कुवैत की आग: बदतर हालात में रहते थे कामगार, किसी को भागने का मौक़ा ही नहीं मिला

Kuwait fire: जिस बिल्डिंग में आग लगी थी उसमें 196 लोग रहते थे और उनमें ज्यादातर केरल मूल के बिजनेसमैन केजी अब्राहम के स्वामित्व वाले एनबीटीसी ग्रुप में काम करते थे।

Written By :  Neel Mani Lal
Update: 2024-06-13 07:53 GMT

Kuwait fire latest update  (photo: social media ) 

Kuwait fire: कुवैत की एक लेबर कैंप बिल्डिंग में आग लगने से कम से कम 49 लोग ज़िंदा जल कर मारे गए हैं जिनमें 41 भारतीय कामगार हैं। 50 से ज्यादा लोग जख्मी हुए हैं जिनमें तीस से ज्यादा भारतीय हैं और अस्पतालों में भर्ती हैं। मरने वालों में 11 तो अकेले केरल के थे।

ये सभी लोग काम करने, पैसा कमाने के लिए अपना घर बार छोड़ कर इस अरब देश में आये थे। जिस बिल्डिंग में आग लगी थी उसमें 196 लोग रहते थे और उनमें ज्यादातर केरल मूल के बिजनेसमैन केजी अब्राहम के स्वामित्व वाले एनबीटीसी ग्रुप में काम करते थे। इसी कंपनी ने अपने कामगारों के लिए ये बिल्डिंग किराये पर ले रखी थी।

बुरी हालत में रहते हैं मजदूर

अरब देशों में काम करने वाले मजदूरों-कामगारों को अपने देश की बनिस्बत ठीक ठाक पैसा मिलता है लेकिन उतना नहीं कि एक अच्छी लाइफ स्टाइल, अच्छा रहन-सहन कर सकें। चूँकि सभी का टारगेट पैसा कमाना, बचाना और अपने घर भेजना होता है सो हर वह कोशिश की जाती है कि कम से कम में गुजारा किया जाये। कामगार को रहने-खाने की सुविधा दी तो जाती है लेकिन उसमें भी उनका नियोक्ता कम से कम खर्च में काम चलाता है। नतीजतन छोटे छोटे फ्लैटों में ढेरों लोग ठुंसे रहते हैं। एक एक कमरे में कई कई लोगों का रहना आम बात है। कंस्ट्रक्शन साइट्स पर तो और भी बुरा हाल होता है।

खाड़ी के बाकी देशों की तरह, कुवैत में भी कंस्ट्रक्शन जैसे उद्योगों में विदेशी श्रमिकों पर बहुत अधिक निर्भरता है। और ये श्रमिक आमतौर पर भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि देशों से सप्लाई होते हैं।

बहरहाल, कुवैत के उप प्रधानमंत्री शेख फहाद यूसुफ सऊद अल-सबाह ने कहा है कि - रियल एस्टेट मालिकों के लालच के कारण ही ऐसी घटनाएँ होतीं हैं। बिल्डिंगों के मालिकान नियम-कानून का उल्लंघन करते हैं। पुलिस ने भी अब कहा है कि एक ही इमारत में ढेरों लोगों को रखने के खिलाफ पहले चेतावनी दी गयी थी।


क्या क्या हुआ?

- अग्निकांड के बारे में उस बिल्डिंग में रहने वाले एक ड्राइवर ने बताया कि आग निचली मंजिल पर लगी थी और जो लोग ऊपर की मंजिलों पर थे वे बच नहीं पाए। उसने बताया कि इमारत में घना धुआं भर गया था और निकलने का किसी को मौक़ा ही नहीं मिला।

- आग तड़के लगी थी और लोकल अधिकारीयों को इसकी सूचना सुबह 6 बजे मिली।

- तमिलनाडु के एक प्रत्यक्षदर्शी मणिकंदन ने बताया कि कई कर्मचारी रात की शिफ्ट में काम करके लौटे थे और सुबह खाना बना रहे थे। अचानक रसोई से आग फ़ैली और कोई उसे कंट्रोल नहीं कर पाया। आग से ऊपर की मंजिलों में जबर्दस्त धुआं फ़ैल गया और देखते देखते लोगन का दम घुट गया।

- लेबर कैंप नाम से मशहूर यह छह मंजिला इमारत कुवैत के मंगफ शहर में अहमदी गवर्नरेट में स्थित है।

- बिल्डिंग में मारे गए बहुतों के शव इतने जल चुके हैं कि उनकी पहचान करना मुश्किल है। इसके लिए डीएनए परीक्षण किए जा रहे हैं।

- आग के कारणों के बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, हालांकि स्थानीय मीडिया ने बताया कि यह इमारत के ग्राउंड फ्लोर में गैस लीकेज के कारण हो सकता है।

- कुवैत के अग्निशमन विभाग में जांच के प्रमुख कर्नल सईद अल-मौसावी ने कहा कि आग की जांच करने वाली टीम ने पाया है कि अपार्टमेंट और कमरों के बीच पार्टीशन के रूप में एक ज्वलनशील पदार्थ का इस्तेमाल किया गया था, और इसी वजह से धुएं के काले बादल उठे। कई लोग धुएं से भरी सीढ़ियों से नीचे भागने की कोशिश करते समय दम घुटने से मर गए, और कई लोग छत पर नहीं जा सके क्योंकि दरवाजा बंद था।


पहले भी हुईं हैं ऐसी घटनाएँ

यह आग कुवैत में हुए भीषण अग्निकांडों में से एक है। 2009 में एक घटना में 57 लोगों की मौत हो गई थी, जब एक कुवैती महिला ने दुसरे शादी कर रहे अपने पति से बदला लेने के लिए शादी समारोह में एक टेंट में पेट्रोल डाल कर आग लगा दी थी। उसे इस अपराध के लिए 2017 में फांसी दी गई थी।



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