वुहान में अकेला भारतीय: मौत के शहर में ऐसे लड़ी जंग, सलाम कर रही पूरी दुनिया

कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से चीन के वुहान में 23 जनवरी को लॉकडाउन का ऐलान किया गया था। 76 दिन के लॉकडाउन को 8 अप्रैल को खत्म किया गया है। ऐसे में चीन में लॉकडाउन के खत्म होने के बाद कई लोगों की कहानियां सामने आ रही हैं.

Update:2020-04-10 14:28 IST

नई दिल्ली : कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से चीन के वुहान में 23 जनवरी को लॉकडाउन का ऐलान किया गया था। 76 दिन के लॉकडाउन को 8 अप्रैल को खत्म किया गया है। ऐसे में चीन में लॉकडाउन के खत्म होने के बाद कई लोगों की कहानियां सामने आ रही हैं, इन कहानियों को वे अपने अनुभवों के साथ शेयर कर रहें हैं। ऐसे ही एक भारतीय शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने ऐसे समय वुहान शहर में रहने की हिम्मत दिखाई जब कोरोना वायरस का कहर सिर चढ़ा हुआ था। वह भारत लौट सकते थे, लेकिन उन्होंने न लौटने का फैसला किया। आखिर उनके इस फैसले के पीछे क्या वजह हो सकती है। चलिए जानते हैं...

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11 मिलियन लोगों पर लगे प्रतिबंध हटा

वुहान में रहने वाले भारतीय नागरिकों ने कहा कि वे बहुत खुश हैं। लॉकडाउन हटने के बाद वह अच्छा महसूस कर रहे हैं। बुधवार को अधिकारियों ने मध्य चीनी शहर में 11 मिलियन लोगों पर लगे प्रतिबंध हटा दिया है। अब वह कहीं भी आ जा सकते हैं।

ऐसे ही वुहान में काम करने वाले एक हाइड्रोबॉयोलॉजिस्ट अरुणजीत टी सथराजिथ काफी खुश हैं। उन्होंने कहा, लॉकडाउन खुलने के बाद मैं खुलकर बोल पा रहा हूं, क्योंकि इतने समय तक मुझसे बात करने वाला कोई नहीं था। हर कोई घर के अंदर रहता था।

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जानकारी के लिए बता दें, जहां भारत ने वुहान शहर में फंसे भारतीयों को लेने के लिए विमान भेजे, उस समय अरुणजीत ने वुहान में ही रहने का फैसला किया था। वैसे वह केरल के रहने वाले हैं। उनका मानना था कि परेशानी होने पर किसी भी जगह से भागकर जाना या बच निकलना 'भारतीयों' के लिए आदर्श की बात नहीं है।

कोरोना वायरस के कुछ लक्षण

साथ ही अरुणजीत इस बात को बखूबी जानते थे कि यदि वह वापस भारत लौटते हैं, तो हो सकता है कोरोना वायरस के कुछ लक्षण उनके साथ आ जाते। ऐसे में केरल में पत्नी और बच्चे के अलावा, उनके माता-पिता और ससुराल वाले रहते हैं। वह ये जानते थे कि 50 साल से ऊपर वाले व्यक्ति को कोरोना वायरस से ज्यादा खतरा है।

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आगे अरुणजीत ने बताया, कोरोना वायरस को कंट्रोल करने के लिए लॉकडाउन का निर्णय भारत का सराहनीय कदम है। लेकिन भारत के लिए प्रमुख समस्या मॉनसून के आने पर हो सकती है। क्योंकि इसी समय लोगों को खांसी, जुकाम, बुखार होना आम बात है।

ये वायरस और विषैला हो सकता

ऐसे में इम्यूनिटी लेवल कम हो जाता है। कोरोना वायरस से लड़ने के लिए शरीर की इम्यूनिटी लेवल का मजबूत होना जरूरी है। उस वक्त ये वायरस और विषैला हो सकता है। जिससे लड़ पाना बेहद मुश्किल हो जाता।

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उन्होंने बताया, लॉकडाउन के दौरान वुहान में सख्ती से इसका पालन किया गया था। करीब 72 दिनों के लिए मैंने खुद को अपने कमरे में बंद कर लिया था। मेरे पड़ोसी के 3 छोटे बच्चे हैं। मैंने उन्हें एक बार भी अपने फ्लैट से बाहर आते नहीं देखा था।

देखा जाए तो इन भारतीयों ने भी चीन में रहकर भारत के संस्कारों का पालन किया और भारतीयों का ध्यान भी रखा। सलाम में इनके जज्बों और हिम्मत को।

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