भारतीयों के प्रवेश पर रोक: न्यूजीलैंड में प्रधानमंत्री ने लिया बड़ा फैसला

बृहस्पतिवार को न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न ने भारतीय को लेकर बड़ा फैसला किया है। न्यूजीलैंड

Published By :  Vidushi Mishra
Update:2021-04-08 10:53 IST

फोटो-सोशल मीडिया

नई दिल्ली: बृहस्पतिवार को न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न ने भारतीय को लेकर बड़ा फैसला किया है। न्यूजीलैंड प्रधानमंत्री ने अस्थायी रूप से भारत से आने वाले सभी यात्रियों के आगमन पर मनाही लगा दी है। इसके तहत न्यूजीलैंड ने 28 अप्रैल तक के लिए सभी यात्रियों के प्रवेश को निलंबित कर दिया है। सबसे बड़ी बात ये है कि न्यूजीलैंड का यह फैसला उस समय आया है जब देश में कोरोना संक्रमण के मामले 1 लाख से ज्यादा हो गए हैं। लगातार भारत में बढ़ते मामलों को देखते न्यूजीलैंड प्रधानमंत्री ने ये कदम उठाया है।

सबसे ज्यादा केस हर दिन भारत में

जानकारी देते हुए बता दें कोरोना संक्रमितों की संख्या के मुताबिक भारत दुनिया का तीसरा सबसे प्रभावित देश है। इस दौरान दुनिया में सबसे ज्यादा केस हर दिन भारत में ही आ रहे हैं। इसके साथ ही रिकवरी की बात करें तो दुनिया में अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा भारत में हुई है। जबकि मौत के मामले में अमेरिका, ब्राजील और मैक्सिको के बाद भारत का नंबर है।

भारत में 16 जनवरी को कोरोना का टीका लगाए जाने की अभियान की शुरुआत हुई थी। जिसके बाद से अभी तक यानी 7 अप्रैल तक देशभर में 8 करोड़ 70 लाख कोरोना डोज दिए जा चुके हैं। पिछले दिन 33 लाख 37 हजार टीके लगे। वहीं वैक्सीन की दूसरी खुराक देने का अभियान 13 फरवरी से शुरू हुआ था। और अब 1 अप्रैल से 45 साल से ऊपर से सभी लोगों को टीका लगाया जा रहा है।


1 दिन में आने वाले केस का आंकड़ा 1 लाख के पार

बुधवार के आकड़ें देखें तो देश में पहली बार एक दिन में कोरोना के करीब 1,26,198 केस सामने आए हैं। बीते चार दिनों में ये तीसरी बार है कि देश में एक दिन में आने वाले केस का आंकड़ा एक लाख के पार गया है। वहीं इससे पहले मंगलवार को 1.15 लाख केस आए थे, मतलब कि दो दिन में ही 2.40 लाख के मामले सामने आ गए हैं।

सबसे ज्यादा खराब स्थिति महाराष्ट्र की है। महाराष्ट्र में पिछले 24 घंटों में 59,907 नए मामले सामने आए, 30,296 लोग रिकवर हुए और 322 मौतें हुई हैं। कोवड-19 की दूसरी लहर से महाराष्ट्र सबसे अधिक प्रभावित है। बीते दिन महाराष्ट्र में करीब 60 हज़ार मामले दर्ज किए गए, जो पूरे देश में सामने आए केस का आधा हिस्सा है।

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