Afghanistan: कौन है मुल्ला बरादर, जो अफगानिस्तान में चलाएगा तालिबान सरकार

Afghanistan: अफगानिस्तान में नई सरकार के सर्वेसर्वा होंगे मुल्ला बरादर जाने कौन है बरादर

Newstrack :  Network
Published By :  Yogi Yogesh Mishra
Update:2021-09-03 15:21 IST

Afghanistan: मुल्ला बरादर (photo social media)

Mullah Baradar:  तालिबान लड़ाकों के कब्जे के बाद अफगानिस्तान में सत्ता बदलाव हो चुका है तालिबान के मुल्ला बरादर का रेस का नया प्रमुख बन्ना अरे बताया जा रहा है वह तालिबान के संस्थापक नेताओं में रहे हैं आखिर कौन है मुल्लाह बरादर और वह कैसे तालिबान में इतने ताकतवर बन गए?

15 अगस्त को तालिबान लड़ाकों ने काबुल में अपना कब्जा किया वह राष्ट्रपति के महल पर कब्जा करने के बाद अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ घनी देश छोड़कर अपने परिवार के साथ तजाकिस्तान चले गए तालिबान के द्वारा घोषणा की गई थी कि अफगानिस्तान में आप शरिया कानून लागू होगा इन सब के बीच यह माना जा रहा है कि मुल्लाह अब्दुल गनी बरादर देश के नए प्रमुख होंगे। आखिर ब्रदर कौन है और क्यों है इतने खास बताते चलें मुल्लाह अब्दुल गनी बरादर उन 4 लोगों में से एक हैं जिन्होंने 1994 में तालिबान का गठन किया था साल 2001 में जब अमेरिकी नेतृत्व मैं आपको अनुष्ठान के आंतरिक मामलों में सेना की कार्यवाही शुरू हुई तो हल्ला ब्रदर की अगुवाई में विद्रोह की खबरें बाहर निकल के आने लगी। जिसके बाद अमेरिकी सेना ने उन्हें तलाशने लगी और वह पाकिस्तान भाग निकले।


Mullah baradar (photo social media)

मुल्ला ओमर के खास थें मुल्ला बरादर:

जब अफगानिस्तान में तालिबान 90 के दशक में बना था उस वक्त उसके प्रमुख मुल्ला उमर हुआ करते थे बरादर ना केवल उनके खास से बल्कि उनके करीबी रिश्तेदारों में भी थे कहा जाता है कि ब्रदर की बहन मुल्ला उमर की पत्नी थी। तालिबान के 90 के दशक के ताकतवर कुख्यात राज्य में मुल्ला बरादर दूसरे बड़े नेता थे। मुल्ला उमर के जिंदा रहते हुए तालिबान के लिए आर्थिक मदद जुटाने और रोजमर्रा की दिनचर्या की गतिविधियों के प्रमुख रहा करते थे मुल्ला बरादर। वर्ष 1994 में तालिबान के गठन के बाद उन्होंने एक कमांडर और रणनीतिकार की भूमिका भी निभाई थी जिसके चलते तालिबान राज्य में कोई लचीलापन नहीं आया।


Mullah Baradar (photo social media)

कट्टर इस्लामी नजरिया है बरादर का

तालिबान राज्य में मुल्लाह बरादर को उनके कठोर रवैया के कारण भी जाना जाता रहा है लोकतंत्र महिलाओं खुले विचारों और बेहतर देश को लेकर उनका ख्याल बहुत ही कट्टरवादी रहे हैं तालिबान में मुल्ला उमर के बाद दूसरे नंबर के नेता का दर्जा मुल्लाह बरादर को मिला है।

मनमाना था रवैया

1996 से लेकर 2001 तक अफगानिस्तान में तालिबान राज के दौरान कई पदों पर मुल्ला बरादर काबिज़ रहे। बराबर ही रात और निमरोज प्रांत के गवर्नर भी रह चुके हैं पश्चिम अफगानिस्तान की सेनाओं के कमांडर के साथ-साथ अमेरिकी दस्तावेजों में उन्हें अफगानिस्तान की सेनाओं का प्रमुख और केंद्रीय तालिबान सेनाओं का कमांडर बताया गया था। जबकि इंटरपोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक वाह अफगानिस्तान के रक्षा मंत्री भी रहे थे।

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