म्यांमार में सड़कों पर उतरे हजारों प्रदर्शनकारी, पुलिस ने चलाई कई राउंड गोलियां

म्यांमार की सत्ता पर 2012 में सैन्य शासन की पकड़ ढीली होने के पहले सेना ने सीधे तौर पर पांच दशक से अधिक समय तक देश पर शासन किया।

Update:2021-02-08 16:07 IST
म्यांमार में सड़कों पर उतरे हजारों प्रदर्शनकारी, पुलिस ने चलाई कई राउंड गोलियां

नई दिल्ली: म्यांमार में एक फरवरी को हुए सैन्य तख्तापलट के खिलाफ लोगों का आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। तख्तापलट के खिलाफ और देश की प्रमुख नेता आंग सान सू की को जल्द से जल्द रिहा करने की मांग को लेकर लोग सड़कों पर उतर आएं हैं।

प्रदर्शन उग्र होता जा रहा है। सोमवार को बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हुआ। पहले अस्पताल कर्मचारियों और डाक्टरों के काम बंद करने के बाद अब कई नर्स और संत भी इस प्रदर्शन में शामिल हो गए हैं।

यंगून में प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाए और सैन्य तख्तापलट का बहिष्कार किया। लोगों ने न्याय की मांग वाली तख्तियां दिखाते हुए सेना की कार्रवाई का विरोध किया।

म्यांमार में सड़कों पर उतरे हजारों प्रदर्शनकारी, पुलिस ने चलाई कई राउंड गोलियां (फोटो:सोशल मीडिया)

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भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने चलाई गोली

रविवार को सामने आए कई वीडियो में, भीड़ को तितर -बितर करने के लिए पुलिस को हवा में गोली चलाते देखा गया। बताया जा रहा है कि यह घटना मयावडी नगर की है।

सोमवार को भीड़ और पुलिस के बीच टकराव की स्थिति देखी गई। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को सड़क खाली करने के लिए कहा। लेकिन प्रदर्शनकारी वहां से नहीं हटे।

प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए जगह-जगह अतिरिक्त फोर्स की तैनाती की गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 2007 के बाद म्यांमार में यह अब तक का सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन है।

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म्यांमार में सड़कों पर उतरे हजारों प्रदर्शनकारी, पुलिस ने चलाई कई राउंड गोलियां (फोटो:सोशल मीडिया)

सरकारी कर्मचारियों से ड्यूटी पर न जाने को कहा गया

म्यांमार की सत्ता पर 2012 में सैन्य शासन की पकड़ ढीली होने के पहले सेना ने सीधे तौर पर पांच दशक से अधिक समय तक देश पर शासन किया।

वहीं सेना के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले संगठन के प्रमुख कार्यकर्ता मिन कोन निंग ने कहा कि हम सभी विभागों के सरकारी कर्मचारियों से अपील करते हैं कि वे सोमवार से ड्यूटी पर न जाएं।

आंग सान सू की को साल 1991 में लोकतंत्र के लिए संघर्ष करने की वजह से नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था। उन्होंने सेना के शासन के दौरान 15 साल हाउस अरेस्ट में बिताए थे।

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