसआईएस ही इस गुट को वित्तीय सहायता देता है, लेकिन आईएस-के अपने फैसले खुद लेता है।
आईएसआईएस-के का नाम खोरासान नामक ऐतिहासिक क्षेत्र पर है जिसके अंतर्गत आज का अफगानिस्तान और मध्य एशिया के हिस्से आते थे। ये संगठन 2014 में नंगरहार प्रान्त में सबसे पहले सामने आया था। आज भी ये क्षेत्र इसका मजबूत गढ़ है। इसके अलावा इस गुट की मौजूदगी कुनार प्रान्त, काबुल और उत्तरी अफगानिस्तान में है।


आईएसआईएस-के की स्थापना तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान या पाकिस्तानी तालिबान ने की थी जिसमें अफगान तालिबान के कुछ निचले स्तर के कमांडर और अफगान जिहादी तत्व शामिल थे।
आईएसआईएस-के अफगानिस्तान में यदाकदा हमले करता रहा है। इसके निशाने पर मुख्यतः हाजरा शिया लोग रहे हैं। इस आतंकी संगठन में सबसे कट्टर जिहादी शामिल हैं। इसी गुट ने मई 2020 में काबुल के एक शिया बहुल इलाके में स्थित महिला अस्पताल पर हमला किया था जिसमें 24 लोग मारे गए थे। इसके कुछ महीनों बाद इसने एक जेल पर धावा बोला था जिसमें 39 लोग मारे गए थे और जेल में बंद 400 जिहादियों को छुड़ा लिया गया था।


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